बीपीएल’ ही नहीं ‘एसईसीसी’ के आधार पर भी तय होंगें लाभार्थी | 14 Jan 2017

सन्दर्भ

  • राज्य द्वारा वित्त पोषित कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन में एक बड़े बदलाव का सूत्रपात हो सकता है। गौरतलब है कि सरकारी कार्यक्रमों के तहत लाभ प्राप्त करने के लिये परिवारों के वर्गीकरण के उद्देश्य से सरकार ने सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना(Social Economic Caste Census-SECC) मुहिम शुरू की थी, जो संपन्न हो गई है।
  • ग्रामीण विकास मंत्रालय ने अपने कार्यक्रमों के अंतर्गत लाभार्थियों की पहचान करने और लाभार्थियों की प्राथमिकता सूची तैयार करने के लिये एसईसीसी आँकड़ों का उपयोग करने का निर्णय लिया है।ज्ञात हो कि अब तक लाभार्थियों की पहचान करने और उनकी प्राथमिकता सूची तैयार करने के लिये गरीबी रेखा से नीचे (Below Poverty Line-BPL) से संबंधित आँकड़ों का प्रयोग हो रहा है।
  • सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना (एसईसीसी) के आंकड़ों का उपयोग राज्यों के लिये आवंटन हेतु करने तथा विभिन्न कार्यक्रमों के तहत लाभार्थियों की पहचान और प्राथमिकता देने के उद्देश्य से पूर्व वित्त सचिव सुमित बोस की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति  का गठन किया गया था।

समिति के महत्त्वपूर्ण सुझाव

  • ग्रामीण विकास मंत्रालय के साथ अंतरिम चर्चा के दौरान विशेषज्ञ समिति को लाभार्थियों के चयन के साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना के लिये संसाधन आवंटन के मानदंड का खाका तैयार करने को कहा गया था।
  • मंत्रालय ने विशेषज्ञ समिति के अंतरिम परामर्श को स्वीकार किया गया है। इसी के अनुसार प्रधानमंत्री आवास योजना तथा दीन दयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रिय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत आने वाले परिवारों का चयन किया जाएगा।
  • उल्लेखनीय है कि इस कदम का सर्वाधिक प्रभाव राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम में देखने को मिलेगा। विदित हो कि इस समिति के अनुशंसाओं का पालन करने पर लाभार्थियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि होगी और इनके कल्याण हेतु सरकार को सालाना 6700 करोड़ रुपये के अतिरिक्त व्यय की ज़रूरत पड़ेगी।
  • यहाँ यह जानना दिलचस्प होगा कि बीपीएल का सिद्धांत योजना आयोग द्वारा दिया गया था जो कि परिवारों की आय तथा व्यय के आधार पर बनाई गई थी, जबकि सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना के आँकड़ें अभावों के विभिन्न मापदंडों पर आधारित हैं।
  • समिति ने यह भी सिफारिश की है कि विधवा पेंशन के लाभार्थियों के लिये आवश्यक वर्तमान आयु 40 वर्ष से कम करके 18 वर्ष कर देना चाहिये। विधवा पुनर्विवाह के लिये एक ही बार में अनुदान की कुल राशी दी जानी चाहिए, विकलांग बच्चों के माता पिता को भी वित्तीय सहायता प्रदान की जानी चाहिये। हाँलाकि इसके लिये 700 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आवश्यकता होगी।
  • सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना के आँकड़ों के आधार पर समिति ने सुझाव दिया है कि प्रधानमन्त्री आवास योजना के तहत 2.95 करोड़ ग्रामीण परिवारों को आवास सुविधा प्रदान की जानी चाहिये।