जैव अर्थव्यवस्था | 22 Jul 2022
प्रिलिम्स के लिये:जैव अर्थव्यवस्था, भारत की जैव अर्थव्यवस्था रिपोर्ट 2022 मेन्स के लिये:जैव अर्थव्यवस्था और इसके लाभ। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC) ने भारत की जैव अर्थव्यवस्था रिपोर्ट, 2022 जारी की है।
- रिपोर्ट जारी करने के दौरान सरकार ने उत्तर-पूर्व क्षेत्र (BIG-NER) के लिये एक विशेष बायोटेक इग्निशन ग्रांट कॉल की शुरूआत की और बायोटेक समाधान विकसित करने हेतु उत्तर-पूर्व क्षेत्र के 25 स्टार्टअप और उद्यमियों के लिये 50 लाख रुपए तक की वित्तीय सहायता की घोषणा की।
- BIRAC जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) द्वारा स्थापित एक गैर-लाभकारी (धारा 8, अनुसूची B) सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है।
रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ:
- भारत की जैव-अर्थव्यवस्था के वर्ष 2025 तक 150 बिलियन अमेरिकी डॉलर और वर्ष 2030 तक 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक होने की संभावना है।
- वर्ष 2021 में देश की जैव अर्थव्यवस्था 80 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गई है, जो कि वर्ष 2020 के2 बिलियन अमेरीकी डॉलर से 14.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्शा रही है।
- वर्ष 2021 में हर दिन औसतन कम-से-कम तीन बायोटेक स्टार्टअप शामिल किये गए (वर्ष 2021 में कुल 1,128 बायोटेक स्टार्टअप स्थापित किये गए) और उद्योग ने अनुसंधान एवं विकास खर्च में 1 बिलियन अमेरीकी डॉलर को पार कर लिया।
- भारत के पास अमेरिका के बाहर अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन(USFDA) द्वारा अनुमोदित विनिर्माण संयंत्रों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या है।
- टीकाकरण
- भारत ने प्रतिदिन कोविड-19 टीकों की लगभग 4 मिलियन टीके दिये(वर्ष 2021 में दी गई कुल 1.45 बिलियन टीके)।
- कोविड-19
- देश ने वर्ष 2021 में हर दिन 1.3 मिलियन कोविड -19 परीक्षण किये (कुल 506.7 मिलियन परीक्षण)।
जैव अर्थव्यवस्था (Bioeconomy):
- परिचय:
- संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, जैव अर्थव्यवस्था को जैविक संसाधनों के उत्पादन, उपयोग और संरक्षण के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिसमें संबंधित ज्ञान, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार, सूचना, उत्पाद, प्रक्रियाएँ प्रदान करना शामिल है ताकि स्थायी अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने के उद्देश्य से सभी आर्थिक क्षेत्रों को जानकारी, उत्पाद, प्रक्रियाओं और सेवाएँ प्रदान की जा सकें।
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
- यूरोपीय संघ (EU) और आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD) द्वारा नए उत्पादों तथा बाज़ार को विकसित करने के लिये जैव प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने हेतु अपनाए गए ढाँचे के बाद 21वीं सदी के पहले दशक में जैव अर्थव्यवस्था शब्द लोकप्रिय हो गया।
- उदाहरण:
- खाद्य प्रणालियाँ जैव-अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण स्थान पर स्थित हैं। इन प्रणालियों में शामिल हैं:
- संधारणीय कृषि
- संधारणीय मत्स्य
- वानिकी और जलकृषि
- खाद्य और चारा निर्माण
- जैव आधारित उत्पाद:
- बायोप्लास्टिक्स
- बायोडिग्रेडेबल कपड़े
