अंतर्राष्ट्रीय संबंध
बिम्सटेक सम्मेलन
- 14 Feb 2020
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प्रीलिम्स के लियेबिम्सटेक समूह, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो मेन्स के लियेबिम्सटेक का भारत के लिये महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
13 फरवरी 2020 को मादक द्रव्यों की तस्करी रोकने के उद्देश्य से नई दिल्ली में दो दिवसीय बिम्सटेक (बहुक्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिये बंगाल की खाड़ी पहल) सम्मेलन का आयोजन किया गया।
प्रमुख बिंदु
- यह सम्मेलन सभी सदस्य देशों को मादक पदार्थों की तस्करी के बढ़ते खतरों और विभिन्न देशों द्वारा अपनाई गई सर्वोत्तम प्रथाओं से सीख लेकर इन खतरों को समाप्त करने के लिये आवश्यक सामूहिक कदमों के बारे में बातचीत करने का अवसर प्रदान करेगा।
- सम्मेलन के उद्घाटन भाषण में गृह मंत्री ने बताया कि सरकार ने मादक पदार्थों की तस्करी एवं व्यापार को नियंत्रित करने के लिये जो नीति बनाई है उससे भारत में न तो मादक पदार्थों को प्रवेश करने दिया जाएगा और न ही भारत की ज़मीन का प्रयोग मादक पदार्थों की तस्करी में होने दिया जाएगा।
- सरकार का यह विचार है कि पूरी दुनिया में मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने के लिये एकजुट होना आवश्यक है और भारत इस कार्य में विश्व का नेतृत्व करने के लिये तैयार है।
- भारत ने बहुत कम समय के अंदर ही देश में मादक पदार्थों के नियंत्रण के प्रति कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं जिनका सकारात्मक प्रभाव सामने आया है।
- सरकार की मादक पदार्थों संबंधी एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की कुल आबादी का लगभग 5% मादक पदार्थों के प्रभाव से ग्रसित है अर्थात विश्व के 27 करोड़ से अधिक लोग ऐसे पदार्थों का सेवन कर रहे हैं, जो कि गंभीर चिंतन का विषय है।
- मादक पदार्थों का सेवन करना स्वयं, परिवार, समाज के साथ साथ देश की सुरक्षा के लिये भी खतरा है और यह देश विरोधी तत्त्वों की आमदनी का एक बड़ा ज़रिया बन गया है। आँकड़े बताते हैं कि विश्व में अवैध मादक पदार्थों की तस्करी के चलते एक बड़ी राशि का लेन-देन होता है जिसका उपयोग अवैध सामाजिक गतिविधियों में किया जाता है।
बहुक्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिये बंगाल की खाड़ी पहल- बिम्सटेक
- एक उप-क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग समूह के रूप में बिम्सटेक का गठन जून 1997 में बैंकाक में किया गया था।
- प्रारंभ में इस संगठन में बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड शामिल थे और इसका नाम BIST-EC यानि बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड इकॉनोमिक को-ऑपरेशन था।
- दिसंबर 1997 में म्याँमार भी इस समूह से जुड़ गया और इसका नाम BIMST-EC हो गया।
- इसके बाद फरवरी 2004 में भूटान और नेपाल भी इस समूह में शामिल हो गए।
- जुलाई 2004 में बैंकाक में आयोजित इसके प्रथम सम्मेलन में बिम्सटेक (बांग्लादेश, भारत, म्याँमार, श्रीलंका और थाईलैंड तकनीकी और आर्थिक सहयोग) का नाम बदलकर बिम्सटेक (बहुक्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिये बंगाल की खाड़ी पहल) रखा गया।
उद्देश्य
- सात देशों का यह संगठन मूल रूप से एक सहयोगात्मक संगठन है जो व्यापार, ऊर्जा, पर्यटन, मत्स्यपालन, परिवहन और प्रौद्योगिकी को आधार बनाकर शुरू किया गया था लेकिन बाद में इसमें कृषि, गरीबी उन्मूलन, आतंकवाद, संस्कृति, जनसंपर्क, सार्वजनिक स्वास्थ्य तथा पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन को भी शामिल किया गया।
