शासन व्यवस्था
15वें वित्त आयोग के कार्यकाल के विस्तार को मंज़ूरी
- 19 Jul 2019
- 5 min read
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 15वें वित्त आयोग (Fifteenth Finance Commission-FFC) का कार्यकाल 30 नवंबर, 2019 तक बढ़ाने का निर्णय लिया है। इससे वित्त आयोग सुधार कार्यक्रमों को ध्यान में रखते हुए वित्तीय अनुमानों के लिये विभिन्न तुलना योग्य अनुमानों पर विचार कर सकेगा।
प्रमुख बिंदु
- राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 280 की धारा (1) तथा वित्त आयोग (विविध प्रावधान) अधिनियम, 1951 का उपयोग करते हुए 27 नवंबर, 2017 को 15वें आयोग का गठन किया था।
- आयोग को अपने कार्य क्षेत्र के आधार पर 1 अप्रैल, 2020 से प्रारंभ 5 वर्षों की अवधि के लिये 30 अक्तूबर, 2019 तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी थी।
- केंद्र सरकार द्वारा पिछले 4 वर्षों में किये गए प्रमुख वित्तीय/बजट सुधारों को ध्यान में रखते हुए आयोग का गठन किया गया है।
- इन सुधारों में योजना आयोग को समाप्त करना और उसकी जगह नीति आयोग लाना, गैर-योजना तथा योजना व्यय के बीच भेद को समाप्त करना, बजट कैलेंडर को एक महीना आगे बढ़ाना और पहली फरवरी को नया वित्त वर्ष प्रारंभ होने से पहले पूर्ण बजट पारित करना, जुलाई 2017 से वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू करना, उधारी तथा वित्तीय घाटा उपाय के साथ नया FRBM ढाँचा बनाना शामिल है।
15वें वित्त आयोग की संरचना
- अनुच्छेद 280(1) के तहत उपबंध है कि राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त्त किये जाने वाले एक अध्यक्ष और चार अन्य सदस्यों से मिलकर वित्त आयोग बनेगा।
- 15वें वित्त आयोग का कार्यकाल 2020-25 तक होगा। अभी तक 14 वित्त आयोगों का गठन किया जा चुका है। 14वें वित्त आयोग की सिफारिशें वित्तीय वर्ष 2019-20 तक के लिये वैध हैं।
वित्त आयोग के सदस्यों हेतु अर्हताएँ
संसद द्वारा वित्त आयोग के सदस्यों की अर्हताएँ निर्धारित करने हेतु वित्त आयोग (प्रकीर्ण उपबंध) अधिनियम,1951 पारित किया गया है। इसका अध्यक्ष ऐसा व्यक्ति होना चाहिये जो सार्वजनिक तथा लोक मामलों का जानकार हो। अन्य चार सदस्यों में उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने की अर्हता हो या उन्हें प्रशासन व वित्तीय मामलों का या अर्थशास्त्र का विशिष्ट ज्ञान हो।
वित्त आयोग के कार्य दायित्व
- भारत के राष्ट्रपति को यह सिफारिश करना कि संघ एवं राज्यों के बीच करों की शुद्ध प्राप्तियों को कैसे वितरित किया जाए एवं राज्यों के बीच ऐसे आगमों का आवंटन।
- अनुच्छेद 275 के तहत संचित निधि में से राज्यों को अनुदान/सहायता दी जानी चाहिये।
- राज्य वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर पंचायतों एवं नगरपालिकाओं के संसाधनों की आपूर्ति हेतु राज्य की संचित निधि में संवर्द्धन के लिये आवश्यक कदमों की सिफारिश करना।
- राष्ट्रपति द्वारा प्रदत्त अन्य कोई विशिष्ट निर्देश, जो देश के सुदृढ़ वित्त के हित में हों।
- आयोग अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपता है, जिसे राष्ट्रपति द्वारा संसद के दोनों सदनों में रखवाया जाता है।
- प्रस्तुत सिफारिशों के साथ स्पष्टीकरण ज्ञापन भी रखवाया जाता है ताकि प्रत्येक सिफारिश के संबंध में हुई कार्यवाही की जानकारी हो सके।
- वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशें सलाहकारी प्रवृत्ति की होती हैं, इसे मानना या न मानना सरकार पर निर्भर करता है।