अंतर्राष्ट्रीय संबंध
आयुष्मान भारत : राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन को स्वीकृति
- 22 Mar 2018
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चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा केंद्र प्रायोजित आयुष्मान भारत-राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन (Ayushman Bharat : National Health Protection Mission - AB-NHPM) को लॉन्च करने की स्वीकृति दी गई है। इसमें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुष्मान मिशन के अंतर्गत केंद्रीय क्षेत्र के घटक शामिल हैं।
- इस योजना में प्रतिवर्ष प्रति परिवार को पाँच लाख रुपए का लाभ कवर किया गया है। प्रस्तावित योजना के लक्षित लाभार्थी दस करोड़ से अधिक परिवार होंगे। ये परिवार एसपीसीसी डाटा बेस पर आधारित गरीब और कमज़ोर आबादी के होंगे।
- एबी-एनएचपीएम में चालू केंद्र प्रायोजित योजनाएँ-राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (Rashtriya Swasthya Bima Yojana -RSBY) तथा वरिष्ठ नागरिक स्वास्थ्य बीमा योजना (Senior Citizen Health Insurance Scheme -SCHIS) समाहित होंगी।
प्रमुख विशेषताएँ
- एबी-एनएचपीएम को सभी लक्षित लाभार्थियों को कवर करने के उद्देश्य से सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में प्रारंभ किया जाएगा।
- एबी-एनएचपीएम में प्रतिवर्ष प्रति परिवार पाँच लाख रुपए का परिभाषित लाभ कवर होगा।
- इस कवर में सभी द्वितीयक और तृतीयक स्वास्थ्य सुविधाओं की प्रक्रियाएँ शामिल हैं। यह सुनिश्चित करने के लिये कि कोई व्यक्ति(महिलाएँ, बच्चे तथा वृद्धजन) छूट न जाए, इसलिये इस योजना में परिवार के आकार और आयु पर किसी तरह की सीमा नहीं होगी।
- लाभ कवर में अस्पताल में दाखिल होने से पहले और दाखिल होने के बाद के खर्च शामिल किये जाएंगे। बीमा पॉलिसी के पहले दिन से विद्यमान सभी शर्तों को कवर किया जाएगा। लाभार्थी को हर बार अस्पताल में दाखिल होने पर परिवहन भत्ते का भी भुगतान किया जाएगा।
- इस योजना के अंतर्गत कवर किये गए लाभार्थी को पैनल में शामिल देश के किसी भी सरकारी/निजी अस्पताल से कैशलेस लाभ लेने की अनुमति होगी।
- एबी-एनएचपीएम पात्रता आधारित योजना होगी और पात्रता एसईसीसी डाटाबेस में वंचन मानक के आधार पर तय की जाएगी।
♦ ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न श्रेणियों में ऐसे परिवार शामिल हैं जिनके पास कच्ची दीवार और कच्ची छत के साथ एक कमरा है।
♦ ऐसे परिवार जिनमें 16 से 59 वर्ष की आयु के बीच का कोई वयस्क सदस्य नहीं है।
♦ ऐसे परिवार जिसकी मुखिया महिला है और जिसमें 16 से 59 आयु के बीच का कोई वयस्क सदस्य नहीं है।
♦ ऐसा परिवार जिसमें दिव्यांग सदस्य है और कोई शारीरिक रूप से सक्षम वयस्क सदस्य नहीं है।
♦ अजा/जजा परिवार, मानवीय आकस्मिक मज़ूदरी से आय का बड़ा हिस्सा कमाने वाले भूमिहीन परिवार हैं।