- बिम्सटेक के मुख्य उद्देश्यों में बंगाल की खाड़ी के तट पर दक्षिण एशियाई और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के बीच तकनीकी और आर्थिक सहयोग प्रदान करना शामिल है।
भारत के लिये बिम्सटेक का महत्त्व
- बिम्सटेक दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के बीच एक सेतु की तरह काम करता है। इस समूह में दो देश दक्षिण-पूर्व एशिया के हैं। म्याँमार और थाईलैंड भारत को दक्षिण-पूर्वी क्षेत्रों से जोड़ने के क्रम में अति महत्त्वपूर्ण है।
- बिम्सटेक देशों के बीच मज़बूत संबंध भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास को गति प्रदान कर सकता है। इससे भारत-म्याँमार के बीच परिवहन परियोजना और भारत-म्याँमार-थाईलैंड राजमार्ग परियोजना के विकास में भी तेज़ी आएगी।
- चीन ने भूटान और भारत को छोड़कर लगभग सभी बिम्सटेक देशों में भारी निवेश कर रखा है। ऐसे में हिन्द महासागर तक पहुँचने के लिये बंगाल की खाड़ी तक पहुँच बनाना चीन के लिये ज़रूरी होता जा रहा है। जबकि भारत बंगाल की खाड़ी में अपनी पहुँच और प्रभुत्व को बनाए रखना चाहता है, इस उद्देश्य की सफलता में भी बिम्सटेक भारत के लिये काफी महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
- पाकिस्तान की नकारात्मक भूमिका के चलते भारत बिम्सटेक को काफी महत्त्व देता है। इससे भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
- भारत सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिये कार्यरत विभिन्न एजेंसियों के बीच प्रवर्तन और समन्वय गतिविधियों को मज़बूत करने के लिये कई पहल की हैं। केंद्रीय और राज्य सरकार की एजेंसियों द्वारा अधिक सामंजस्य पूर्ण और समन्वित कार्यों को सुनिश्चित करने के लिये काम किया जा रहा है।
- सरकार नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (Narcotics Control Bureau-NCB) के अधिकारियों को प्रशिक्षण देने के लिये भोपाल में केंद्रीय अकादमी की स्थापना कर रही है।
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो
- नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की स्थापना स्वापक औषधियाँ और मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम (Narcotic Drugs and Psychotropic Substances Act), 1985 द्वारा मार्च 1986 में की गई।
- यह गृह मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है।
- इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। इसके क्षेत्रीय कार्यालय भी हैं जो मुंबई, इंदौर, कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई, लखनऊ, जोधपुर, चंडीगढ़, जम्मू, अहमदाबाद, बंगलूरु, गुवाहाटी और पटना में स्थित हैं।
उद्देश्य
- इसका मुख्य उद्देश्य मादक पदार्थों की तस्करी पर रोक लगाना है।
- देश के सीमांत क्षेत्रों पर नज़र रखना ताकि विदेशी तस्करों की गतिविधियों को सीमा पर ही नियंत्रित किया जा सके।
- यह मादक पदार्थ प्रवर्तन एजेंसियों के कर्मियों को संसाधन और प्रशिक्षण भी प्रदान करता है।
- भारत में इंटरनेट और सोशल मीडिया के माध्यम से होने वाले मादक पदार्थों की तस्करी के बारे में जागरुकता बढ़ाने की पहल की गई है।
- भारत सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समन्वय स्थापित कर पिछले 5 वर्षों में बांग्लादेश, श्रीलंका, इंडोनेशिया, म्याँमार, सिंगापुर आदि देशों से मादक पदार्थों की तस्करी के मुद्दे पर चर्चा की है।
- भारत सरकार ने ‘ड्रग फ्री इंडिया (Drug Free India)’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये मज़बूती से अपने कदम बढ़ाएं हैं।