इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

बायो-उत्प्रेरक

  • 10 Sep 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

चेन्नई स्थित केंद्रीय चमड़ा अनुसंधान संस्थान (Central Leather Research Institute (CSIR-CLRI) के शोधकर्त्ताओं ने एमाइलेज-आधारित जैव उत्प्रेरक (Biocatalyst) विकसित किया है।

प्रमुख बिंदु

  • जेनेटिक इंजीनियरिंग (Genetic Engineering) के माध्यम से एमाइलेज के एंजाइमी गुणों में सुधार किया गया।
  • इस प्रक्रिया में किसी भी रसायन का उपयोग नहीं किया जाएगा जिससे जल की रासायनिक ऑक्सीजन की मांग (Chemical Oxygen Demand) लगभग 35% कम हो जाएगी।
  • यह जैव-उत्प्रेरक चमड़े के प्रसंस्करण को पर्यावरण अनुकूल बनाने तथा इसके पूर्व-शोधन के चरण में लगने वाले समय में भी कटौती करने में सहायक होगा।
  • चमड़े के प्रसंस्करण के दौरान पूर्व-शोधन (Pre-Tanning) की प्रक्रिया कुल प्रदूषण का 60-70% उत्पन्न करती है।
  • इस जैव-उत्प्रेरक के प्रयोग से चमड़े के प्रसंस्करण के दौरान उपयोग की मात्रा में तिगुना तक कमी आएगी जिससे अपशिष्ट प्रवाह में भी कमी होगी।
  • जैव-उत्प्रेरक के प्रयोग से पर्यावरण में क्रोमियम (Chromium) की कम मात्रा का निर्वाह होगा। क्रोमियम का उपयोग कोलेजन (Collagen) की स्थिरता को बढ़ाने के लिये किया जाता है।

यह कैसे कार्य करेगा?

  • यह जैव-उत्प्रेरक त्वचा में मुख्य रूप से उपस्थित ग्लाइकन शुगर (Glycosaminoglycan) के साथ 120 गुना अधिक बंधकारी (Binding) होता है। एक बार जब उत्प्रेरक ग्लाइकन शुगर से बंध बनाता है तो हाइड्रोलिसिस (Hydrolysis) प्रक्रिया से ग्लाइकन शुगर चमड़े के फाइबर को मुक्त करती है।
  • इस जैव-उत्प्रेरक के प्रयोग से बंध बनाने और हाइड्रोलिसिस की प्रक्रिया त्वरित गति से होगी जबकि पारंपरिक एंजाइम फाइबर को मुक्त करने में 3 से 4 घंटे का समय लेते हैं।

glycosaminoglycan

लाभ

  • यह चमड़े से फाइबर को मुक्त करने की प्रक्रिया को तीव्र करेगा फलस्वरूप चमड़े के उत्पादन की प्रक्रिया में लगने वाले समय में कमी आएगी।
  • यह चमड़े में भीतर तक समाएगा जिसके दो लाभ होंगे-
    • यह कोलेजन (Collagen) की स्थिरता को बढ़ाने के लिये क्रोमियम के उपयोग को कम करेगा।
    • यह तैयार चमड़े की गुणवत्ता में वृद्धि करेगा।
  • जैव-उत्प्रेरक 90 डिग्री सेल्सियस के उच्च तापमान एवं pH10 तक स्थिर रहेगा, इसलिये 90% एंजाइम को एकल प्रक्रिया के द्वारा पुनः प्राप्त कर चमड़े का पुनः उपयोग किया जा सकेगा।

जैव-उत्प्रेरक

  • यह एक एंजाइम या प्रोटीन (Enzyme or Protein) होता है जो जैव रासायनिक प्रतिक्रिया (Biochemical Reaction) की दर को बढ़ाता है या उत्प्रेरित करता है।
  • एमाइलेज-आधारित जैव-उत्प्रेरक एक प्रोटीन की तरह होता है जो स्टार्च को सरल शुगर अणुओं में तोड़कर जैव रासायनिक प्रतिक्रिया की दर को बढ़ाता है।

रासायनिक ऑक्सीजन मांग (Chemical Oxygen Demand-COD)

  • यह जल में ऑक्सीजन की वह मात्रा है जो उपस्थित कुल कार्बनिक पदार्थो (घुलनशील अथवा अघुलनशील) के ऑक्सीकरण के लिये आवश्यक होती है।
  • यह जल प्रदूषण के मापन के लिये बेहतर विकल्प है।

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद- केंद्रीय चमड़ा अनुसंधान संस्थान

(Council of Scientific and Industrial Research- Central Leather Research Institute, CSIR-CLRI)

  • इसकी स्थापना वर्ष 1948 में हुई थी।
  • इसकी स्थापना का उद्देश्य चमड़ा उद्योग के लिये प्रौद्योगिकियों को विकसित करने, उन्हें आत्मसात करना और नवाचार के लिये देश को सक्षम बनाना था।
  • यह चमड़े से संबंधित क्षेत्रों में शिक्षा और प्रशिक्षण में प्रत्यक्ष भूमिका के माध्यम से मानव संसाधन का विकास तथा अनुसंधान में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिये अधिदेश प्राप्त है।

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2