♦ ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे परिवार स्वत: शामिल किये गए हैं जिनके रहने के लिये छत नहीं है, जो निराश्रित, खैरात पर जीवन-यापन करने वाले, मैला ढोने वाले परिवार, आदिम जनजाति समूह, कानूनी रूप से मुक्त किये गए बंधुआ मजदूर हैं।
- लाभार्थी पैनल में शामिल सरकारी और निजी दोनों अस्पतालों में लाभ ले सकेंगे। एबी-एनएचपीएम लागू करने वाले राज्यों के सभी सरकारी अस्पतालों को योजना के लिये पैनल में शामिल समझा जाएगा।
- निजी अस्पताल परिभाषित मानक के आधार पर ऑनलाइन तरीके से पैनल में शामिल किये जाएंगे।
- लागत को नियंत्रित करने के लिये पैकेज दर (सरकार द्वारा अग्रिम रूप में परिभाषित) के आधार पर इलाज के लिये भुगतान किया जाएगा। पैकेज दर में इलाज से संबंधित सभी लागतें शामिल होंगी। लाभार्थियों के लिये यह कैशलेस, कागजरहित लेन-देन होगा।
- राज्य विशेष की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए राज्यों के पास इन दरों में सीमित रूप से संशोधन का लचीलापन होगा।
- एबी-एनएचपीएम का एक प्रमुख सिद्धांत सहकारी संघवाद और राज्यों को लचीलापन प्रदान करना है। इसमें सह-गठबंधन के माध्यम से राज्यों के साथ साझेदारी का प्रावधान है। इसमें वर्तमान स्वास्थ्य बीमा/केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों तथा राज्य सरकारों (उनकी अपनी लागत पर) की विभिन्न सुरक्षा योजनाओं के साथ उचित एकीकरण सुनिश्चित करने के लिये राज्य सरकारों को अनुप्रस्थ और लम्बवत दोनों रूप में एबी-एनएचपीएम के विस्तार की अनुमति होगी। योजना को लागू करने के तौर-तरीकों को चुनने में राज्य स्वतंत्र होंगे।
- राज्य बीमा कंपनी के माध्यम से या प्रत्यक्ष रूप से ट्रस्ट/सोसायटी के माध्यम से या मिले-जुले रूप में योजना लागू कर सकेंगे।
- नीति-निर्देश देने तथा केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय में तेजी लाने के लिये शीर्ष स्तर पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में आयुष्मान भारत राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन परिषद (एबी-एनएचपीएमसी) गठित करने का प्रस्ताव है।
- इसमें एक आयुष्मान भारत राष्ट्रीय, स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन गवर्निंग बोर्ड (एबी-एनएचपीएमजीबी) बनाने का प्रस्ताव है जिसकी अध्यक्षता संयुक्त रूप से सचिव (स्वास्थ्य और परिवार कल्याण) तथा सदस्य (स्वास्थ्य), नीति आयोग द्वारा की जाएगी।
- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के वित्तीय सलाहकार, स्वास्थ्य मंत्रालय, अपर सचिव तथा मिशन निदेशक, आयुष्मान भारत राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन, स्वास्थ्य मंत्रालय (एबी-एनएचपीएम) तथा संयुक्त सचिव (एबी-एनएचपीएम), स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय सदस्य होंगे।
