ब्रिक्स देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक | 18 Sep 2020
प्रिलिम्स के लियेब्रिक्स समूह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मेन्स के लियेराष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और सहयोग में ब्रिक्स देशों की भूमिका |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ब्रिक्स (BRICS) समूह के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (NSAs) ने आतंकवाद विरोधी रणनीति के मसौदे पर चर्चा की, जिसे ब्रिक्स के आगामी शिखर सम्मेलन में प्रस्तुत किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- आशंकाओं के विपरीत बैठक के दौरान वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीन के बीच गतिरोध की पृष्ठभूमि में भारत और चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (NSAs) ने कोई द्विपक्षीय चर्चा नहीं की, हालाँकि यह एक वर्चुअल बैठक थी और इसमें द्विपक्षीय वार्ता आयोजित करना संभव नहीं था।
बैठक के दौरान चर्चित मुद्दे
- रूस द्वारा आयोजित एक वर्चुअल बैठक में शामिल होने वाले पाँच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (NSAs) ने वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये चुनौतियों और खतरों पर भी चर्चा की।
- राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (NSAs) ने जैविक सुरक्षा सहयोग और सूचना तथा संचार प्रौद्योगिकी सुरक्षा पर भी चर्चा की।
- इस बैठक के दौरान प्रतिभागियों ने ईरान, वेनेज़ुएला और सीरिया के आसपास तनाव बढ़ने पर चिंता व्यक्त की।
- इसके अलावा इस बैठक के दौरान अंतरिक्ष में हथियारों की तैनाती, अन्य देशों की अंतरिक्ष संपत्ति पर बल के प्रयोग और सैन्य अभियानों के लिये बाहरी अंतरिक्ष के उपयोग से संबंधित अमेरिका की योजनाओं पर भी चर्चा की गई।
- बैठक के दौरान सभी सहभागियों ने प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और मंचों, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र (UN) के साथ समन्वय पर कार्य करने के लिये सहमति व्यक्त की है।
आतंकवाद विरोधी रणनीति का मसौदा
- रूस द्वारा इस संबंध में जारी किये गए बयान के मुताबिक पाँच देशों ने संयुक्त तौर पर एक आतंकवाद विरोधी रणनीति का मसौदा तैयार किया है, जिसे आगामी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान अनुमोदन के लिये प्रस्तुत किया जाएगा।
- आतंकवाद विरोधी रणनीति का यह मसौदा ब्रिक्स देशों के बुनियादी पहलुओं जैसे- आंतरिक मामलों में संप्रभुता और गैर-हस्तक्षेपता का सम्मान, अंतर्राष्ट्रीय कानून का अनुपालन और सुरक्षा मामलों में संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका की मान्यता आदि को प्रतिबिंबित करता है।
क्या है ब्रिक्स?
- ब्रिक्स (BRICS) दुनिया की पाँच अग्रणी उभरती अर्थव्यवस्थाओं- ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के समूह के लिये एक संक्षिप्त शब्द (Abbreviation) है।
- ब्रिक्स कोई अंतर्राष्ट्रीय अंतर-सरकारी संगठन नहीं है, न ही यह किसी संधि के तहत स्थापित हुआ है। इसे बस पाँच देशों का एकीकृत प्लेटफॉर्म कहा जा सकता है।
- ब्रिक्स देशों की जनसंख्या दुनिया की आबादी का लगभग 40 प्रतिशत है और इसका वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में हिस्सा लगभग 30 प्रतिशत है।
- इसे महत्त्वपूर्ण आर्थिक इंजन के रूप में देखा जाता है और यह एक उभरता हुआ निवेश बाज़ार तथा वैश्विक शक्ति है।
- असल में इसकी शुरुआत सबसे पहले वर्ष 2001 में हुई थी, जब ब्रिटिश अर्थशास्त्री जिम ओ’ नील ने ब्राज़ील, रूस, भारत और चीन की उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिये ’BRIC’ शब्द का प्रयोग किया था। दिसंबर 2010 में दक्षिण अफ्रीका को BRIC में शामिल होने के लिये आमंत्रित किया गया और तब से इसे ‘ब्रिक्स’ कहा जाने लगा।
आगे की राह
- ध्यातव्य है कि आतंकवाद भारत के लिये एक बड़ा खतरा है और यदि आगामी शिखर सम्मेलन में आतंकवाद विरोधी रणनीति का मसौदा ब्रिक्स सदस्यों देश द्वारा अपनाया जाता है, तो यह भारत के लिये आतंकवाद से मुकाबला करने में काफी मददगार साबित होगा।
- यद्यपि लद्दाख में भारत-चीन गतिरोध पर भारत और चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (NSAs) के बीच कोई चर्चा नहीं की गई, किंतु ब्रिक्स दोनों देशों के लिये कूटनीतिक दृष्टिकोण से एक महत्त्वपूर्ण मंच हो सकता है।