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भारतीय अर्थव्यवस्था

जारी रहेगा ऑफ-ग्रिड और विकेंद्रीयकृत सौर पीवी अनुप्रयोग कार्यक्रम

  • 08 Jun 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने 2020 तक अतिरिक्‍त 118 मेगावाट पीक (Mega Watt peak - MWp) ऑफ-ग्रिड सौर पीवी क्षमता हासिल करने के लिये ऑफ-ग्रिड और विकेंद्रीयकृत सौर पीवी (फोटो वोल्टिक) अनुप्रयोग कार्यक्रम [Decentralised Solar PV (Photo Voltaic) Application Programme] के तीसरे चरण को लागू किये जाने की स्‍वीकृति दी है।

ऑफ-ग्रिड और विकेंद्रीयकृत सौर पीवी (फोटो वोल्टिक) अनुप्रयोग कार्यक्रम की विशेषताएँ

1. सौर स्‍ट्रीट लाइट

  • ग्रिड पावर के माध्‍यम से देश भर में 3 लाख सौर स्‍ट्रीट लाइट्स लगाई जाएंगी, जिसमें मुख्‍य ज़ोर ऐसे क्षेत्रों पर होगा जहाँ स्‍ट्रीट लाइटिंग सिस्‍टम की सुविधा नहीं है।
  • इनमें मुख्‍य रूप से पूर्वोत्तर राज्‍य और वामपंथी चरमपंथ (Left Wing Extremism-LWE) प्रभावित ज़िले शामिल हैं।

2. एकल सौर ऊर्जा संयंत्र

  • ऐसे क्षेत्रों में 25 kWp (kilo Watt peak) क्षमता तक के सौर ऊर्जा संयंत्रों को बढ़ावा दिया जाएगा, जहाँ ग्रिड विद्युत की पहुँच नहीं है या विश्‍वसनीय नहीं है। 
  • इस भाग का मुख्‍य उद्देश्‍य विद्यालयों, छात्रावासों, पंचायतों, पुलिस थानों और अन्‍य सरकारी संस्‍थानों को बिजली उपलब्‍ध कराना है। इन सौर ऊर्जा संयंत्रों की कुल क्षमता 100 MWp होगी।

3. सौर स्‍टडी लैंप

  • पूर्वोत्‍तर राज्‍यों और LWE प्रभावित ज़िलों को 25,00,000 सौर स्‍टडी लैंप उपलब्‍ध कराए जाएंगे।

वित्तीय आवंटन

  • पूर्वोत्‍तर राज्‍यों, पर्वतीय राज्‍यों और संघशासित द्वीपों को छोड़कर दूसरे क्षेत्रों में सौर स्‍ट्रीट लाइट एवं सौर ऊर्जा संयंत्रों के लिये बेंचमार्क लागत का 30 प्रतिशत वित्तीय सहयोग उपलब्‍ध कराया जाएगा।
  • वहीं पूर्वोत्‍तर राज्‍यों, पर्वतीय राज्‍यों और संघशासित द्वीपों में इसके लिये बेंचमार्क लागत का 90 प्रतिशत वित्‍तीय सहयोग के रूप में उपलब्‍ध कराया जाएगा।
  • सौर स्‍टडी लैंप के लिये लाभार्थी विद्यार्थी को लैंप की लागत का सिर्फ 15 प्रतिशत वहन करना पड़ेगा और शेष धनराशि वित्‍तीय सहयोग के तौर पर उपलब्‍ध कराई जाएगी। ये प्रणालियाँ पिछड़े और दूरदराज के क्षेत्रों के स्‍कूली बच्‍चों को उपलब्‍ध कराई जाएंगी।

कार्यक्रम का तीसरा चरण

  • चरण – 3 में शामिल इस परियोजना के तीन घटकों पर कुल 1,895 करोड़ रुपए की लागत आएगी, जिसमें से 637 करोड़ रुपए केंद्रीय वित्‍तीय सहायता के तौर पर उपलब्‍ध कराए जाएंगे।

लाभ 

  • ऑफ ग्रिड सौर प्रणालियों से ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में बेहतर आजीविका के  अवसर पैदा होंगे, जिससे ऐसे क्षेत्रों में स्‍वरोज़गार को बढ़ावा मिलेगा।
  • एक अनुमान के अनुसार, चरण – 3 के लागू होने से स्‍वरोज़गार को बढ़ावा मिलने के अलावा कुशल और अकुशल कामगारों के लिये 8.67 लाख कार्य दिवस के बराबर रोज़गार के अवसर पैदा होने का अनुमान है। 

ऑफ-ग्रिड और विकेंद्रीयकृत सौर पीवी अनुप्रयोग कार्यक्रम का देश के ऐसे ग्रामीण और दूरदराज़ के क्षेत्रों पर अच्‍छा प्रभाव पड़ा है, जहाँ या तो ग्रिड पावर की पहुँच नहीं है या यह विश्वसनीय नहीं है। चरण-3 के दौरान इस कार्यक्रम से 40 लाख ग्रामीण परिवारों को फायदा होने का अनुमान है। इसके अलावा, कार्यक्रम में प्रस्तावित ऑफ ग्रिड सौर ऊर्जा संयंत्रों से विद्यालयों, छात्रावासों, पंचायतों, पुलिस थानों और अन्‍य सरकारी संस्‍थानों तक बिजली पहुँचने से आम जनता को व्‍यापक रूप से मदद मिलेगी। साथ ही शैक्षणिक, सामाजिक और आजीविका से संबंधित गतिविधियों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।

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