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भारतीय अर्थव्यवस्था

बांध पुन:स्थापन और सुधार परियोजना के संशोधित लागत अनुमान को मंजूरी

  • 20 Sep 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रधानमंत्री की अध्‍यक्षता में मंत्रिमंडलीय आर्थिक समिति (CCEA) ने 3466 करोड़ रुपए की संशोधित लागत पर बांध पुन:स्‍थापन और सुधार परियोजना (DRIP) के संशोधित लागत अनुमान को अपनी मंज़ूरी दे दी है।

प्रमुख बिंदु

  • उल्लेखनीय है कि 198 बांधों की सुरक्षा और संचालन प्रदर्शन में सुधार तथा व्‍यापक प्रबंधन प्रणाली के साथ संस्‍थागत मज़बूती के लिये इस परियोजना में विश्‍व बैंक वित्तीय सहायता देगा।
  • 3466 करोड़ रुपए की इस परियोजना में 2628 करोड़ रुपए विश्‍व बैंक देगा और 747 करोड़ रुपए डीआरआईपी राज्‍य/क्रियान्‍वयन एजेंसियाँ और शेष 91 करेाड़ रुपए केंद्रीय जल आयोग देगा।
  • CCEA ने पूर्व प्रभाव से इस परियोजना के लिये 01 जुलाई, 2018 से 30 जून, 2020 तक दो वर्षों के समय विस्‍तार की स्‍वीकृति भी दी है।

प्रभाव

  • यह परियोजना च‍यनित वर्तमान बांधों की सुरक्षा और संचालन प्रदर्शन में सुधार लाएगी तथा जोखिम को कम कर निचले इलाकों की आबादी और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।
  • इस परियोजना से प्राथमिक रूप में जलाशय पर निर्भर शहरी और ग्रामीण समुदाय तथा निचले इलाके के समुदाय लाभान्वित होंगे। निचले इलाकों में रहने वाले लोग बांध के विफल होने या संचालन विफलता के कारण सर्वाधिक जोखिम में रहते हैं।
  • संस्‍थागत व्‍यवस्‍था को मज़बूत बनाकर बांध सुरक्षा संगठनों को और अधिक कारगर बनाया जाएगा ताकि बांध ढाँचागत दृष्टि से मज़बूत हों और कर्मचारियों तथा अधिकारियों की क्षमता सृजन के साथ संचालन की दृष्टि से भी मज़बूत हों।

उद्देश्य


  1. घटक -। बांध तथा इसके आस-पास के ढाँचों का पुन:स्‍थापन।
  2. घटक -।। संस्‍थागत मज़बूती।
  3. घटक -।।। परियोजना प्रबंधन।
  • इस योजना में 198 बांध परियोजनाओं के पुन:स्‍थापन का प्रावधान है। ये परियोजनाएँ भारत के 7 राज्‍यों– केरल, मध्‍य प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, कर्नाटक, झारखंड (दामोदर घाटी निगम) तथा उत्तराखंड (उत्तराखंड जल विद्युत निगम लि.) में स्थित हैं।

क्रियान्‍वयन एजेंसियों द्वारा प्रारंभिक और संशोधित लागत के साथ बांधों की संख्‍या इस प्रकार दी गई है:-

पृष्ठभूमि

  • मूल रूप से DRIP की कुल लागत 2100 करोड़ रुपए थी जिसमें राज्य का हिस्सा 1968 करोड़ रुपए और केंद्र का हिस्सा 132 करोड़ रूपए था।
  • प्रारंभ में यह परियोजना 6 वर्ष की अवधि के लिये थी। यह 18 अप्रैल, 2012 को प्रारंभ हुई और इसकी समाप्ति अवधि 30 जून, 2018 थी।
  • केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय तथा विश्व बैंक द्वारा वर्ष 2017 में सैद्धांतिक रूप से परियोजना क्रियान्वयन को दो वर्षों का विस्तार देते हुए परियोजना समाप्ति की संशोधित तिथि को 30 जून, 2020 कर दिया गया।
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