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WHO: ट्रास्टूजुमैब बायोसिमिलर्स

  • 19 Dec 2019
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये

ट्रास्टूजुमैब, बायोसिमिलर्स क्या है?

मेन्स के लिये

स्तन कैंसर की रोकथाम के उपाय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization-WHO) ने स्तन कैंसर के इलाज के लिये उपयोग में लाई जाने वाली दवा ट्रास्टूजुमैब (Trastuzumab) के पहले बायोसिमिलर्स (Biosimilars) दवा के वाणिज्यिक प्रयोग की अनुमति प्रदान की।

मुख्य बिंदु:

  • वैश्विक स्तर पर महिलाओं में स्तन कैंसर के मामले प्रायः देखने को मिलते हैं। वर्ष 2018 में लगभग 21 लाख महिलाएँ स्तन कैंसर से पीड़ित थीं। इनमें से 6 लाख 30 हज़ार महिलाओं की मौत इलाज में देरी या आवश्यक उपचार की सुविधा न होने की वजह से हो गई।
  • ट्रास्टूजुमैब नामक दवा को WHO द्वारा आवश्यक दवाओं की सूची में वर्ष 2015 में शामिल किया गया था।
  • यह दवा स्तन कैंसर के लगभग 20 प्रतिशत मामलों के इलाज में सफल रही है तथा प्रारंभिक एवं कई मामलों में उच्च स्तरीय कैंसर के इलाज में भी काफी प्रभावी साबित हुई है।
  • ट्रास्टूजुमैब की वार्षिक औसत कीमत 20,000 डॉलर है। इसके अत्यधिक कीमती होने की वजह से यह विश्व की अधिकांश महिलाओं तथा देशों की स्वास्थ्य व्यवस्था द्वारा वहनीय नहीं है।
  • ट्रास्टूजुमैब दवा के बायोसिमिलर्स की कीमत इसकी कीमत से 65 प्रतिशत कम है तथा भविष्य में अन्य दवाएँ भी WHO द्वारा पूर्व-अर्हता (Prequalification) प्राप्त करने हेतु प्रतीक्षा में हैं, जिनके बाज़ार में आने के बाद कीमतों में और अधिक कमी होने की संभावना है।
  • इस दवा के बायोसिमिलर्स की जाँच में WHO द्वारा इसकी प्रभावशीलता, सुरक्षा तथा गुणवत्ता का मूल्यांकन किया गया। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र की संस्थाओं और विभिन्न देशों द्वारा आपूर्ति हेतु अनुसंशित किया गया।
  • पिछले पाँच वर्षों में ट्रास्टूजुमैब के कुछ बायोसिमिलर्स विकसित किये गए हैं लेकिन उनमें से किसी को WHO द्वारा पूर्व-अर्हता नहीं प्रदान की गई है। पूर्व-अर्हता प्राप्त करने के बाद देशों को इस बात का आश्वासन दिया जाता है कि वे इन दवाओं का प्रयोग कर सकते हैं।

बायोसिमिलर्स (Biosimilars):

  • जेनेरिक दवाओं की भाँति ही बायोसिमिलर्स भी मूल बायो-थेराप्यूटिक दवाओं (Biotherapeutic Medicines) का सस्ता रूपांतरण होता है, जबकि इनकी प्रभावशीलता समान होती है।
  • कंपनियों द्वारा इनका निर्माण तब किया जाता है जब मूल उत्पाद की पेटेंट (Patent) अवधि समाप्त हो गई हो।

बायो-थेराप्यूटिक दवाएँ

(Biotherapeutic Medicines):

  • उन दवाओं को कहा जाता है जो संश्लेषित रसायनों की बजाय जैविक तथा सजीव स्रोतों जैसे- कोशिका, रक्त, रक्त कणिकाएँ, ऊतक तथा अन्य पदार्थों से निर्मित की गई हों।
  • अनेक जैविक दवाएँ (Biologic Medicines) विशेषीकृत ड्रग (Specialty Drugs) होती हैं। इनकी कीमत अत्यधिक होती है तथा उन बीमारियों के इलाज के लिये कारगर होती हैं जिनका कोई अन्य इलाज उपलब्ध नहीं होता है। इसमें जीन तथा कोशिका आधारित थेरेपी शामिल है।
  • कई बायो-थेराप्यूटिक दवाओं का प्रयोग कैंसर, मधुमेह तथा आर्थराइटिस जैसे रोगों के इलाज में किया जाता है।
  • हाल ही में अफ्रीका के उप-सहारा क्षेत्र में 1325 महिलाओं पर किये गए एक अध्ययन के अनुसार स्तन कैंसर की शुरूआती पहचान के बावजूद एक वर्ष तक 227 (17%) महिलाओं का इलाज संभव नहीं हो सका। इन आँकड़ों से पता चलता है कि कैंसर के उपचार में इलाज का खर्च एक बड़ी बाधा है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन की अंतर्राष्ट्रीय कैंसर शोध एजेंसी के अनुमान के अनुसार, वर्ष 2040 तक स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाओं की संख्या लगभग 31 लाख तक पहुँच जाएगी।

आगे की राह:

  • स्तन कैंसर की समस्या से निजात पाने के लिये आवश्यक है कि बायोसिमिलर्स की उपलब्धता बढ़ायी जाए। इससे इनकी कीमतों में और कमी होने की संभावना है। इसके अलावा इस क्षेत्र में अधिक नवाचार होंगे और इन दवाओं की पहुँच विस्तृत होगी।

स्रोत: द हिंदू

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