बिम्सटेक : अच्छे संबंधों के निर्माण की आवश्यकता | 26 Apr 2018
संदर्भ
प्राचीन काल से क्षेत्रीय साझेदारियों ने पूरी दुनिया में विकास को प्रेरित किया है और समृद्धि लाने में मदद की है। वर्तमान समय में भी हमने देखा है कि भारतीय विदेश नीति किस प्रकार अंतर-क्षेत्रीय, क्षेत्रीय और उप क्षेत्रीय पहलों से जुड़ी हुई है ताकि क्षेत्रीय स्थिरता और विकास के साझा लक्ष्य पोषित हो सकें। भारत के संदर्भ में बिम्सटेक की चर्चा की जा सकती है। स्मरणीय है कि कुछ दिन पश्चात् बिम्सटेक की स्थापना के 21 साल होने वाले हैं।
बिम्सटेक क्या है ?
- एक क्षेत्रीय संगठन के रूप में BIMSTEC (Bay of Bengal Initiative for Multi-sectoral Technical and Economic Cooperation ) की स्थापना जून 1997 में हुई थी।
- इस संगठन में भारत सहित नेपाल, भूटान, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्याँमार और थाईलैंड शामिल हैं।
- प्रारंभ में यह चार देशों भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश और थाईलैंड (BIST-EC) के आर्थिक सहयोग पर आधारित संगठन था।
- संगठन का स्थायी कार्यालय ढाका में स्थापित किया गया है।
- मूल रूप से यह एक सहयोगात्मक संगठन है, जो कि व्यापार, ऊर्जा, पर्यटन, मत्स्य पालन, परिवहन और प्रौद्योगिकी इन छः क्षेत्रों को आधार बनाकर सृजित किया गया था
- परंतु बाद में कृषि, गरीबी उन्मूलन, आतंकवाद, संस्कृति, जनसंपर्क, सार्वजनिक स्वास्थ्य, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन को भी इसमें शामिल किया गया।
भारत के लिये बिम्सटेक का महत्त्व
- भारत के लिये बिम्सटेक 'नेबरहुड फर्स्ट' और 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' हेतु बहुत महत्त्वपूर्ण है।
- दक्षिण एशिया के सात सदस्य देशों और दक्षिण-पूर्व एशिया के दो देशों वाला यह समूह क्षेत्रीय एकता का प्रदर्शन करता है।
- भारत के लिये बिम्सटेक उत्तर-पूर्व के राज्यों के एकीकरण और आर्थिक विकास में सहायक हो सकता है।
- बिम्सटेक से भारत- म्याँमार के बीच कलादान मल्टीमॉडल पारगमन परिवहन परियोजना और भारत- म्याँमार-थाईलैंड (IMT) राजमार्ग परियोजना के विकास में भी सहयोग की उम्मीद की जा सकती है।
- यह संगठन दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्वी देशों के बीच सेतु की तरह काम करता है। इस समूह में दो देश दक्षिण-पूर्वी एशिया के हैं। म्याँमार और थाईलैंड भारत को दक्षिण पूर्वी इलाकों से जोड़ने के लिये बेहद अहम हैं। इससे भारत के व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
बिम्सटेक के समक्ष चुनौतियाँ
- बिम्सटेक क्षेत्र में व्यापारिक गतिविधियों के विकास के लिये एक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर सदस्य देशों के बीच सहमति अभी नहीं बन पाई है।
- संगठन के कुछ सदस्य देशों के बीच शरणार्थियों की समस्या क्षेत्र में राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक असंतुलन पैदा कर रही है।
- संगठन की बैठकें अथवा शिखर सम्मेलन नियमित नहीं हैं, जिसके कारण सदस्य देशों की संगठन के उद्देश्यों के प्रति रुचि कम हो जाती है।
आगे की राह
- साझा इतिहास की पृष्ठभूमि पर छात्रों, युवा उद्यमियों, निर्वाचित प्रतिनिधियों आदि के बीच नए और मज़बूत संबंध स्थापित करने की आवश्यकता है
- ‘ब्रांड बिम्सटेक’ के निर्माण के साथ-साथ मीडिया के माध्यम से सदस्य देशों के लोगों को एक-दूसरे के पास लाना होगा।
- संगठन की बैठकें और सम्मेलनों को नियमित तौर पर आयोजित करना होगा जिससे कि संबंधों में और अधिक तीव्रता से मज़बूती आए और परस्पर हितों की पूर्ति सुनिश्चित हो सके।