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कृ‍षि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड (एएसआरबी)

  • 02 Aug 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) में विभिन्न पदों पर मेधावी वैज्ञानिकों की भर्ती में अधिक पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करने के लिये प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में मंत्रिमंडल ने कृ‍षि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड (Agricultural Scientists' Recruitment Board -एएसआरबी) को मंज़ूरी दी है।

प्रमुख बिंदु

  • एएसआरबी में अब तीन सदस्‍यों के स्‍थान पर चार सदस्‍य होंगे। बोर्ड में एक अध्‍यक्ष और तीन सदस्‍य होंगे।
  • एएसआरबी के सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्ष या 65 वर्ष की (जो भी पहले हो) तक होगी।
  • स्‍वायत्तता, गोपनीयता, उत्‍तरदायित्‍व और एएसआरबी के कारगर संचालन के उद्देश्‍य को ध्‍यान में रखते हुए उसे आईसीएआर से पृथक कर दिया जाएगा तथा कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय के अधीन कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग से जोड़ दिया जाएगा।
  • एएसआरबी का बजट भी आईसीएआर से पृथक करके कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के अधीन कर दिया जाएगा। एएसआरबी का सचिवालय में अपना प्रशासनिक स्‍टॉफ होगा और उसका स्‍वतंत्र प्रशासनिक नियंत्रण होगा।

लाभ

  • एक अध्‍यक्ष और तीन सदस्‍यों वाले चार सदस्‍यीय संस्‍था के गठन से एएसआरबी के कामकाज को दुरुस्‍त किया जाएगा।
  • इसके परिणामस्वरूप भर्ती प्रक्रिया में तेज़ी आएगी, जो कृषि समुदाय और कृषि के लिये फायदेमंद होगी। 
  • इसके अलावा देश में कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा संबंधी प्रमुख एजेंसी आईसीएआर में विभिन्‍न वैज्ञानिक पदों पर प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों की भर्ती पारदर्शी और कुशल तरीके से संभव होगी।

कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड के बारे में

  • नवंबर 1973 में सरकार ने कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड की स्‍थापना को मंज़ूरी दी थी, जिसमें एक पूर्णकालिक अध्‍यक्ष की नियुक्ति शामिल थी। 
  • इसके तहत कृषि अनुसंधान सेवा एवं अनुसंधान पदों पर विभिन्‍न वैज्ञानिकों की नियुक्ति के संबंध में स्‍वतंत्र भर्ती एजेंसी के रूप में काम करना तय किया गया था।
  • एएसआरबी के कामकाज में बढ़ोतरी को ध्‍यान में रखते हुए बोर्ड के पुनर्गठन का प्रस्‍ताव किया गया था। इस प्रस्‍ताव को अक्तूबर 1986 में मंत्रिमंडल ने मंज़ूरी दी थी जिसके तहत सदस्‍यता एक से बढ़ाकर तीन कर दी गई थी। 
  • 1986 में हुए एएसआरबी के पुनर्गठन के बाद से बोर्ड का कामकाज बढ़ता गया और कृषि विज्ञान के क्षेत्र में उसकी भूमिका भी बढ़ गई। तद्नुसार बोर्ड के दायरे को बढ़ाने की आवश्‍यकता महसूस की गई, जिसके मद्देनज़र अध्‍यक्ष एवं अन्‍य सदस्‍यों को विशेषज्ञता के आधार पर शामिल किया जाना तय हुआ। 
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