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भारतीय अर्थव्यवस्था

सतत् विकास लक्ष्यों की निगरानी हेतु समिति

  • 25 Oct 2018
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals- SDGs) की निगरानी के लिये राष्ट्रीय संकेतक ढाँचे (National Indicator Framework- NIF) की समय-समय पर समीक्षा और उसमें सुधार के लिये एक उच्चस्तरीय प्राकलन समिति के गठन को मंज़ूरी दे दी है।

समिति का प्रारूप एवं कार्य

  • उच्चस्तरीय समिति की अध्यक्षता भारत के मुख्य सांख्यिकीविद् तथा सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation- MoSPI) के सचिव करेंगे। 
  • समिति में आँकड़ा स्रोत मंत्रालयों और नीति आयोग के सचिव सदस्य के रूप में होंगे। इसके अलावा अन्य संबद्ध मंत्रालयों के सचिव विशेष रूप से आमंत्रित होंगे। 
  • इसका कार्य समय-समय पर संकेतकों में सुधार सहित राष्ट्रीय संकेतक ढाँचे की समीक्षा करना होगा।

लक्ष्य

  • विकास संबंधी चुनौतियों का सामना करने के लिये वर्तमान राष्ट्रीय कार्यक्रमों और रणनीतिक कार्य योजनाओं में मुख्य रूप से सतत विकास लक्ष्यों के उपाय करना। 
  • NIF के सांख्यिकीय संकेतक राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर SDG की निगरानी की रीढ़ होंगे और विभिन्न लक्ष्यों को हासिल करने की नीतियों के परिणामों का वैज्ञानिक तरीके से मूल्यांकन करेंगे। 
  • सांख्यिकी संकेतक के आधार पर MoSPI SDG के कार्यान्वयन पर राष्ट्रीय रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। यह रिपोर्ट प्रगति के आकलन को सरल बनाने, चुनौतियों की पहचान करने और राष्ट्रीय स्तर पर आगे कार्य करने के लिये सिफारिशें देगी। 
  • आँकड़ा स्रोत मंत्रालय/विभाग आवश्यक अंतरालों पर इन संकेतकों के बारे में और SDG के राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय प्रतिवेदन के लिये MoSPI को नियमित और अलग-अलग जानकारी प्रदान करेगा। 
  • सतत् विकास लक्ष्यों की त्वरित और प्रभावी निगरानी के लिये अत्याधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया जाएगा।

प्रभाव

  • SDG में विकास के आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरण संबंधी आयामों को समाहित किया गया है। इसका उद्देश्य ‘सबका साथ सबका विकास’ की मूल भावना के साथ बदलते विश्व में गरीबी का उन्मूलन और समृद्धि को बढ़ावा देना है। 
  • 17 लक्ष्यों और 169 उद्देश्यों के साथ SDG निरंतर, समग्र और समान आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, सभी के लिये अधिक अवसर सृजित करने, असमानता कम करने, रहन-सहन के मूलभूत स्तर में सुधार, समान सामाजिक विकास को बढ़ावा और समावेशन, प्राकृतिक संसाधनों और पारिस्थितिकी प्रणाली के समेकित और निरंतर प्रबंधन को बढ़ावा देना चाहता है। 
  • NIF राष्ट्रीय स्तर पर SDG की प्रकृति के बारे में परिणाम आधारित निगरानी और जानकारी देने में मदद करेगा।

पृष्ठभूमि

  • न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय पर वर्ष 2000 में हुई सहस्‍त्राब्‍दी शिखर बैठक में विकास संबंधी आठ उद्देश्यों को स्वीकार किया गया, जिन्हें सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य (Millennium Development Goals- MDGs) के नाम से जाना जाता है। इसने वर्ष 2000 से वर्ष 2015 के बीच देशों के लिये उनकी राष्ट्रीय विकास रणनीतियों का अनुसरण करने का खाका तैयार किया। 
  • MDG के आठ लक्ष्य हैं और इसमें विकास के विभिन्न मुद्दों को रखा गया है। 
  • MDG के उद्देश्यों को विभिन्न देशों में असमान रूप से हासिल कर लिया गया और यह आवश्यकता महसूस की गई कि इसकी उपयोगिता का आकलन करने और 2015 के बाद विश्व में विकास सहयोग के मार्गदर्शन के लिये संभावित उत्तराधिकारी का पता लगाने हेतु नए सिरे से विचार-विमर्श किया जाए।
  • संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने 70वें अधिवेशन में अगले 15 वर्षों के लिये सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्यों पर विचार किया और उसे स्वीकृत किया। 01 जनवरी, 2016 से 17 सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य अस्तित्व में आए। 

आगे की राह

  • हालाँकि SDG को लागू करने के लिये कानूनी रूप से कोई बाध्यता नहीं है, लेकिन अगले 15 वर्षों के दौरान इसमें अंतर्राष्ट्रीय दायित्व और देशों की घरेलू व्यय प्राथमिकताओं में बदलाव लाने की संभावनाएँ हैं। 
  • उम्मीद है कि देश इसका स्वामित्व लेंगे और इन उद्देश्यों को हासिल करने हेतु  राष्ट्रीय ढाँचा स्थापित करेंगे। 
  • इसका कार्यान्वयन और सफलता देशों की अपनी निरंतर विकास नीतियों, योजनाओं और कार्यक्रमों पर निर्भर करेगी। 
  • देश लक्ष्यों और उद्देश्यों के कार्यान्वयन में हुई प्रगति के संबंध में राष्ट्रीय स्तर पर आगे कार्य करने और समीक्षा करने के लिये ज़िम्मेदार होंगे। 
  • SDG के अंतर्गत प्रगति की निगरानी के लिये राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करने के लिये गुणवत्ता, पहुँच और समय पर आँकड़ों की ज़रूरत होगी।

निष्कर्ष

राष्ट्रीय संकेतक ढाँचे के कार्यान्वयन पर कोई प्रत्यक्ष वित्तीय प्रभाव नहीं पड़ेगा। तथापि संबद्ध मंत्रालयों को SDG संकेतकों की निगरानी कि प्रक्रिया को सरल बनाने के लिये उनकी सांख्यिकी प्रणालियों को फिर से संगठित और मज़बूत बनाना होगा। उम्मीद है कि SDG लोगों के जीवन में बदलाव लाएगा और SDG के कार्यान्वयन की प्रगति की निगरानी से पूरे देश को लाभ मिलेगा।

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