इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


सामाजिक न्याय

ब्लैक लाइव्स मैटर

  • 31 Aug 2020
  • 3 min read

प्रिलिम्स के लिये

‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ (Black Lives Matter) आंदोलन

मेन्स के लिये

रंगभेद तथा अल्पसंख्यकों के अधिकार संबंधी मुद्दे

चर्चा में क्यों 

BIPOC (Black, Indigenous and People of Color) शब्द ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ (Black Lives Matter) आंदोलन के दौरान इंटरनेट पर लोकप्रिय हो गया। 

प्रमुख बिंदु 

  • BIPOC आंदोलन त्वचा के रंग और नस्लीय विविधता को स्वीकार करने का आग्रह करता है और राजनीति से लेकर त्वचा की देखभाल तक जीवन के सभी क्षेत्रों में समावेशिता तथा प्रतिनिधित्व की वकालत करता है।
  • यह उस अदृश्य भेदभाव के खिलाफ है जो विभिन्न क्षेत्रों में मौजूद है।
    • उदाहरण के लिये- कॉस्मेटिक उद्योगों में अधिकांश उत्पाद केवल गोरी त्वचा के लिये किया जाता है न कि काले रंग और स्वदेशी लोगों के लिये।
    • सौंदर्य मानकों के मानकीकरण का उन लोगों की मानसिकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है जो पारंपरिक मानकों को पूरा नहीं करते हैं।
  • इसे नीग्रो, अफ्रीकी-अमेरिकी और अल्पसंख्यक जैसे अपमानजनक और आक्रामक शब्दों के उन्मूलीकरण के विकल्प के रूप में देखा जाता है।
    • पीपुल ऑफ कलर (People of Colour- POC) शब्द 1960 के दशक के दौरान काले, भूरे या रंगीन लोगों जैसे शब्दों को प्रतिस्थापित करने के लिये प्रयोग में आया।
  • BIPOC के अंतर्गत लोगों के सामने आने वाले नागरिक अधिकारों की चुनौतियाँ, प्रणालीगत उत्पीड़न और नस्लवाद समान हैं और इस प्रकार, इस शब्द का उपयोग काले और स्वदेशी लोगों के बीच सामूहिक अनुभव को सुदृढ़ करने और उन्हें एकजुट करने के लिये किया जाता है।
  • आलोचना: हालाँकि कुछ लोग इस शब्द के उपयोग की आलोचना करते हैं क्योंकि यह लोगों के विभिन्न समूहों की अलग-अलग समस्याओं को एक समूह में रखता है और इस प्रकार प्रत्येक के लिये विशेष समाधान की संभावना को समाप्त कर देता है।
    • यह भी कहा जा रहा है कि BIPOC में सभी समूह अन्याय के समान स्तर का सामना नहीं करते हैं।
    • इसके अलावा, इसे लोगों के विभिन्न समूहों के समरूपीकरण के लिये एक औपनिवेशिक प्रवृत्ति के रूप में देखा जाता है।

स्रोत- द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2