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शासन व्यवस्था

चेक बाउंस मामलों में त्वरित अभियोजन संबंधी विधेयक लोकसभा से पारित

  • 24 Jul 2018
  • 2 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में चेक बाउंस के मामलों में शिकायतकर्त्ता को मुआवज़ा मुहैया कराने हेतु त्वरित अभियोजन से संबंधित विधेयक को लोकसभा ने पारित कर दिया|

प्रमुख संशोधन 

  • परक्राम्य लिखत (संशोधन) विधेयक (Negotiable Instruments (Amendment) Bill) को लोकसभा में ध्वनिमत से पारित कर दिया गया| यह विधेयक शिकायतकर्त्ता को अंतरिम मुआवज़े के भुगतान हेतु ड्रावर (व्यक्ति जो चेक लिखता है) को निर्देशित करने के लिये अदालत को चेक बाउंस अपराध के विचारण की अनुमति देता है।
  • नए प्रावधानों के तहत शिकायत करने वाले को त्वरित न्याय मिलेगा| मामले की शिकायत करने वाले को 20 प्रतिशत अंतरिम राशि मुआवज़े के रूप में देने का प्रावधान किया गया है। 
  • यदि मामला अपीलीय अदालत में जाता है तो 20 प्रतिशत और राशि न्यायालय में जमा करनी होगी। चेक जारी करने वाले को आर्थिक दंड पर 20 प्रतिशत ब्याज भी देना होगा। मामले में न्यायालय चाहे तो दंड की राशि 100 प्रतिशत भी कर सकता है|
  • इस संशोधन से मुकदमेबाज़ी के मामलों में कमी आएगी तथा चेक और बैंकिंग प्रणाली पर  विश्वसनीयता बढ़ेगी।
  • विधेयक के ज़रिये अधिनियम में धारा 143 (a) का समावेशन किया गया है जिसमें अपील करने वाले पक्ष को ब्याज देने का प्रावधान है। धारा 138 के तहत अदालत में मुकदमा चलने पर पीड़ित पक्ष को 60 दिन के भीतर 20 प्रतिशत अंतरिम राहत राशि देने की व्यवस्था है। बड़ी राशि होने और दो किस्तों में भुगतान करने की दशा में यह अवधि 30 दिन बढ़ाई जा सकती है।
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