- खाद्य प्रणालियाँ जैव-अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण स्थान पर स्थित हैं। इन प्रणालियों में शामिल हैं:
चक्रीय जैव अर्थव्यवस्था:
- जैव-अर्थव्यवस्था का उद्देश्य सतत् विकास और चक्रीय अर्थव्यवस्था दोनों को बढ़ावा देना है। विशेष रूप से चक्रीय अर्थव्यवस्था के पुन: उपयोग,मरम्मत और पुनर्चक्रण का सिद्धांत जैव-अर्थव्यवस्था का मूलभूत हिस्सा है।
- पुन: उपयोग, मरम्मत और पुनर्चक्रण के माध्यम से अपशिष्ट की कुल मात्रा और उसके प्रभाव को कम किया जाता है। यह ऊर्जा की भी बचत करता है तथा वायु व जल प्रदूषण को कम करता है, इस प्रकार पर्यावरण, जलवायु एवं जैवविविधता की क्षति को रोकने में मदद करता है।
जैव अर्थव्यवस्था में भारत की स्थिति:
- ऐसे कई क्षेत्र हैं जो भारत के जैव अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान दे रहे हैं जैसे,
- जैव उद्योग, क्योंकि इस क्षेत्र को प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत और भारत के वर्ष 2047 तक "ऊर्जा आत्मनिर्भर" बनने के दृष्टिकोण से प्रोत्साहन मिला है।
- इसके अलावा भारत सरकार ने जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति में संशोधनों को मंज़ूरी दे दी है और जैव ईंधन उत्पादन बढ़ाने और अप्रैल 2023 से 20% इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल की शुरुआत का निर्णय लिया है।
- अन्य क्षेत्र जैसे- जैव-कृषि जिसमें बीटी कॉटन, कीटनाशक, समुद्री जैव-तकनीक और पशु जैव-तकनीक में जैव अर्थव्यवस्था को वर्ष 2025 तक 5 बिलियन डॉलर से 20 बिलियन डॉलर के योगदान के साथ दोगुना करने की क्षमता है।
- महामारी से पहले भारत विभिन्न शोध अध्ययनों के अनुसार मात्रा के हिसाब से दूसरा सबसे बड़ा वैक्सीन निर्यातक था।
- जैव उद्योग, क्योंकि इस क्षेत्र को प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत और भारत के वर्ष 2047 तक "ऊर्जा आत्मनिर्भर" बनने के दृष्टिकोण से प्रोत्साहन मिला है।
जैव अर्थव्यवस्था से संबंधित भारतीय पहलें:
- बायोफार्मा के लिये:
- नेशनल बायोफार्मा मिशन, 'इनोवेट इंडिया' 2017, जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) का 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर का कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य बायोफार्मा में उद्यमशीलता और स्वदेशी निर्माण को बढ़ावा देने के लिये उद्योग एवं शिक्षा जगत को एक साथ लाना है।
- स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिये:
- विश्व स्तरीय सुविधाओं के साथ पूरे भारत में 35 बायो इन्क्यूबेटर स्थापित किये गए हैं।
- DBT और BIRAC द्वारा मिशन इनोवेशन के तहत पहला इंटरनेशनल इन्क्यूबेटर- क्लीन एनर्जी इंटरनेशनल इन्क्यूबेटर स्थापित किया गया है।
- 23 भाग लेने वाले यूरोपीय संघ के देशों के स्टार्टअप संभावित रूप से भारत में आ सकते हैं और इनक्यूबेट कर सकते हैं, इसी तरह इस इनक्यूबेटर से स्टार्टअप वैश्विक अवसरों तक पहुँच की सुविधा के लिये भागीदार देशों में जा सकते हैं। विभाग 4 बायो-क्लस्टर (NCR, कल्याणी, बंगलूरू और पुणे) का समर्थन कर रहा है।
- जैव अर्थव्यवस्था पर राष्ट्रीय मिशन: जैव संसाधनों का उपयोग करके ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के प्रयासों के बीच वर्ष 2016 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत जैव-संसाधन एवं सतत् विकास संस्थान द्वारा 'जैव अर्थव्यवस्था पर राष्ट्रीय मिशन' शुरू किया गया था।