राष्ट्रीय नीति, उन्नत प्रौद्योगिकियों में नीति आयोग की भूमिका | 22 Feb 2018
चर्चा में क्यों?
वित्त मंत्री द्वारा नए भारत के लिये प्रस्तुत बजट से देश में परिवर्तन के वाहक के रूप में नीति आयोग की भूमिका मज़बूत हुई है। योजना मंत्रालय, जो नीति आयोग का एक हिस्सा है, के लिये वर्ष 2017-18 के 279.79 करोड़ रुपए की आवंटन राशि को 20 प्रतिशत से अधिक बढ़ाकर वर्ष 2018-19 के लिये 339.65 करोड़ रुपए कर दिया गया है। इस बजट में कृत्रिम बुद्धिमत्ता और कृषि नीति जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों के लिये नीति आयोग की भूमिका परिभाषित की गई है।
- इसके अलावा नीति आयोग के तीन वर्षीय कार्य एजेंडा, सात वर्षीय कार्यनीति और 15 वर्षीय दृष्टि-पत्र के अनुरुप राष्ट्रीय विकास में साझा दृष्टिकोण को भी दोहराया गया है।
बजट में नीति आयोग
- नीति आयोग केंद्र और राज्य सरकारों के परामर्श से एक विश्वसनीय व्यवस्था करेगा ताकि किसानों को उनके उत्पाद के लिये उचित मूल्य मिल सके।
- नीति आयोग राज्य सरकारों के परामर्श से एक उपयुक्त व्यवस्था ईज़ाद करेगा ताकि पट्टेदारों को ऋण भी मिले और भू-स्वामियों के अधिकार भी सुरक्षित रहें।
- नीति आयोग कृत्रिम बुद्धिमत्ता, इसके अनुसंधान और अनुप्रयोग के क्षेत्र में सरकार के प्रयासों को दिशा देने के लिये एक राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू करेगा।
- ऊपर उल्लिखित के अलावा, दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना ‘आयुष्मान भारत’ की आयोजना में नीति आयोग के अधिकारियों, सलाहकारों और नीति निर्माण की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
नीति आयोग
- 1 जनवरी, 2015 को थिंक टैंक के रूप में अस्तित्व में आए नीति आयोग का मुख्य कार्य न्यू इंडिया के निर्माण का विज़न एवं रणनीतिक मसौदा बनाना तथा कार्ययोजनाएँ तैयार करना है।
- केंद्र सरकार की नीति निर्धारण संस्था के रूप में नीति आयोग देशभर से सुझाव आमंत्रित करके जन-भागीदारी एवं राज्य सरकारों की भागीदारी से नीतियाँ बनाने का काम करता है।
- 15 अगस्त, 2014 को प्रधानमंत्री ने योजना आयोग को भंग करने की घोषणा की थी। उसके बाद जब योजना आयोग भंग हुआ तो उसके साथ ही पंचवर्षीय योजना का युग भी समाप्त हो गया।
- नीति आयोग की स्थापना के बाद योजनांतर्गत व्यय और गैर-योजनांतर्गत व्यय का अंतर समाप्त हो चुका है। अब केंद्र सरकार से राज्य सरकारों को धनराशि का हस्तांतरण केवल केंद्रीय वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर होता है।
नीति आयोग – अभी तक का सफर और भविष्य के लिये योजनाएँ
नीति आयोग ने अपने गठन के प्रारंभ से ही भारत के नीतिगत मामलों में एक अहम भूमिका निभाई है। उदाहरण के तौर पर,
- भारतीय कृषि के पुनरुत्थान और किसानों की आय दोगुनी करने हेतु रूपरेखा तैयार करना।
- अनुसूचित जाति/जनजाति के लिये निश्चित निधि के अंतरण हेतु नए दिशा-निर्देश तैयार करना।
- राष्ट्रीय ऊर्जा नीति का कार्यान्वयन करना।
- राष्ट्रीय पोषण कार्यनीति का कार्यान्वयन करना।
- राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद विधेयक।
- राष्ट्रीय चिकित्सा कार्यनीति का कार्यान्वयन करना।
- केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के कार्यनीतिक विनिवेश संबंधी सिफारिशें करना।
- आदर्श भूमि पट्टाकरण विधेयक का निर्माण करना।
- पूर्वोत्तर औद्योगिक विकास स्कीम (एनईआईडीएस), 2017 के माध्यम से पूर्वोत्तर को विकास सहायता उपलब्ध कराना।
- रोज़गार कार्यदल का गठन करना।
- 12वीं पंचवर्षीय योजना का मूल्यांकन करना।
- साझा और संयोजित गतिशीलता के लिये नीति तैयार करना।
- द्वीपों का समग्र विकास करना।
नीति आयोग द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों और स्कीमों के माध्यम से कार्य-स्थल (ऑन-ग्राउंड) पर प्रत्यक्ष नीतिगत हस्तक्षेप भी किया जाता है। उदाहरण के तौर पर,
