COVID-19 से निपटने हेतु ब्रिक्स (BRICS) का सहयोग | 09 May 2020

प्रीलिम्स के लिये:

ब्रिक्स, COVID-19

मेन्स के लिये:

वैश्विक अर्थव्यवस्था में ब्रिक्स की भूमिका, वैश्विक सहयोग  

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ब्रिक्स (BRICS) देशों के विदेश मंत्रियों की एक वीडियोकॉन्फ्रेंस बैठक में भारतीय विदेश मंत्री ने COVID-19 से उत्पन्न आर्थिक चुनौतियों से निपटने हेतु उद्यमियों को ब्रिक्स समूह द्वारा सामूहिक सहयोग दिये जाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। 

मुख्य बिंदु:

  • BRICS देशों के विदेश मंत्रियों की इस बैठक का आयोजन रूस के विदेश मंत्री द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से किया गया था।
  • भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि COVID-19 न सिर्फ स्वास्थ्य क्षेत्र के लिये एक बड़ा खतरा है बल्कि इस महामारी से व्यापार और आपूर्ति श्रृंखला के प्रभावित होने से वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी गंभीर क्षति हुई है।
  • भारतीय विदेश मंत्री ने COVID-19 के कारण औद्योगिक क्षेत्र में उत्पन्न हुई चुनौतियों से निपटने के लिये उद्यमों और विशेष कर ‘सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों’ (Micro, Small & Medium Enterprises- MSMEs) को BRICS समूह द्वारा सहायता उपलब्ध कराए जाने की आवश्यकता पर बल दिया।
  • इस बैठक में COVID-19 के कारण अर्थव्यवस्था को हुई क्षति से BRICS देशों को उबारने के लिये 15 बिलियन अमेरिकी डॉलर के फंड की स्थापना का निर्णय लिया गया।   
  • बैठक में केंद्रीय विदेश मंत्री ने COVID-19 महामारी से निपटने में वैश्विक सहयोग के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया, इसके तहत उन्होंने भारत द्वारा विश्व के लगभग 85 देशों को इस संक्रमण की रोकथाम के लिये दवा उपलब्ध कराए जाने के बारे में जानकारी दी।
  • इस बैठक में भारत और रूस के अतिरिक्त चीन, ब्राज़ील तथा दक्षिण अफ्रीका के विदेश मंत्रियों ने भी हिस्सा लिया था।  

BRICS देश: 

  • वर्ष 2009 में BRIC देशों (ब्राज़ील, रूस, भारत और चीन) के पहले शिखर सम्मेलन के आयोजन और वर्ष 2010 में दक्षिण अफ्रीका के इस समूह में शामिल होने के बाद BRICS देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में आपसी सहयोग में वृद्धि हुई है।  
  • BRICS समूह के देश विश्व के लगभग 26% भू-भाग और लगभग 42% आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं, साथ ही समूह के देशों ने उत्पादन में वृद्धि, निवेश, व्यापार आदि के माध्यम से वैश्विक अर्थव्यवस्था और राजनीतिक संबंधों को मज़बूत करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
  • एक अनुमान के अनुसार, वर्ष 2013 तक वैश्विक जीडीपी वृद्धि में BRICS देश की भागीदारी लगभग 27% थी।  
  • COVID-19 की महामारी से पहले विशेषज्ञों का अनुमान था कि वर्ष 2020 के अंत तक वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि में BRICS देशों की हिस्सेदारी बढ़कर लगभग 50% हो जाएगी।
  • हाल के वर्षों में समूह के देशों ने तकनीकी क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Inteligence- AI), 5G और  डिजिटल अर्थव्यवस्था ने समूह के देशों को वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी भूमिका को मज़बूत करने का एक बड़ा अवसर प्रदान किया है।
  • नवंबर 2019 में ब्राज़ील में आयोजित BRICS के 11वें सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री ने अगले 10 वर्षों के लिये विकास के प्रमुख क्षेत्रों की पहचान कर समूह के देशों द्वारा इनमें सहयोग बढ़ाए जाने पर ज़ोर दिया था।
  • BRICS सदस्य विश्व की सबसे तेज़ उभरती अर्थव्यवस्था होने के अलावा इन देशों में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों के विशाल भंडार, तकनीकी दक्षता, कुशल श्रमिक और बड़ा बाज़ार आर्थिक दृष्टि से समूह के लिये एक सकारात्मक भविष्य की तरफ संकेत करते हैं।

COVID-19 और BRICS देश:

  • दिसंबर 2019 में चीन के वुहान प्रांत में COVID-19 संक्रमण के शुरूआती मामलों के मिलने के बाद से यह बीमारी पूरे विश्व में फैल चुकी है।
  • वर्तमान में चीन इस महामारी से लगभग उबर चुका है, परंतु BRICS समूह के अन्य देश विशेष कर भारत, रूस और ब्राज़ील में इस महामारी से स्वास्थ्य के साथ-साथ आर्थिक क्षेत्र को गंभीर क्षति हुई है।
  • वर्तमान में COVID-19 की महामारी के बीच विश्व के बहुत से देशों में संरक्षणवादी दृष्टिकोण में वृद्धि देखी गई है, ऐसे में BRICS देशों द्वारा सामूहिक सहयोग को बढ़ावा मिलना एक सराहनीय पहल है।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के लिये देश में तकनीकी एवं अन्य क्षेत्रों में स्टार्टअप (Startup) और लघु उद्योगों को बढ़ावा दिया जाना बहुत ही आवश्यक है। 
  • COVID-19 की महामारी से बड़े आर्थिक स्रोत के अभाव और बाज़ार में मांग की कमी से स्टार्टअप और MSME कंपनियों को सबसे अधिक क्षति हुई है। 
  • BRICS समूह के सहयोग के माध्यम से इन कंपनियों को ऋण एवं सहयोग उपलब्ध करा कर अर्थव्यवस्था पर COVID-19 के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में सहायता मिलेगी।
  • साथ ही BRICS जैसे मंच पर भारतीय विदेश मंत्री द्वारा औद्योगिक क्षेत्र को सहयोग प्रदान करने की पहल से औद्योगिक क्षेत्र का मनोबल मज़बूत होगा।

स्रोत: द हिंदू