बोडोलैंड विवाद | 27 Nov 2019
प्रीलिम्स के लिये:
नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड
मेन्स के लिये:
बोडो आदिवासियों से संबंधित विभिन्न मुद्दे
चर्चा में क्यों?
24 नवंबर, 2019 को केंद्र सरकार ने उग्रवादी समूह ‘नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड’ (National Democratic Front of Bodoland- NDFB) पर प्रतिबंध को और पाँच साल के लिये बढ़ा दिया है।
प्रमुख बिंदु:
- असम आधारित उग्रवादी समूह NDFB पर हत्या और जबरन वसूली सहित कई हिंसक गतिविधियों में शामिल होने तथा भारत विरोधी ताकतों से हाथ मिलाने का आरोप है।
- गृह मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, गैर-कानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 3 की उप-धारा (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों के अनुसार केंद्र सरकार NDFB को उसके सभी समूहों, गुटों और अग्रिम संगठनों के साथ गैरकानूनी संगठन घोषित करती है।
- केंद्र सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में इस संगठन द्वारा की गई घटनाओं की संख्या का भी उल्लेख किया है। आँकड़ों के अनुसार, जनवरी 2015 के बाद से अभी तक लगभग 62 हिंसक घटनाएँ घटित हुई हैं, जिसमें 19 लोगों की हत्या की गई। इस दौरान लगभग 55 चरमपंथी मारे गए हैं, 450 चरमपंथियों को गिरफ्तार किया गया है और उनसे 444 हथियार बरामद किये गए।
- गृह मंत्रालय के मुताबिक, NDFB ने नरसंहार और जातीय हिंसा पैदा की जिसके परिणामस्वरूप हत्याएँ हुईं, गैर-बोडो की संपत्ति को नष्ट किया गया, असम में बोडो बहुल क्षेत्रों में निवास करने वाले गैर-बोडो के बीच असुरक्षा का माहौल पैदा किया गया, देश की सीमा पर शिविर एवं ठिकाने स्थापित किया गया ताकि अलगाववादी गतिविधियों को हवा दी जा सके।
बोडो समुदाय
- बोडो ब्रह्मपुत्र घाटी के उत्तरी हिस्से में बसी असम की सबसे बड़ी जनजाति है। यह राज्य की कुल आबादी के 5-6 प्रतिशत से अधिक हैं। बोडो (असमिया) समुदाय के लोग पूर्वोत्तर भारत के असम राज्य के मूल निवासी हैं तथा भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत भारत की एक महत्त्वपूर्ण जनजाति है।
- असम के चार ज़िले कोकराझार (Kokrajhar), बक्सा (Baksa), उदलगुरी (Udalguri) और चिरांग (Chirang) बोडो प्रादेशिक क्षेत्र ज़िला (Bodo Territorial Area District- BTAD) का गठन करते हैं।
क्या है बोडोलैंड का मुद्दा?
- 1960 के दशक से ही बोडो अपने लिये अलग राज्य की मांग करते आए हैं।
- असम में इनकी ज़मीन पर अन्य समुदायों का आकर बसना और ज़मीन पर बढ़ता दबाव ही बोडो असंतोष की वज़ह है।
- अलग राज्य के लिये बोडो आंदोलन 1980 के दशक के बाद हिंसक हो गया और तीन धड़ों में बंट गया। पहले का नेतृत्व नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड ने किया, जो अपने लिये अलग राज्य चाहता था। दूसरा समूह बोडोलैंड टाइगर्स फोर्स है, जिसने अधिक स्वायत्तता की मांग की। तीसरा धड़ा ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन है, जिसने मध्यम मार्ग की तलाश करते हुए राजनीतिक समाधान की मांग की।
- बोडो अपने क्षेत्र की राजनीति, अर्थव्यवस्था और प्राकृतिक संसाधन पर जो वर्चस्व चाहते थे, वह उन्हें 2003 में मिला। तब बोडो समूहों ने हिंसा का रास्ता छोड़ मुख्यधारा की राजनीति में आने पर सहमति जताई।
- इसी का नतीजा था कि बोडो समझौते पर 2003 में हस्ताक्षर किये गए और भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के तहत बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद का गठन हुआ।
नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड
National Democratic Front of Bodoland- NDFB
- अक्तूबर 1986 में बोडो सिक्योरिटी फोर्स (Bodo Security Force- BdSF) का गठन हुआ। बाद में BdSF का नाम बदलकर NDFB हो गया, जो एक ऐसा संगठन है, जिसे हमलों, हत्याओं और जबरन वसूली करने के लिये जाना जाता है।
- 1990 के दशक में भारतीय सुरक्षा बलों ने इस समूह के खिलाफ व्यापक अभियान चलाए, जिस कारण इस समूह का भूटान की सीमा पर पलायन हुआ। इस समूह को वर्ष 2000 की शुरुआत में भारतीय सेना और रॉयल भूटान सेना द्वारा किये गए कठोर आतंकवाद विरोधी अभियानों का सामना करना पड़ा।