1. अटल नवप्रवर्तन मिशन (Atal Innovation Mission)
- अटल नवप्रवर्तन मिशन नीति आयोग का एक अत्यंत लोकप्रिय कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य देशभर के विद्यालयों में अटल टिंकरिंग प्रयोगशालाओं और अटल इनक्यूबेशन केंद्रों के माध्यम से नवप्रवर्तन को बढ़ावा देना है।
- अटल महाचुनौती तथा टिंकरिंग मैराथन के आयोजनों से देशभर के युवा उद्यमियों को सीखने, कुछ नया ईज़ाद करने और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से जुड़ने के लिये प्रोत्साहन मिला है।
- अभी तक 2441 अटल टिंकरिंग प्रयोगशाला विद्यालयों का चयन किया जा चुका है।
- प्रत्येक अटल टिंकरिंग प्रयोगशाला की स्थापना लागत के तौर पर 10 लाख रुपए की एकमुश्त राशि और अधिकतम 5 वर्षों के लिये 10 लाख रुपए के प्रचालन व्यय सहित अनुदान सहायता प्रदान की जा रही है।
- वर्तमान में देश के सभी राज्यों में अटल टिंकरिंग प्रयोगशालाएँ मौजूद हैं।
इन्क्यूबेशन केंद्र (Incubation Centres)
- वर्ष 2016-17 में 6 इन्क्यूबेशन केंद्रों (ईआईसी) को सहायता दी गई, जबकि वर्ष 2017-18 के दौरान लगभग 8-10 ईआईसी अनुमोदनाधीन हैं।
- ईआईसी के प्रचालन में तेज़ी लाने के लिये 10 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता किश्तों में दी जानी है।
अटल इन्क्यूबेशन केंद्र
- वर्ष 2016-17 में 13 अटल इन्क्यूबेशन केंद्रों का चयन किया गया, जबकि वर्ष 2017-18 के दौरान लगभग 20-25 अटल इन्क्यूबेशन केंद्र विचारार्थ हैं।
- इन केंद्रों की स्थापना हेतु अधिकतम 5 वर्षों के लिये 10 करोड़ रुपए तक की वित्तीय सहायता प्रदान करने की व्यवस्था की गई है।
2. सहयोगपूर्ण संघवाद (Cooperative Federalism)
- केंद्र प्रायोजित योजनाओं का पुनर्गठन करना।
- कौशल विकास को प्रोत्साहन देना।
- स्वच्छ भारत को प्रोत्साहन देना।
- डिजिटल भुगतानों को बढ़ावा देना।
- आकांक्षी ज़िलों में बदलाव के कार्यक्रम के लिये देशभर के 115 ज़िलों के ज़िलाधिकारियों तथा प्रभारी अधिकारियों का सहयोग लेना।
- सचिव समूहों द्वारा नीति आयोग को अभ्यावेदन देकर विभिन्न मंत्रालयों के बीच चर्चा और सहयोग करना।
3. प्रतिस्पर्द्धी संघवाद (Competitive federalism)
- राज्यों की रैंकिंग के लिये डिजिटल परिवर्तन सूचकांक तथा नवप्रवर्तन सूचकांक की शुरुआत करना।
- स्वास्थ्य सूचकांक की शुरुआत करना, जो स्वास्थ्य परिणामों के मूल्यांकन के लिये वर्ष में एक बार देशभर में किया जाएगा।
- सूचकांकों के संबंध में, राज्यों और संघ राज्यक्षेत्रों के लिये व्यापक कार्यशालाएँ आयोजित करना।
- मानव पूंजी परिवर्तन हेतु संधारणीय कार्रवाई (Sustainable Action for Transforming Human Capital - SATH) के लिये स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्रों में मुख्य संकेतकों के विकास हेतु राज्यों का मार्गदर्शन करना।
- विद्यालय शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक (School Education Quality Index - SEQI) तथा समेकित जल प्रबंधन सूचकांक का निर्माण करना।
4. संधारणीय विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals)
- एसडीजी के कार्यान्वयन पर नज़र रखने वाले नोडल निकाय के तौर पर नीति आयोग द्वारा राज्यों की प्रगति के आकलन हेतु केपीआई तैयार करना।
- माप्य संकेतकों (measurable indicator) के साथ लक्ष्यों को मापने का मसौदा तैयार करना।
5. अर्थव्यवस्था के 15 महत्त्वपूर्ण क्षेत्रकों का परिणाम आधारित मूल्यांकन और अनुवीक्षण
- डीएमईओ (Development. Monitoring and Evaluation Office - DMEO) डैशबोर्ड और प्रगति सूचक के माध्यम से राज्यों के कार्य-निष्पादन का व्यापक डेटा-आधारित मूल्यांकन करना।
