जैव-चिकित्सा अपशिष्ट | 10 Feb 2020
प्रीलिम्स के लिये:जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016, जैव चिकित्सा अपशिष्ट की श्रेणियाँ मेन्स के लिये:जैव चिकित्सा अपशिष्ट के उपचार एवं निपटान से संबंधित मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री ने जैव-चिकित्सा अपशिष्ट (Bio-Medical Waste) के संदर्भ में पूछे गए एक अतारांकित प्रश्न का उत्तर लिखित रूप में संसद में दिया।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- ध्यातव्य है कि अतारांकित प्रश्न ऐसे प्रश्न होते हैं जिनका उत्तर मंत्री द्वारा लिखित रूप में दिया जाता है एवं इन प्रश्नों पर अनुपूरक प्रश्न पूछने का अवसर नहीं मिलता है। जबकि तारांकित प्रश्न में मंत्री द्वारा मौखिक रूप से जवाब दिया जाता है और इसमें पूरक प्रश्न पूछने की भी अनुमति होती है।
- जैव चिकित्सा अपशिष्ट में मानव या पशु के शारीरिक अपशिष्ट, उपचार उपकरण जैसे- सुइयाँ, सीरिंज (सुई) तथा उपचार और अनुसंधान की प्रक्रिया में स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में प्रयुक्त अन्य सामग्रियाँ सम्मिलित हैं।
- ध्यातव्य है कि ये अपशिष्ट अस्पतालों, नर्सिंग होमों, पैथोलॉजी (विकृति विज्ञान) प्रयोगशालाओं, रक्त बैंक आदि में उपचार या टीकाकरण के दौरान उत्पन्न होते हैं।
जैव चिकित्सा अपशिष्ट से संबंधित तथ्य
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के अनुसार, जैव-चिकित्सा अपशिष्ट को 4 श्रेणियों में विभाजित किया जाना आवश्यक है और इसका इस नियम की अनुसूची 1 में निपटान के निर्दिष्ट तरीकों के अनुसार उपचारित और निपटान किया जाता है।
- अस्पतालों से उत्पन्न जैव-चिकित्सा अपशिष्ट का उपचार सामान्य जैव-चिकित्सा अपशिष्ट उपचार और निपटान सुविधा द्वारा किया जाता है।
- 28 राज्यों में जैव चिकित्सा अपशिष्टों के पर्यावरणीय रूप से सुरक्षित निपटान के लिये 200 अधिकृत कॉमन बायो-मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट एंड डिस्पोज़ल सुविधाएँ (Common Bio-medical Waste Treatment and Disposal Facilities- CBWTFs) हैं। शेष 7 राज्यों गोवा, अंडमान निकोबार, अरुणाचल प्रदेश, लक्षद्वीप, मिज़ोरम, नगालैंड और सिक्किम में CBWTF नहीं हैं।
- आम सुविधाओं के अलावा हेल्थकेयर सुविधाओं (Healthcare Facilities) द्वारा स्थापित 12,296 कैप्टिव उपचार और निपटान सुविधाएँ हैं।
- प्रत्येक स्वास्थ्य सुविधा (जो बेडेड और गैर-बेडेड दोनों हैं) को बायोमेडिकल कचरे के प्रबंधन के लिये संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड / प्रदूषण नियंत्रण समिति (State Pollution Control Boards- SPCB /Pollution Control Committees- PCC) से अनुमति (Authorization) लेना आवश्यक है।
- ध्यातव्य है कि वर्ष 2018 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, प्रति दिन स्वास्थ्य सुविधाओं की संख्या 2,60,889 है जिससे लगभग 608 मीट्रिक टन बायो-मेडिकल अपशिष्ट निकलता है जिसमें से 528 मीट्रिक टन जैव-चिकित्सा अपशिष्ट का उपचार और निपटान CBWTTF या कैप्टिव निपटान सुविधा के माध्यम से किया जाता है।
- जैव-चिकित्सा अपशिष्ट की विभिन्न श्रेणियों के उपचार और निपटान के सामान्य तरीके निम्नलिखित हैं:
- येलो श्रेणी के अपशिष्ट: इस प्रकार के अपशिष्टों का उपचार एवं निपटान भस्मीकरण / प्लाज़्मा पायरोलिसिस /गहरे गड्ढे में दफनाकर किया जाता है।
- रेड श्रेणी के अपशिष्ट: इस प्रकार के अपशिष्टों का उपचार एवं निपटान आटोक्लेविंग / माइक्रोवेविंग / रासायनिक कीटाणुशोधन द्वारा किया जाता है।
- व्हाइट श्रेणी के नुकीले अपशिष्ट: इस प्रकार के अपशिष्टों का उपचार एवं निपटान कीटाणुशोधन और कतरन, फाउंड्री / एन्कैप्सुलेशन के माध्यम से कंक्रीट के गड्ढे में दफनाने एवं रीसाइक्लिंग के बाद कीटाणुशोधन कर किया जाता है।
- ब्लू श्रेणी के काँच के अपशिष्ट: इस प्रकार के अपशिष्टों का उपचार एवं निपटान रीसाइक्लिंग के बाद धुलाई, कीटाणुशोधन द्वारा किया जाता है।
- जैव चिकित्सा अपशिष्ट को 4 श्रेणियों में बाँटा गया है:
- येलो श्रेणी: इसमें पशु अपशिष्ट, मिट्टी का कचरा, एक्स्पायर्ड दवाएँ, रासायनिक कचरा, रासायनिक तरल अपशिष्ट, सूक्ष्म जीव विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी और अन्य नैदानिक प्रयोगशाला अपशिष्ट आदि शामिल हैं।
- रेड श्रेणी: इसमें दूषित अपशिष्ट, ट्यूबिंग जैसे डिस्पोजे़बल आइटम से उत्पन्न कचरा, सीरिंज, पेशाब की थैलियाँ, दस्ताने इत्यादि अपशिष्ट शामिल हैं।
- ब्लू श्रेणी: इसमें नुकीली धातुओं वाले अपशिष्ट शामिल हैं।
- व्हाइट श्रेणी: इसमें काँच के बने पदार्थों के अपशिष्ट शामिल हैं।
जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board - CPCB) राज्यों / क्षेत्रों में जैव चिकित्सा अपशिष्ट के प्रभावी प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिये सभी SPCB/PCC के साथ काम कर रहा है।
- CPCB ने जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के प्रावधानों के अनुरूप जैव-चिकित्सा अपशिष्ट के उचित उपचार और निपटान सुनिश्चित करने के लिये हितधारकों की सुविधा हेतु निम्नलिखित दिशा-निर्देश तैयार किये हैं:
- सामान्य जैव-चिकित्सा अपशिष्ट उपचार और निपटान सुविधाओं के लिये संशोधित दिशा-निर्देश।
- जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के अनुसार स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में हेल्थकेयर अपशिष्ट प्रबंधन हेतु दिशा-निर्देश।
- जैव-चिकित्सा अपशिष्ट के प्रभावी प्रबंधन के लिये बार कोड प्रणाली हेतु दिशा-निर्देश
- उपयोग के लिये बायोमेडिकल वेस्ट से निपटने हेतु दिशा-निर्देश
- HCF और CBWTF के खिलाफ पर्यावरण मुआवज़ा के प्रभाव के लिये दिशा-निर्देश।