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उपादान भुगतान (संशोधन) विधेयक, 2017 से संबंधित प्रावधान

  • 13 Sep 2017
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा संसद में उपादान भुगतान (संशोधन) विधेयक (Payment of Gratuity (Amendment) Bill), 2017 को पेश करने की मंज़ूरी प्रदान की गई है। इस संशोधन से निजी क्षेत्रों और सरकार के अधीनस्थ सार्वजनिक उपक्रमों/स्‍वायत्त संगठनों (Public Sector Undertakings/ Autonomous Organizations) के कर्मचारियों के उपादान की अधिकतम सीमा में वृद्धि होगी। ध्यातव्य है कि यह सी.सी.एस. (पेंशन) नियमावली के अधीन शामिल नहीं है।

पृष्ठभूमि

  • ध्यातव्य है कि उपादान भुगतान अधिनियम, 1972 दस अथवा दस से अधिक लोगों को नियोजित करने वाले प्रतिष्ठानों पर लागू होता है।
  • इस अधिनियम को लागू करने का मुख्‍य उद्देश्‍य सेवानिवृत्ति के बाद, चाहे सेवानिवृत्ति की नियमावली के परिणामस्‍वरूप सेवानिवृत्ति हुई हो अथवा शरीर के महत्त्वपूर्ण अंगों के नाकाम होने से उत्पन्न हुई शारीरिक विकलांगता के कारण हुई हो, सभी पक्षों में कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है।
  • वस्तुतः उपादान भुगतान अधिनियम, 1972 उद्योगों, कारखानों और प्रतिष्ठानों में मज़दूरी अर्जित करने वाली जनसंख्‍या के लिये एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक सुरक्षा के विधान के रूप में उपलब्ध होता है।    
  • उपादान के संबंध में सी.सी.एस. (पेंशन) नियमावली (Central Civil Services (Pension) Rules), 1972 के अधीन केंद्रीय कर्मचारियों के लिये भी समान प्रावधान सुनिश्चित किये गए हैं।
  • ध्यातव्य है कि सातवें केंद्रीय वेतन आयोग के लागू होने से पहले सी.सी.एस. (पेंशन) नियमावली,1972 के अधीन अधिकतम उपादान सीमा राशि 10 लाख रूपए थी।
  • हालाँकि, सातवें केंद्रीय वेतन आयोग के लागू होने से सरकारी कर्मचारियों के मामले में 1 जनवरी, 2016 से उपादान राशि की अधिकतम सीमा को बढ़ाकर 20 लाख रूपए कर दिया गया है।   
  • यही कारण है कि निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों के मामले में भी महँगाई और वेतन वृद्धि के संबंध में सरकार द्वारा यह विचार किया गया कि उपादान भुगतान अधिनियम,1972 के अधीन शामिल कर्मचारियों के लिये उपादान की पात्रता में संशोधन किया जाना चाहिये।
  • संभवतः इसीलिये सरकार द्वारा उपादान भुगतान अधिनयिम, 1972 में संशोधन की प्रक्रिया शुरू की गई।
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