अंतर्राष्ट्रीय संबंध
आईपीआर के संबंध में भारत और स्वीडन के बीच समझौता ज्ञापन
- 17 Aug 2017
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चर्चा में क्यों
- हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और स्वीडन के बीच बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) के क्षेत्र में सहयोग के लिये समझौता ज्ञापन को मंज़ूरी दी।
- समझौता ज्ञापन में एक ऐसी व्यापक और सुगम व्यवस्था कायम करने का प्रावधान है जिसके जरिये दोनों देश बौद्धिक संपदा अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये उत्कृष्ट पद्धतियों और प्रौद्योगिकियों का आदान-प्रदान करेंगे।
समझौता ज्ञापन की विशेषताएँ
- समझौता ज्ञापन के अंतर्गत एक संयुक्त समन्वय समिति बनाई जाएगी जो इन क्षेत्रों में निम्न सहयोग गतिविधियों के बारे में निर्णय करेगी:
• दोनों देशों के लोगों, व्यापारियों और शैक्षिक संस्थानों के बीच बौद्धिक संपदा अधिकारों के बारे में उत्कृष्ट पद्धतियों, अनुभवों और जानकारियों का आदान-प्रदान;
• प्रशिक्षण कार्यक्रम में सहयोग, विशेषज्ञों का आदान-प्रदान, तकनीकी आदान-प्रदान और संपर्क गतिविधियाँ;
• संयुक्त रूप से या किसी एक राष्ट्र द्वारा आयोजित कार्यक्रमों और गतिविधियों के माध्यम से उद्योगों, विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों और विकास संगठनों तथा लघु और मध्यम उद्यमों के बीच बौद्धिक संपदा के बारे में उत्कृष्ट पद्धतियों, अनुभवों और जानकारियों का आदान-प्रदान;
• बौद्धिक संपदा के क्षेत्र में आटोमेशन और आधुनिकीकरण परियोजनाओं के कार्यान्वयन, नव प्रलेखन और सूचना प्रणालियों और बौद्धिक संपदा के प्रबंधन की प्रक्रियाओं के विकास में सहयोग;
• डिजिटल वातावरण, विशेषकर कॉपीराईट मुद्दों के संबंध में बौद्धिक संपदा कानून के उल्लंघन के बारे में जानकारियों और उत्कृष्ट पद्धतियों का आदान-प्रदान;
क्या होगा प्रभाव ?
- समझौता ज्ञापन भारत को बौद्धिक संपदा प्रणालियों में अनुभव का आदान-प्रदान करने में सक्षम बनाएगा, जिससे दोनों देशों के उद्यमियों, निवेशकों और व्यापारियों को महत्त्वपूर्ण लाभ पहुँचेगा।
- दोनों देशों के बीच उत्कृष्ट पद्धतियों के आदान-प्रदान से भारत के विविध प्रकार के बौद्धिक अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ेगी और उनका बेहतर संरक्षण किया जा सकेगा।
- दरअसल, बौद्धिक संपदा अधिकार उतने ही विविध हैं, जितनी विविधता भारत के लोगों में है। यह समझौता वैश्विक नवाचार के क्षेत्र में एक बड़ी शक्ति बनने की भारत की यात्रा में ऐतिहासिक सिद्ध होगा और राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति के लक्ष्यों को बढ़ावा देगा।