विपो कॉपीराइट संधि और विपो परफॉरमेंस एंड फोनोग्राम संधि के प्रस्तावों को मंज़ूरी | 06 Jul 2018
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली केंद्रीय मंत्रिमंडल ने औद्योगिक नीति व संवर्द्धन विभाग, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के विपो कॉपीराइट संधि तथा विपो परफॉरमेंस एंड फोनोग्राम संधि के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
प्रमुख बिंदु
- इन संधियों के अंतर्गत इंटरनेट और डिजिटल कॉपीराइट भी शामिल हैं।
- 12 मई, 2016 को सरकार द्वारा लागू राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा कानून (आईपीआर) में उल्लिखित उद्देश्य की पूर्ति की दिशा में यह मंजूरी एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- इसका उद्देश्य वाणिज्यिक उपयोग के ज़रिए आईपीआर का लाभ प्राप्त करना है।
- इसके लिये ईपीआर (End Paint Responsibility) के मालिकों को इंटरनेट और मोबाइल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध अवसरों के संबंध में दिशा-निर्देश व सहायता प्रदान की जाती है।
लाभ
- अंतर्राष्ट्रीय कॉपीराइट प्रणाली के ज़रिये रचनात्मक अधिकार धारकों को उनके श्रम का मूल्य प्राप्त होगा।
- घरेलू कॉपीराइट धारकों को अंतर्राष्ट्रीय कॉपीराइट धारकों के समान सुरक्षा सुविधा मिलेगी।
- दूसरे देशों में प्रतिस्पर्द्धा का समान अवसर प्राप्त होगा, क्योंकि भारत विदेशी कॉपीराइट को मान्यता देता है।
- डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रचनात्मक उत्पादों के निर्माण और वितरण में किये जाने वाले निवेश पर लाभ प्राप्त होगा और इससे आत्मविश्वास बढ़ेगा।
- व्यापार में वृद्धि होगी और एक रचना आधारित अर्थव्यवस्था तथा एक सांस्कृतिक परिदृश्य का विकास होगा।
विपो कॉपीराइट संधि और विपो परफॉरमेंस एंड फोनोग्राम संधि
- विपो कॉपीराइट संधि 6 मार्च, 2002 को लागू हुई थी और अब तक 96 अनुबंध पक्षों द्वारा अपनाई जा चुकी है।
- यह बर्न कन्वेंशन(साहित्यिक और कलात्मक कार्यों की सुरक्षा के लिये)के तहत एक विशेष समझौता है।
- विपो परफॉरमेंस एंड फोनोग्राम संधि 20 मई, 2002 को लागू हुई थी और इसके 96 सदस्य हैं।
- यह दो प्रकार के लाभार्थियों(खासकर डिजिटल पर्यावरण)के अधिकारों से संबंधित है जिसमें- पहले,कलाकार(अभिनेता, गायक, संगीतकार इत्यादि)और दूसरे,फोनोग्राम के निर्माता (ध्वनि रिकॉर्डिंग करने वाले)हैं ।
- दोनों ही संधियाँ रचनाकारों को तकनीकी सुविधाओं का उपयोग करते हुए रचनाओं को सुरक्षित रखने के लिये फ्रेमवर्क उपलब्ध कराती हैं।