असम NRC पर CAG की ऑडिट रिपोर्ट | 28 Dec 2022
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर, CAG मेन्स के लिये:NRC का महत्त्व और चुनौतियाँ, पूर्वोत्तर भारतीय राज्यों में NRC की स्थिति |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) में बड़े पैमाने पर विसंगतियों का पता लगाया है।
CAG की चिंताएँ:
- निधियों के उपयोग में अनियमितताएँ:
- फरवरी 2015 तक पूरा करने की समयसीमा के साथ NRC को अद्यतन करने की प्रक्रिया दिसंबर 2014 में शुरू की गई थी और परियोजना लागत 288.18 करोड़ रुपए आँकी गई थी।
- हालाँकि इसे पूरा करने के लिये अतिरिक्त समय और नवीन सॉफ्टवेयर में परिवर्तन के कारण मार्च 2022 तक लागत में पाँच गुना वृद्धि हुई थी।
- जहाँ तक अनियमितताओं की बात है, CAG ने पाया कि आउटसोर्स कर्मचारियों को दिया जाने वाला वेतन समन्वय समिति द्वारा स्वीकृत वेतन से 45.59%-64.27% तक कम था।
- सुरक्षित और विश्वसनीय सॉफ्टवेयर का अभाव:
- NRC अद्यतन प्रक्रिया में अत्यधिक सुरक्षित और विश्वसनीय सॉफ्टवेयर की आवश्यकता थी, हालाँकि इस संबंध में उचित योजना की कमी देखी गई, जिसमें 215 सॉफ्टवेयर को बेतरतीब ढंग से कोर सॉफ्टवेयर में जोड़ा गया था।
CAG की सिफारिश:
- देश के शीर्ष ऑडिटर ने न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम, 1948 के प्रावधानों का उल्लंघन करने और डेटा ऑपरेटरों को न्यूनतम मज़दूरी से कम भुगतान करने के लिये विप्रो लिमिटेड के खिलाफ दंडात्मक उपायों की मांग की।
- रिपोर्ट में ‘अधिक, अनियमित और अस्वीकार्य भुगतान’ के लिये राष्ट्रीय पंजीकरण के राज्य समन्वयक (State Coordinator of National Registration- SCNR) के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है।
- CAG ने ‘न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम के अनुपालन को सुनिश्चित नहीं करने’ के लिये प्रमुख नियोक्ता के रूप में SCNR की जवाबदेही तय करने की भी सिफारिश की।
राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC):
- NRC पहली बार वर्ष 1951 में असम में भारत में जन्मे लोगों और तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान, अब बांग्लादेश के प्रवासियों की पहचान हेतु बनाया गया था।
- वर्ष 2013 में सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 1951 के रजिस्टर को अपडेट करने के लिये असम में इसे शुरू करने हेतु केंद्र और राज्य को निर्देश जारी किये।
- यह आदेश असम पब्लिक वर्क्स नाम के एक NGO द्वारा दायर याचिका पर आधारित था।
- पहला ड्राफ्ट वर्ष 2018 में जारी किया गया था।
- वर्ष 2019 में प्रकाशित अंतिम सूची में वे लोग शामिल थे जो 25 मार्च, 1971 (अगस्त 1985 के असम समझौते के अनुसार विदेशियों के निर्वासन की कट-ऑफ तारीख) से पहले असम के निवासी या उनके वंशज अपनी भारतीय नागरिकता स्थापित कर सकते थे।
- 3.3 करोड़ आवेदकों में से 19.06 लाख लोगों को अपनी नागरिकता साबित करने के लिये पर्याप्त दस्तावेज़ों की कमी के कारण बाहर रखा गया था। कई दलों ने अंतिम सूची को ‘त्रुटिपूर्ण’ कहकर खारिज़ कर दिया।
- तीन साल से प्रक्रिया रुकी हुई है क्योंकि भारत के महारजिस्ट्रार (Registrar General of India- RGI) ने अभी तक अंतिम सूची को अधिसूचित नहीं किया है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. लोक निधि के फलोत्पादक और आशयित प्रयोग को सुरक्षित करने के साथ-साथ भारत में नियंत्रक-महालेखा परीक्षक (CAG) के कार्यालय का महत्त्व क्या है? (2012)
उपयुक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1, 3 और 4 उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न. संघ और राज्यों की लेखाओं के संबध में नियंत्रक और महालेखापरीक्षक की शक्तियों का प्रयोग भारतीय संविधान के अनुच्छेद 149 से व्युत्पन्न है। चर्चा कीजिये कि क्या सरकार की नीति कार्यान्वयन की लेखापरीक्षा करना अपने स्वयं (नियंत्रक और महालेखापरीक्षक) की अधिकारिता का अतिक्रमण करना होगा अथवा नहीं। (2016) |