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शासन व्यवस्था

रिश्वत जोखिम मैट्रिक्स-2021

  • 18 Nov 2021
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

केंद्रीय सतर्कता आयोग, सरकारी ई-मार्केटप्लेस, रिश्वत जोखिम मैट्रिक्स

मेन्स के लिये:

रिश्वत जोखिम मैट्रिक्स संबंधी मुख्य निष्कर्ष

चर्चा में क्यों?

हाल ही में रिश्वत-रोधी मानक निर्धारण संगठन- ‘TRACE’ द्वारा ‘रिश्वत जोखिम मैट्रिक्स-2021’ जारी किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • मैट्रिक्स के विषय में:
    • यह 194 देशों, क्षेत्रों और स्वायत्त एवं अर्द्ध-स्वायत्त क्षेत्रों में रिश्वतखोरी जोखिम को मापता है।
    • यह मूलतः वर्ष 2014 में दुनिया भर में वाणिज्यिक रिश्वतखोरी के जोखिमों के बारे में अधिक विश्वसनीय और सूक्ष्म जानकारी संबंधी व्यावसायिक समुदाय की आवश्यकता को पूरा करने के लिये प्रकाशित किया गया था।
    • यह संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक, गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय में ‘वी-डेम’ संस्थान और विश्व आर्थिक मंच सहित प्रमुख सार्वजनिक हित एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से प्राप्त प्रासंगिक डेटा एकत्र करता है।
  • गणना की विधि: स्कोर की गणना चार कारकों के आधार पर की जाती है:
    • प्रवर्तन और रिश्वत विरोधी निरोध।
    • सरकार के साथ व्यापार वार्ता।
    • सरकार और सिविल सेवा में पारदर्शिता।
    • नागरिक समाज की निगरानी की क्षमता जिसमें मीडिया की भूमिका भी शामिल है।
  • विभिन्न देशों का प्रदर्शन:
    • भारत:
      • भारत वर्ष 2021 में 82वें स्थान पर खिसक गया है, जो पिछले साल के 77वें स्थान से पाँच स्थान नीचे है।
        • वर्ष 2020 में भारत 45 के स्कोर के साथ 77वें स्थान पर था, जबकि इस वर्ष भारत 44 के स्कोर के साथ 82वें स्थान पर रहा।
      • भारत ने अपने पड़ोसी देशों- पाकिस्तान, चीन, नेपाल और बांग्लादेश से बेहतर प्रदर्शन किया। हालाँकि भूटान ने 62वीं रैंक हासिल की है।
    • विश्व:
      • उत्तर कोरिया, तुर्कमेनिस्तान, वेनेज़ुएला और इरिट्रिया में सबसे अधिक व्यावसायिक रिश्वतखोरी का जोखिम मौजूद है, जबकि डेनमार्क, नॉर्वे, फिनलैंड, स्वीडन और न्यूजीलैंड में सबसे कम जोखिम है।
      • पिछले पाँच वर्षों में वैश्विक रुझानों की तुलना में संयुक्त राज्य अमेरिका में रिश्वतखोरी जोखिम का माहौल काफी खराब हो गया है।
      • वर्ष 2020 से वर्ष 2021 तक खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के सभी देशों ने वाणिज्यिक रिश्वतखोरी के जोखिम में वृद्धि देखी है।
  • भारत द्वारा उठाए गए संबंधित कदम: भारत ने "भ्रष्टाचार के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस" की अपनी प्रतिबद्धता के अनुसरण में भ्रष्टाचार से निपटने के लिये कई उपाय किये हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
    • पारदर्शी नागरिक अनुकूल सेवाएँ प्रदान करने और भ्रष्टाचार को कम करने के लिये प्रणालीगत सुधार। इनमें अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित शामिल हैं:
      • प्रत्यक्ष लाभ अंतरण पहल के माध्यम से पारदर्शी तरीके से सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत नागरिकों को सीधे कल्याणकारी लाभ का वितरण।
      • सार्वजनिक खरीद में ई-टेंडरिंग का कार्यान्वयन।
      • ई-गवर्नेंस की शुरुआत और प्रणालियों का सरलीकरण।
      • सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) के माध्यम से सरकारी खरीद की शुरुआत।
    • भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988:
      • यह स्पष्ट रूप से रिश्वत देने के कृत्य का अपराधीकरण करता है और वाणिज्यिक संगठनों के वरिष्ठ प्रबंधन के बड़े भ्रष्टाचार को रोकने में मदद करेगा।
    • केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) ने विभिन्न आदेशों और परिपत्रों के माध्यम से प्रमुख खरीद गतिविधियों में सभी संगठनों के लिये सत्यनिष्ठा समझौते को अपनाने तथा जहाँ भी कोई अनियमितता/कदाचार देखा जाता है, वहाँ प्रभावी और त्वरित जाँच सुनिश्चित करने की सिफारिश की है।
    • लोकपाल संस्था का संचालन अध्यक्ष और नियुक्त सदस्यों द्वारा किया जाता है।
      • लोकपाल को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत लोक सेवकों के खिलाफ कथित अपराधों के संबंध में शिकायतों को सीधे प्राप्त करने और जाँच करने का  वैधानिक अधिकार है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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