भगौड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक, 2018 को मंत्रिमंडल की मंज़ूरी | 03 Mar 2018

चर्चा में क्यों?

  • आर्थिक अपराध के सिलसिले में होने वाली गिरफ्तारी से बचने के लिये विजय माल्या द्वारा भारत से फरार होने के बाद पिछले साल के केंद्रीय बजट में यह घोषणा की गई थी कि सरकार ऐसे आर्थिक अपराधियों की संपति को अपने अधिकार में लेने के लिये जल्द ही एक कानून लाएगी। 
  • हाल ही में 12,000 करोड़ रुपए से अधिक के नीरव मोदी-PNB घोटाले के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भगौड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक, 2018 को संसद के समक्ष रखने के वित्त मंत्रालय के प्रस्‍ताव को अनुमति प्रदान कर दी है।
  • इस विधेयक में भारतीय न्‍यायालयों के कार्यक्षेत्र से बाहर रहकर भारतीय कानूनी प्रक्रिया से बचने वाले आर्थिक अपराधियों की इस प्रवृत्ति को रोकने के लिये कड़े उपाय शामिल किये गए हैं।

पृष्‍ठभूमि

  • आर्थिक अपराधियों के ऐसे अनेक मामले घटित हुए हैं जब आपराधिक मामलों के शुरुआत की संभावना के चलते अथवा आपराधिक कार्यवाही के लंबित रहने के दौरान ही आर्थिक अपराधी भारतीय न्‍यायालयों के अधिकार क्षेत्र से भाग जाते हैं।
  • भारतीय न्‍यायालयों में ऐसे अपराधियों की अनुपस्‍थिति के कारण अनेक विषम परिस्‍थितियाँ उत्‍पन्‍न हो जाती हैं। जैसे- प्रथमत: इससे आपराधिक मामलों की जाँच रुक सी जाती है, दूसरे इससे न्‍यायालयों का मूल्‍यवान समय बर्बाद होता है और तीसरा, इससे भारत में विधि के शासन का अवमूल्‍यन होता है।
  • इसके अलावा, आर्थिक अपराध के अधिकांश मामलों में बैंक ऋणों की गैर-अदायगी शामिल होती है, जिससे भारत के बैंकिंग क्षेत्र की वित्तीय स्‍थिति बदतर हो जाती है।
  • इस समस्‍या की गंभीरता से निपटने के लिये कानून में मौजूदा सिविल और आपराधिक प्रावधान अपर्याप्‍त हैं। 
  • अतएव ऐसे आर्थिक अपराधों की रोकथाम सुनिश्‍चित करने के लिये प्रभावी, त्वरित और संवैधानिक दृष्‍टि से मान्‍य प्रावधानों का होना आवश्‍यक है।
  • यहाँ उल्‍लेखनीय है कि भ्रष्‍टाचार से संबंधित मामलों में गैर-दोषसिद्धि आधारित संपत्ति को जब्‍त करने का प्रावधान भ्रष्टाचार के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्‍वेंशन द्वारा अनुसमर्थित है जिसकी भारत ने 2011 में ही अभिपुष्टि कर दी थी।
  • विधेयक में इसी सिद्धांत को स्वीकार किया गया है।
  • हाल ही में ऐसे आर्थिक अपराधों की रोकथाम की दिशा में कदम उठाते हुए सरकार द्वारा राष्ट्रीय वित्तीय सूचना प्राधिकरण (NFRA) के गठन को मंज़ूरी दी गई है, जो कंपनियों में होने वाले लेखापरीक्षा संबंधी अनियमिताओं पर अंकुश लगाने के लिये ऑडिटर्स का विनियमन करेगा। 

क्या है प्रस्तावित विधेयक?

  • विधेयक का उद्देश्य क़ानूनी कार्रवाई से बचने के लिये देश छोड़ने वाले आर्थिक अपराधियों को रोकना है।
  • इस क़ानून के दायरे में कुल 100 करोड़ रुपए अथवा अधिक मूल्‍य के आर्थिक अपराध आएंगे।
  • आर्थिक अपराध, वे अपराध हैं जो भारतीय दंड संहिता, भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, सेबी अधिनियम, सीमा शुल्क अधिनियम, कंपनी अधिनियम, सीमित देयता भागीदारी अधिनियम और दिवाला तथा दिवालियापन संहिता के तहत परिभाषित किये गए हैं।

कौन है भगोड़ा आर्थिक अपराधी?

