नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


शासन व्यवस्था

मंत्रिमंडल ने एससी/एसटी अधिनियम के प्रावधानों को बहाल करने के लिये विधेयक को मंजूरी दी।

  • 02 Aug 2018
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

केंद्र ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम, 1989 के मूल प्रावधानों को बहाल करने के लिये एक विधेयक पेश करने का निर्णय लिया है। इसे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मार्च में दिये गए निर्णय में निष्प्रभावी कर दिया गया था।

प्रमुख बिंदु:

  • संशोधन विधेयक में मूल अधिनियम की धारा 18 के बाद तीन नए खंडों को सम्मिलित करने की कोशिश की गई है।
  • पहला, इस अधिनियम के उद्देश्यों को निर्धारित करता है कि  “किसी भी व्यक्ति के विरुद्ध प्रारंभिक जाँच के लिये प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) की आवश्यकता नहीं है।
  • दूसरा यह बताता है कि इस अधिनियम के तहत अपराध करने के आरोप में किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिये किसी भी अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी।
  • जबकि तीसरा कहता है कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 438 का प्रावधान जो कि अग्रिम जमानत से संबंधित है,  किसी भी अदालत के किसी भी फैसले या आदेश के बावजूद इस अधिनियम के तहत किसी मामले पर लागू नहीं होगा।
  • उल्लेखनीय है कि 20 मार्च को सर्वोच्च न्यायालय ने अधिनियम के तहत मनमाने तरीके से गिरफ्तारी को रोकने के लिये कई दिशा-निर्देश जारी किये थे। इन दिशा निर्देशों के अनुसार-

♦ सरकारी कर्मचारियों को केवल नियुक्त प्राधिकारी की लिखित अनुमति के बाद गिरफ्तार किया जा सकता है, जबकि निजी कर्मचारियों के मामले में संबंधित वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की अनुमति के बाद ही गिरफ्तारी की अनुमति होनी चाहिये।
♦ साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि एफआईआर पंजीकृत होने से पहले यह जाँच करनी चाहिये कि मामला इस अधिनियम के दायरे में आता है या नहीं।

  • गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय के इसी फैसले के विरोध में 2 अप्रैल को दलित समूहों द्वारा देशव्यापी बंद का आह्वान किया गया था जिसमें हिंसा की कई वारदातें देखने को मिली थीं। हालाँकि, अदालत ने अपने फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
  • इसके पश्चात् दलित संगठनों ने 20 मार्च को निर्णय देने वाले न्यायधीश ए. के. गोयल के सेवानिवृति के बाद राष्ट्रीय हरित अधिकरण के अध्यक्ष के रूप में उनकी नियुक्ति का भी विरोध किया था।

इस संबंध में और अधिक जानकारी के लिये क्लिक करें :

SC/ST एक्‍ट पर सर्वोच्च न्यायालय का एक अहम फैसला

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow