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भारतीय अर्थव्यवस्था

महत्त्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन परियोजना में नई अड़चन

  • 02 Jun 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

केंद्र सरकार की सबसे महत्त्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना, जिसके अगस्त 2022 तक पूरी हो जाने की संभावना थी, को  महाराष्ट्र में भूमि अधिग्रहण को लेकर स्थानीय समुदायों और आदिवासी गाँवों के सख्त विरोध के चलते अवरोध का सामना करना पड़ रहा है। 

महत्त्वपूर्ण बिंदु 

  • महाराष्ट्र के पालघर ज़िले के 70 से अधिक जनजातीय गाँवों ने परियोजना के लिये ज़मीन देने से इनकार कर दिया है और प्रस्तावित रेल गलियारे के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया है|
  • देश की पहली हाईस्पीड रेल परियोजना पर जनवरी 2019 से काम शुरू होना है और सरकार ने 508 किलोमीटर लंबे इस कॉरीडोर के लिये इस साल के अंत तक भूमि अधिग्रहण कार्य पूरा करने की डेडलाइन तय की है।
  • मुंबई और अहमदाबाद को जोड़ने वाले इस हाईस्पीड रेल कॉरिडोर का करीब 110 किलोमीटर का हिस्सा महाराष्ट्र के पालघर ज़िले से होकर गुज़रता है। 
  • रेल मंत्रालय के मुताबिक इस प्रोजेक्ट पर काम टाइमलाइन के भीतर ही शुरू हो जाएगा। मंत्रालय ने ज़मीन अधिग्रहण के लिये किसानों को सर्किल रेट से 5 गुना अधिक कीमत देने की पेशकश की है।
  • इस प्रोजेक्ट के लिये भारतीय रेलवे महाराष्ट्र और गुजरात में लंबाई में 1,400 हेक्टेयर ज़मीन का अधिग्रहण कर रही है। इस पर 10,000 करोड़ रुपए की लागत आने की संभावना है।
  • पालघर ज़िले के कुछ गाँवों में 200  हेक्टेयर ज़मीन के अधिग्रहण को लेकर विरोध है। इनमें से ज़्यादातर आदिवासी गाँव हैं और इनमें विकास की खासी कमी है।
  • स्थानीय राजनीति भी यहाँ विरोध को हवा दे रही है, जबकि यह प्रोजेक्ट राष्ट्रीय महत्त्व का होने के साथ ही स्थानीय विकास में भी महत्त्वपूर्ण साबित होगा। 
  • इन 73 गाँवों में से 50 गाँव जल्दी ही राजी हो सकते हैं। इनसे बातचीत की प्रक्रिया जारी है। मुख्य समस्या 23 गाँवों के साथ है, जो रेलवे के साथ किसी भी तरह की वार्ता के लिये तैयार नहीं हैं।
  • 508 किलोमीटर लंबे रेलवे के इस रूट पर 12 स्टेशन होंगे जिसमें बांद्रा कुर्ला काम्प्लेक्स, ठाणे, विरार, बोइसर, वापी, बिलिमोरा, सूरत, भरुच, वड़ोदरा, आणंद, अहमदाबाद और साबरमती शामिल हैं।
  • इस रूट का 349 किलोमीटर हिस्सा गुजरात से होकर गुज़रता है, जबकि 154 किलोमीटर हिस्सा महाराष्ट्र से गुज़रता है।
  • इसका 7 किलोमीटर हिस्सा मुंबई के उपनगरीय इलाके से गुज़रता है और 39 किलोमीटर ठाणे तथा 110 किलोमीटर पालघर से होकर जाता है।
  • भारत सरकार को जापानी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (JICA) से धन प्राप्त होना शुरू हो गया है और मुंबई के कुछ हिस्सों में भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया की शुरुआत कर दी गई है। 
  • JICA 0.1% की वार्षिक ब्याज दर पर 50 वर्षों की अवधि के लिये  परियोजना हेतु 88,000 करोड़ रुपये का ऋण प्रदान कर रहा है।
  • जापान ने रेलवे को 15 साल का समय दिया है  जिसका मतलब है कि जापान ऋण जारी होने की तिथि से 15 साल बाद रेलवे से भुगतान प्राप्त करना शुरू कर देगा।
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