भारत-चीन सीमा पर बुनियादी ढाँचे की स्थिति | 01 Jul 2017
संदर्भ
किसी भी देश के लिये यह आवश्यक है कि वह अपनी संप्रभुता की रक्षा हेतु समुद्री सीमा के साथ-साथ स्थालीय सीमा को भी सुरक्षित बनाए। ध्यातव्य है कि भारत के पास समुद्री एवं स्थालीय दोनों सीमाएँ हैं। अत: इन सीमाओं को चाक-चोबंद बनाना हमारे लिये अति-महत्त्वपूर्ण है, ताकि विभिन्न गैर-कानूनी गतिविधियों को रोकने के साथ-साथ देश को सुरक्षा प्रदान की जा सके। इसी क्रम में वर्तमान सरकार के द्वारा चीन के साथ लगने वाली भारतीय सीमा पर बुनियादी ढाँचे के विकास पर ज़ोर दिया जा रहा है। हालाँकि सीमा से संबंधित अनेक महत्त्वाकांक्षी सैन्य योजनाओं को वापस भी लिया गया है।
चीन के प्रयास
- अनेक सैन्य और खुफिया स्रोतों से प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत चीनी सीमा पर बुनियादी ढाँचे का विकास करने में चीन की तुलना में एक दशक पीछे चल रहा है।
- चीन अपनी लगभग सभी चौकियों को सीधे सड़क मार्ग से जोड़ चुका है।
- तिब्बत के पास चीन बड़े पैमाने पर बुनियादी ढाँचागत परियोजनाओं का निर्माण कर रहा है, ताकि सेना की सीमा तक पहुँच आसन बनाई जा सके।
भारत के प्रयास
- वर्ष 2013 में इसके लिये तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता वाली सुरक्षा समिति ने 64,000 करोड़ रुपए की योजना पारित की थी, ताकि वर्ष 2020 तक सैनिकों की संख्या बढ़ाई जा सके।
- सैन्य दल को वर्ष 2019 तक, यू.एस. निर्मित एम-777 अल्ट्रा-लाइट हाविटज़र्स (M-777 ultra-light howitzers ) जिसे हवाई परिवहन द्वारा आसानी से ले जाया जा सकता सकता है, उपलब्ध करना है।
- भारत भी पूर्वोत्तर क्षेत्र में कुछ महत्त्वपूर्ण पुलों का निर्माण कर रहा है, जिससे सेना की आवाजाही के समय को कम किया जा सकेगा।
- इसी क्रम में हाल ही में 9.2 किलोमीटर लम्बा ‘ढोल-साडिया पुल’ का निर्माण किया गया है, जो असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच लगभग 165 किलोमीटर की दूरी को कम करेगा।
कमी
- 17वाँ सैन्य दल, जो भारत की पहली पहाड़ी अभियानों के लिये एक आक्रामक सैन्य दल (Strike Corps) है और जिसमें मूल रूप से तीन डिवीज़न बनाये गए थे, अब इसमें केवल दो ही डिवीज़न कर दिये गए हैं। इन दो डिवीज़नों में मूल रूप से 90,000 सैनिकों की व्यवस्था की गई थी, लेकिन अभी इसमें करीब 60,000 सैनिक ही रह गए हैं।
- नवीनतम आँकड़ों के अनुसार चीन के साथ ‘वास्तविक नियंत्रण रेखा’ (Line of Actual Control) के साथ पहचाने गए 73 सड़क परियोजनाओं में से केवल 24 को ही अभी तक पूरा किया गया है।
- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा मार्च में संसद में प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा है कि - सीमा सड़क विकास बोर्ड (BRDB) कार्यक्रम में शामिल सभी 61 भारत-चीन सीमा सड़क (ICBR) को वर्ष 2012 तक पूरा करना था, लेकिन अभी तक केवल 15 सड़कों को ही पूरा किया गया है।
- बाकि 46 सड़कों में से मार्च 2016 तक केवल 7 सड़कों को ही पूरा किया गया हैं, साथ ही शेष को पूरा करने की समय-सीमा को बढ़ाकर वर्ष 2021 कर दी गई है।
निष्कर्ष
अत: उपर्युक्त तथ्यों को देखते हुए समय की मांग है कि सरकार द्वारा भारत-चीन सीमा पर लंबित पड़ी परियोजनाओं को ज़ल्द-से-ज़ल्द पूरा किया जाना चाहिये| भारत-चीन सीमा पर तैनात सैन्य बलों की आवश्यकतानुसार संख्या में वृद्धि की जाए तथा उन्हें अत्याधुनिक अस्त्र-शस्त्र उपलब्ध कराए जाएं| हमें केवल भारत-चीन सीमा ही नहीं, बल्कि सभी सीमाओं का बेहतर प्रबंधन करने की दिशा में त्वरित एवं उचित कदम उठाने चाहिये|