- आयुष्मान भारत-राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन के सीईओ सदस्य सचिव होंगे। आवश्यकता के अनुसार राज्यों के स्वास्थ्य सचिव भी सदस्य हो सकते हैं। संचालन स्तर पर एबी-एनएचपीएम के प्रबंधन के लिये सोसायटी के रूप में आयुष्मान भारत राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन एजेंसी (एबी-एनएचपीएमए) स्थापित करने का प्रस्ताव है।
- एबी-एनएचपीएमए की अगुवाई पूर्णकालिक सीईओ करेंगे जो सचिव/अपर सचिव भारत सरकार के स्तर के होंगे।
- योजना को लागू करने के लिये राज्यों को राज्य स्वास्थ्य एजेंसी (एसएचए) की ज़रूरत होगी।
- योजना को लागू करने के लिये राज्यों के पास एसएचए रूप में वर्तमान ट्रस्ट/सोसायटी/अलाभकारी कंपनी/राज्य नोडल एजेंसी के उपयोग करने का विकल्प होगा या नया ट्रस्ट/सोसायटी/अलाभकारी कंपनी/राज्य स्वास्थ्य एजेंसी बनाने का विकल्प होगा।
- ज़िला स्तर पर भी योजना को लागू करने के लिये ढाँचा तैयार करना होगा।
- यह सुनिश्चित करने के लिये कि धन एसएचए तक समय पर पहुँचे एबी-एनएचपीएमए के माध्यम से केंद्र सरकार की ओर से राज्य स्वास्थ्य एजेंसियों को धन अंतरण प्रत्यक्ष रूप से निलंबित खाते से किया जा सकता है। परिभाषित समय-सीमा के अन्दर राज्य को बराबर के हिस्से का अनुदान देना होगा।
- नीति आयोग के साथ साझेदारी में एक मज़बूत, प्रमापी, आरोही तथा अंतर संचालन आईटी प्लेटफार्म चालू किया जाएगा जिसमें कागज़ रहित, केशलेस लेन-देन होगा।
- इससे संभावित दुरुपयोग की पहचान/धोखेबाजी और दुरुपयोग रोकने में मदद मिलेगी। इसमें सुपरिभाषित शिकायत समाधान व्यवस्था होगी। इसके अतिरिक्त नैतिक खतरों (दुरुपयोग की संभावना) के साथ इलाज पूर्व अधिकार को अनिवार्य बनाया जाएगा।
- यह सुनिश्चित करने के लिये कि योजना वांछित लाभार्थियों तथा अन्य हितधारकों तक पहुँचे, एक व्यापक मीडिया तथा आउटरिच रणनीति विकसित की जाएगी, जिसमें अन्य बातों के अलावा प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, सोशल मीडिया प्लेटफार्म, पारंपरिक मीडिया, आईईसी सामग्री तथा आउटडोर गतिविधियाँ शामिल हैं।
कार्यान्वयन रणनीति
- राष्ट्रीय स्तर पर प्रबंधन के लिये आयुष्मान भारत राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन एजेंसी (एबी-एनएचपीएमए) स्थापित की जाएगी। राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को समर्पित राज्य स्वास्थ्य एजेंसी (एसएचए) द्वारा योजना लागू करने की सलाह दी जाएगी।
- राज्य/केंद्रशासित प्रदेश वर्तमान ट्रस्ट/सोसायटी/अलाभकारी कंपनी/राज्य नोडल एजेंसी का उपयोग कर सकेंगे या नया ट्रस्ट/सोसायटी/अलाभकारी कंपनी/राज्य स्वास्थ्य एजेंसी बना सकेंगे।
- राज्य/केंद्रशासित प्रदेश योजना को बीमा कंपनी के ज़रिये या प्रत्यक्ष रूप से ट्रस्ट/सोसायटी के माध्यम से या एकीकृत मॉडल का उपयोग करते हुए योजना लागू करने के बारे में निर्णय ले सकते हैं।
इसका प्रभाव क्या होगा?
