‘जैव-प्रौद्योगिकी अभिनव संगठन’ का अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन | 21 Jun 2017

संदर्भ
कैलिफोर्निया के सेन डिएगो में 19 से 22 जून तक ‘जैव-प्रौद्योगिकी नवाचार संगठन’ (Biotechnology Innovation Organization) अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री श्री वाई. एस. चौधरी ने भारत के प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया। 

क्या है बी.आई.ओ.?

  • बी.आई.ओ. अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन जैव-प्रौद्योगिकी उद्योग का सबसे बड़ा वैश्विक कार्यक्रम है।
  • प्रथम जैव-अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 1993 में आयोजित किया गया था।
  • बी.आई.ओ. अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी जैव-प्रौद्योगिकी नवाचार संगठन द्वारा की जाती है। बी.आई.ओ. 1100 जैव प्रौद्योगिकी कंपनियों, शैक्षणिक संस्थानों और अमेरिका के साथ-साथ 30 से अधिक देशों में राज्य जैव-प्रौद्योगिकी केन्द्रों और संबंधित संगठनों का प्रतिनिधित्व करता है। 
  • बी.आई.ओ. सदस्य नवाचार स्वास्थ्य सेवा, कृषि, औद्योगिक और पर्यावरण संबंधी जैव-प्रौद्योगिकी उत्पादों के अनुसंधान और विकास में लगे हुए हैं।
  • जैव अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों से मिले लाभ को जैव-प्रौद्योगिकी उद्योग को जैव कार्यक्रमों के समर्थन के रूप में वापस लौटा दिया जाता है।
  • बी.आई.ओ. नीति संबंधी वातावरण बनाने के लिये वर्षभर कार्य करता है, ताकि जैव-प्रौद्योगिकी उद्योग नवाचार के माध्यम से दुनिया को बेहतर बनाने की दिशा में कार्य कर सके।

अन्य महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • भारत ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में भारत के साथ सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। 
  • मंत्री ने भारतीय शिक्षा और शोध के क्षेत्र में वैज्ञानिक प्रगति को उज़ागर किया और देश में फैली संक्रामक बीमारियों के निदान के लिये चिप डायग्नोस्टिक प्रयोगशाला (Chip Diagnostic Lab) के विकास की आवश्यकता पर बल दिया। 
  • उन्होंने कहा कि स्टैम-सेल इंजीनियरिंग माध्यम से मातृत्व स्वास्थ्य और जरा-चिकित्सा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाया जा सकता है।
  • उन्होंने अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में सहयोग करने का आग्रह किया। छात्रों से आग्रह किया वे भविष्य में संभावित विकास के क्षेत्रों में स्टार्ट-अप की शुरुआत कर सकते हैं। उन्होंने छात्रो से कहा कि भारत सरकार के पास रामलिंगस्वामी फेलोशिप,  डी.एस.टी. इंस्पायर, डी.बी.टी. वेलकम ट्रस्ट फेलोशिप और आई.वाई.बी.ए. जैसी अनेक प्रतिष्ठित योजनाएँ हैं, जिनसे विदेश में कार्यरत उन भारतीय अनुसंधानकर्त्ताओं को भारत में प्रवेश का अवसर मिलेगा, जो देश में पोस्ट डॉक्टोरल अनुसंधान करना चाहते हैं।