  • कानून की धारा 4 के अनुसार कोई भी व्यक्ति, जिसके खिलाफ भारत में किसी भी अदालत द्वारा अनुसूचित अपराध के संबंध में गिरफ्तारी के लिये वारंट जारी किया गया है, एक भगोड़ा आर्थिक अपराधी है जो आपराधिक मुकदमे से बचने के लिये भारत छोड़ देता है या छोड़ चुका है अथवा आपराधिक मुकदमों का सामना करने के लिये भारत लौटने से मना कर देता है।
  • विधेयक के अंतर्गत 100 करोड़ रुपए अथवा अधिक मूल्‍य के भगौड़ा आर्थिक अपराधियों की संपत्ति जब्‍त करने का प्रावधान है।

विधेयक की मुख्‍य-मुख्‍य बातें

  • किसी व्‍यक्‍ति को  भगौड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने के लिये केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त सक्षम प्राधिकारी द्वारा विशेष न्‍यायालय के समक्ष आवेदन करना।
  • इस आवेदन में किसी व्यक्ति को भगौड़ा आर्थिक अपराधी मानने के कारण, वर्तमान में वह कहाँ हो सकता है इसकी कोई उपलब्ध सूचना, संबंधित संपत्ति और इस संपत्ति से जुड़े सभी लोगों की जानकारी का उल्लेख होना चाहिये।
  • भगौड़ा आर्थिक अपराधी के रूप में घोषित व्‍यक्‍ति की संपत्ति को जब्‍त करना और अधिनियम के अंतर्गत जब्‍त की गई संपत्ति के प्रबंधन व निपटान के लिये एक प्रशासक की नियुक्‍ति की जाएगी।
  • भगौड़ा आर्थिक अपराधी होने के आरोपित व्‍यक्‍ति को विशेष न्‍यायालय द्वारा नोटिस जारी करना।
  • भगौड़ा आर्थिक अपराधी घोषित व्यक्ति की अपराध के फलस्‍वरूप कमाई गई संपत्ति को जब्‍त करना।
  • ऐसे अपराधी की बेनामी संपत्ति सहित भारत और विदेशों में मौज़ूद अन्‍य संपत्तियों को जब्‍त करना
  • भगौड़े आर्थिक अपराधी को किसी सिविल दावे का बचाव करने से अपात्र बनाना।
  • हालाँकि ऐसे मामले में जहाँ किसी व्‍यक्‍ति के भगौड़ा घोषित होने के पूर्व किसी भी समय कार्यवाही की प्रक्रिया के दौरान आर्थिक अपराधी भारत लौट आता है और सक्षम न्‍यायालय के समक्ष पेश होता है, तो उस स्‍थिति में प्रस्‍तावित अधिनियम के अंतर्गत क़ानूनी कार्यवाही रोक दी जाएगी।
  • सभी आवश्‍यक संवैधानिक रक्षा उपाय जैसे अधिवक्‍ता के माध्यम से व्‍यक्‍ति को सुनवाई का अवसर, उतर दाखिल करने के लिये समय प्रदान करना, उसे भारत अथवा विदेश में समन भिजवाना तथा उच्‍च न्यायालय में अपील करने जैसे प्रावधान शामिल किये गए हैं।

प्रभाव

  • इस विधेयक से भगौड़ा आर्थिक अपराधियों के संबंध में विधि के शासन की पुनर्स्‍थापना होने की आशा है क्‍योंकि इससे उन्‍हें सूचीबद्ध अपराधों संबंधी मुक़दमे का सामना करने हेतु भारत वापस आने के लिये बाध्‍य किया जाएगा।
  • इससे बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को इस तरह के भगोड़ा आर्थिक अपराधियों के वित्तीय बकाया की उच्च वसूली करने में मदद मिलेगी जिससे इन संस्थानों की वित्तीय स्थिति में सुधार होगा।
  • यह आशा की जाती है कि भारत और विदेशों में भगौड़े अपराधियों की संपत्तियों को तेज़ी से जब्‍त करने, उन्हें भारत लौटने और सूचीबद्ध अपराधों के संबंध में कानून का सामना करने के लिये बाध्य कर भारतीय न्‍यायालयों के समक्ष पक्ष रखने के लिये एक विशेष तंत्र का सृजन किया जा सकेगा।