- अनुवीक्षण के लिये मात्रात्मक और परिमेय संकेतक तथा संगत उत्पादनों एवं परिणामों को चिहि्नत करते हुए उनकी समीक्षा करना। इसके माध्यम से उत्पादन परिणाम फ्रेमवर्क में गुणात्मक सुधार लाने हेतु कड़ी कार्रवाई करना।
- कार्य-निष्पादन की निगरानी के लिये कार्यनीतिक परिणाम सत्यापन प्रक्रिया (Strategic Outcomes Verification Process - SOVP) का निर्माण करना।
- साथ ही कार्यक्रम का मूल्यांकन करना। इसके अंतर्गत अभी तक 12 कार्यक्रमों का मूल्यांकन किया गया है तथा निम्नलिखित से संबंधित मूल्यांकन रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया गया।
► प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम (Prime Minister Employment Generation Programme)
► राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम (National Scheduled Caste Finance Development Corporation)
► आरटीई (Right to Education Act - RTE)
► सुमेलित सर्व शिक्षा अभियान (Harmonized Sarv Siksha Abhiyaan)
► पीएमएवाई (शहरी) - विभिन्न राज्यों की सर्वश्रेष्ठ कार्य-पद्धतियों का संकलन, प्रेषण और अनुकरण करना।
- समावेश: नीति आयोग तथा ज्ञान एवं अनुसंधान भागीदारों और संस्थाओं के बीच सहयोग को संभव बनाना। (SAMAVESH: enabling cooperation between NITI and knowledge, research partners and institutions)
6. राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय भागीदारियाँ (National and International Partnerships)
- नीति आयोग व्याख्यान माला (NITI Lecture Series) : विद्वानों द्वारा ‘‘शासन’’ पर अब तक 3 व्याख्यान आयोजित किये जा चुके हैं।
- नीति आयोग-डीआरसी वार्ता: सहयोग बढ़ाने के लिये नीति आयोग में चीन प्रकोष्ठ गठित किया गया।
- वैश्विक उद्यमिता शिखर-सम्मेलन (Global Entrepreneurship Summit) 2017 : 2500 शीर्ष उद्यमियों, निवेशकों और इकोसिस्टम प्लेयर्स के साथ अमेरिका-भारत शिखर सम्मेलन का आयोजन।
- चैम्पियंस ऑफ चेंज (Champions of Change) : 12 क्षेत्रकों में नीतिगत सुझावों के लिये स्टार्ट-अप्स और उद्योग के साथ माननीय प्रधानमंत्री के हितधारक विचार-विमर्श में सहयोग देना।
7. उन्नत प्रौद्योगिकियों का अंगीकरण (Adoption of Frontier Technologies)
- नीति आयोग ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी, एआई और शासन में इसके प्रयोग संबंधी पोजीशन पेपर पर कार्य कर रहा है।
- भूमि अभिलेखों, इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य अभिलेखों, आदि के संबंध में राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्रों के साथ भागीदारी पर कार्य कर रहा है।
- नीति आयोग के लिये एमआईएस (management information system) डेटाबेस का कार्यान्वयन करना।
- मध्यस्थता और प्रवर्तन संबंधी भारत सम्मेलन (India Conference) का आयोजन करना।
- सरकार की सर्वश्रेष्ठ कार्य-पद्धतियों के संबंध में नीति आयोग के लिये डिजिटल हब (Digital Hub) तैयार करना।
8. मध्यस्थता का सुदृढ़ीकरण और विधिक सुधार (Strengthening Arbitration and Legal Reforms)
- ‘भारत में मध्यस्थता और प्रवर्तन का सुदृढ़ीकरण’ विषय पर वैश्विक सम्मेलन का आयोजन करना।
- भारत विधि आयोग के सहयोग से ‘राष्ट्र के तीन स्कंधों की भूमिकाओं का संतुलन’ (Balancing Roles of Three Wings of the State) विषय पर विधि दिवस सम्मेलन का आयोजन करना।
स्पष्ट रूप से भारत सरकार के अग्रणी ‘थिंक टैंक’ के रूप में नीति आयोग आर्थिक क्षेत्र के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के मामलों, देश की और अन्य देशों की सर्वश्रेष्ठ कार्य-पद्धतियों के प्रचार-प्रसार, नए नीतिगत विचारों के समावेशन और विशिष्ट मामलों में सहायता प्रदान करते हुए देश का मार्ग प्रशस्त करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।