- पिछले दस वर्षों के दौरान भारत में रोगी को अस्पताल में दाखिल करने का खर्च लगभग 300 प्रतिशत बढ़ा है। (एनएसएसओ 2015)
- 80 प्रतिशत से अधिक खर्च जेब (ओओपी) से पूरे किये जाते हैं। ग्रामीण परिवार मुख्य रूप से पारिवारिक आय/बचत (68 प्रतिशत) तथा उधारी (25 प्रतिशत) पर निर्भर करते हैं।
- शहरी परिवार अस्पताल खर्चों के वित्तपोषण के लिये अपनी आय/बचत (75 प्रतिशत) पर और उधारी (18 प्रतिशत) पर निर्भर करते हैं। (एनएसएसओ 2015)
- भारत में जेब से 60 प्रतिशत से अधिक खर्च होता है। इसके परिणामस्वरूप बढ़ते स्वास्थ्य खर्चों के कारण 6 मिलियन परिवार गरीबी से घिर जाते हैं।
- निम्नलिखित आधार पर एबी-एनएचपीएम का प्रभाव जेब खर्च में कमी करने पर पड़ेगा।
♦ आबादी के लगभग 40 प्रतिशत को बढ़ा हुआ लाभ कवर (निर्धनतम और कमज़ोर)।
♦ सभी द्वितीयक और तृतीयक (नकारात्मक सूची को छोड़कर) अस्पताल कवर किये जाएंगे। प्रत्येक परिवार के लिये पाँच लाख का कवरेज (परिवार के आकार पर कोई प्रतिबंध नहीं)।
- इससे गुणवत्ता संपन्न स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधा तक पहुँच बढ़ेगी। वित्तीय संसाधनों की कमी के कारण आबादी की पूरी नहीं की गई आवश्यकताएँ पूरी होंगी।
- इससे समय पर इलाज होगा, स्वास्थ्य परिणामों में सुधार होगा, रोगी को संतुष्टि मिलेगी, उत्पादकता और सक्षमता में सुधार होगा, रोज़गार सृजन होगा तथा इसके परिणामस्वरूप जीवन की गुणवत्ता सुधरेगी।
व्यय संबंधी पक्ष
- प्रीमियम भुगतान में होने वाले खर्च वित्त मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार निर्दिष्ट अनुपात में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा साझा किये जाएंगे। उन राज्यों में जहाँ बीमा कंपनियों के माध्यम से एबी-एनएचपीएम लागू किये जाएंगे, वहाँ कुल व्यय वास्तविक बाजार निर्धारित प्रीमियम भुगतान पर निर्भर करेगा।
- जिन राज्यों केंद्र शासित प्रदेशों में ट्रस्ट/सोसायटी के माध्यम से योजना लागू की जाएगी उन राज्यों में वास्तविक खर्च या प्रीमियम सीमा (जो भी कम हो) पूर्व निर्धारित अनुपात में केंद्रीय धन उपलब्ध कराया जाएगा।
लाभार्थियों की संख्या
- एबी-एनएचपीएम 10.7 करोड़ गरीब, वंचित ग्रामीण परिवारों तथा ग्रामीण और शहरी दोनों को कवर करने वाले सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी) के नवीनतम डाटा के आधार के अनुसार शहरी श्रमिकों की चिन्हित व्यावसायिक श्रेणी को लक्षित करेगा।
- यह योजना गतिशील और आकांक्षी रूप में बनाई गई है और योजना एसईसीसी डाटा में भविष्य में होने वाले अलगाव/समावेशन और वंचन को ध्यान में रखेगी।
पृष्ठभूमि
- श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने 2008 में आरएसबीवाइ को लॉन्च किया। इसमें गरीबी रेखा के नीचे के पाँच सदस्यों वाले परिवारों तथा असंगठित श्रमिकों की 11 अन्य परिभाषित श्रेणियों पर प्रतिवर्ष 30,000 रुपए के लाभ कवरेज के साथ कैशलेस स्वास्थ्य बीमा का प्रावधान है।
- आरएसबीवाई को स्वास्थ्य प्रणाली से एकीकृत करने तथा इसे भारत सरकार के व्यापक स्वास्थ्य सुविधा विज़न का हिस्सा बनाने के लिये 01-04-2015 से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को हस्तांतरित कर दिया गया।
- 2016-17 के दौरान 3.63 करोड़ परिवार देश के 278 ज़िलों में आरएसबीवाई के अंतर्गत कवर किये गए और ये परिवार पैनल में शामिल 8,697 अस्पतालों में इलाज सुविधा का लाभ उठा सकेंगे।
- एनएचपीएस इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए लाया गया है कि विभिन्न केंद्रीय मंत्रालय तथा राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों ने अपने लाभार्थियों के लिये स्वास्थ्य बीमा/सुरक्षा योजनाएँ लागू की हैं।
- इन योजनाओं में मेल-मिलाप करने की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है ताकि सुधरी सक्षमता, पहुँच तथा कवरेज का लक्ष्य हासिल किया जा सके।