कैग ने पी.एस.बी. के पुनर्पूंजीकरण पर उठाए सवाल | 29 Jul 2017
संदर्भ
हाल ही में कैग (Comptroller and Auditor General of India - CAG) द्वारा लोकसभा में प्रस्तुत की गई एक रिपोर्ट में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुनर्पूंजीकरण (recapitalisation of public sector banks) के संबंध में दर्ज़ की गई खामियों को सूचीबद्ध किया गया है| इस रिपोर्ट में यह भी निहित किया गया है कि बैंकों द्वारा गैर-निष्पादनकारी ऋणों (non-performing loans) की वसूली दर (recovery rate) पिछले वर्षों की तुलना में अत्यधिक निम्न रही है|
- कैग द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में यह भी वर्णित किया गया है कि वित्तीय सेवा विभाग (Department of Financial Services) द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की ऋण वसूली दर में वृद्धि की मात्रा को भी सुनिश्चित किया जाना चाहिये|
एन.पी.ए. की पहचान नहीं की गई
- इस रिपोर्ट में इस बात पर भी चर्चा की गई है कि बैंकों द्वारा गैर-निष्पादनकारी संपत्तियों की पहचान के संबंध में कोई विशेष कार्यवाही नहीं की गई|
- इतना ही नहीं, बल्कि तकरीबन 12 ऐसे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक भी नोटिस किये गए हैं जिनके कुल लाभ की जाँच करने पर ज्ञात होता है कि इन बैंकों द्वारा प्रस्तुत सूचनाओं एवं आर.बी.आई. द्वारा प्रस्तुत सूचनाओं के मध्य तकरीबन 15 प्रतिशत का अंतर है|
- रिपोर्ट में कैग द्वारा यह अनुशंसा की गई है कि पूंजी आसव (capital infusion) के इच्छित उद्देश्यों की पूर्ति के लिये एक प्रभावी निगरानी तंत्र का गठन किया जाना चाहिये|
- ध्यातव्य है कि मुख्य हितधारक के रूप में केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2008-09 से 2016-17 के मध्य अपनी पूंजी पर्याप्तता संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रदर्शन के आधार पर उन्हें 1,18,724 करोड़ रूपए प्रदान किये|
- कुछ मामलों में सार्वजनिक क्षेत्र के विभिन्न बैंकों के मध्य केंद्र द्वारा वितरित पूंजी के अनुपात के संबंध में कोई लेखा-जोखा नहीं पाया गया| कुछ ऐसे बैंक, जो निर्धारित मानदंडों के आधार पर अतिरिक्त पूंजी प्राप्त करने योग्य नहीं थे, उन्हें भी पूंजी वितरित की गई|
- जहाँ एक ओर एक बैंक को आवश्यकता से अधिक पूंजी दी जा रही थी, वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे भी बैंक थे, जिन्हें अपनी पूंजी पर्याप्तता संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये पर्याप्त धन प्राप्त कर पाना कठिन हो रहा था|
- कैग द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, इन्द्रधनुष मिशन के अंतर्गत निर्धारत किये गए लक्ष्यों के विरुद्ध सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने वर्ष 2015-16 और 2018-19 के मध्य तकरीबन 1.10 लाख करोड़ पूंजी बाज़ारों से प्राप्त की, जबकि इसमें से जनवरी 2015 से मार्च 2017 के मध्य केवल 7,726 करोड़ पूंजी ही प्राप्त की गई|
लक्ष्यों में भिन्नता
- इस रिपोर्ट ने यह भी कहा गया है कि समझौता ज्ञापन में निर्धारित किये गए लक्ष्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के द्वारा निर्धारित किये गए लक्ष्यों से काफी भिन्न थे|
- यद्यपि, समझौता ज्ञापन से संबंधित 273 प्रगति रिपोर्ट (progress report) अभी भी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा लंबित अवस्था में हैं, इन रिपोर्टों में से वास्तव में केवल 21 को ही प्राप्त किया गया है, जो कि प्रगति रिपोर्टों के माध्यम से समझौता ज्ञापनों की निगरानी में होने वाली कमी की ओर संकेत करती है|
- समझौता ज्ञापन के लक्ष्यों के विरुद्ध प्राप्त उपलब्धियाँ भी काफी निम्न स्तर पर पाई गई हैं| इस लेखा परीक्षा में यह भी पाया गया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी आसव को मंजूरी देते समय निर्धारित की गई शर्तें उस समयावधि के लिये निर्धारित किये गए लक्ष्यों से अपेक्षाकृत भिन्न थी|