पूर्वोत्तर परिषद के पुनर्गठन को मिली स्वीकृति | 15 Jun 2018
चर्चा में क्यों?
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पूर्वोत्तर परिषद के पुनर्गठन को स्वीकृति दे दी है। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय द्वारा पूर्वोत्तर परिषद के पुनर्गठन में केंद्रीय गृहमंत्री को इस संस्था का पदेन अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव किया गया था।
संगठन
- नई व्यवस्था के अंतर्गत पूर्वोत्तर परिषद के अध्यक्ष गृह मंत्री होंगे और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री उपाध्यक्ष होंगे।
- इस संस्था में सभी आठ पूर्वोत्तर राज्यों के राज्यपाल और मुख्यमंत्री सदस्य हैं।
- मंत्रिमंडल ने पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) को परिषद के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करने की भी स्वीकृति दे दी है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- NEC राज्य और केंद्र सरकार के माध्यम से विभिन्न परियोजनाओं को लागू करती है।
- यह परिषद अंतर-राज्यीय विषयों पर विस्तृत विचार-विमर्श के लिये मंच प्रदान करेगी और भविष्य में अपनाये जाने वाले समान दृष्टिकोणों पर विचार भी करेगी।
- NEC अब मादक द्रव्यों की तस्करी, हथियारों और गोला-बारूदों की तस्करी, सीमा विवादों जैसे अंतर-राज्यीय विषयों पर विचार-विमर्श के लिये विभिन्न क्षेत्रीय परिषदों द्वारा किये जा रहे कार्यों की निगरानी करेगी।
- NEC के नए स्वरूप से यह पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिये कारगर संस्था बनेगी।
- परिषद समय-समय पर परियोजनाओं/योजनाओं के कार्यान्वयन की समीक्षा करेगी, इन परियोजनाओं आदि के लिये राज्यों के बीच समन्वय के लिये कारगर उपायों की सिफारिश करेगी।
- परिषद को केंद्र सरकार द्वारा दी गई शक्तियाँ प्राप्त होंगी।
पृष्ठभूमि :
- NEC की स्थापना पूर्वोत्तर परिषद अधिनियम, 1971 के अंतर्गत की गई थी।
- इसकी स्थापना संतुलित और समन्वित विकास सुनिश्चित करने तथा राज्यों के साथ समन्वय में सहायता देने केलिये शीर्ष संस्था के रूप में की गई थी।
- इसके सदस्य पूर्वोत्तर भारत के आठ राज्य अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नगालैण्ड, सिक्किम और त्रिपुरा हैं।
- इसका मुख्यालय शिलॉन्ग में स्थित है और यह पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (भारत सरकार) के अंतर्गत आती है।
- 2002 के संशोधन के बाद NEC को पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिये क्षेत्रीय नियोजन संस्था के रूप में कार्य करने का अधिकार दिया गया है और NEC इस क्षेत्र के लिये क्षेत्रीय योजना बनाते समय दो या अधिक राज्यों को लाभ पहुँचाने वाली योजनाओं और परियोजनाओं को प्राथमिकता देगी।
- परिषद सिक्किम के मामले में विशेष परियोजनाएँ और योजनाएँ बनाएगी।
पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय
- पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय का दायित्व पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास संबंधी परियोजनाओं के लिये योजना बनाने, उनका किर्यान्वयन और देख-रेख करना है।
- इसका दृष्टिकोण क्षेत्र के सामाजिक - आर्थिक विकास की गति को बढ़ाना है ताकि इसे देश के अन्य भागों में हो रहे विकास के समान लाभ मिल सकें।