शराब की बोतलों को चूड़ियों में बदलेगा बिहार | 09 Sep 2022
प्रिलिम्स के लिये:ग्रामीण आजीविका संवर्धन कार्यक्रम, जीविका (JEEViKA), बिहार निषेध और उत्पाद शुल्क अधिनियम, 2016। मेन्स के लिये:बिहार का शराब निषेध और संबंधित मुद्दे। |
चर्चा में क्यों?
बिहार अपने ग्रामीण आजीविका संवर्धन कार्यक्रम, जिसे जीविका के नाम से जाना जाता है, के माध्यम से ज़ब्त शराब की बोतलों से काँच की चूड़ियाँ बनाने की तैयारी कर रहा है।
- ये बोतलें जीविका कार्यकर्त्ताओं को दी जाएँगी, जिन्हें चूड़ी बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है। कार्यक्रम इसके लिये एक कारखाना स्थापित करेगा।
- विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित, जीविका एक ग्रामीण सामाजिक और आर्थिक सशक्तीकरण कार्यक्रम है जो बिहार के ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत है।
पहल की आर्थिक व्यवहार्यता:
- कुछ लोग ज़ब्त शराब की बोतलों से काँच की चूड़ियाँ बनाने के सरकार के नए "अभिनव" विचार की आर्थिक व्यवहार्यता के बारे में आशंकित हैं।
- यह एक अभिनव विचार की तरह लग सकता है लेकिन काँच की चूड़ियों को बनाने में चूना पत्थर और सोडा जैसी अन्य सामग्रियों का भी उपयोग किया जाता है।
- फैज़ाबाद, मुंबई और हैदराबाद जैसी जगहों पर कई छोटे और बड़े स्थापित कारखाने हैं जो काँच की चूड़ी बनाने वाले उत्पादों का लगभग 80% हिस्सा रखते हैं।
- ज़ब्त की गई अवैध शराब की बोतलें काँच की चूड़ी बनाने वाली फैक्ट्री की आर्थिक व्यवहार्यता को बनाए रखने के लिये पर्याप्त नहीं होंगी।
बिहार शराब निषेध और संबंधित मुद्दे:
- परिचय:
- 5 अप्रैल 2016 को पेश किया गया बिहार मद्य निषेध और उत्पाद अधिनियम, 2016 ने राज्य में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया।
- मार्च 2022 में बिहार विधानसभा ने शराबबंदी अधिनियम में संशोधन करने वाला एक विधेयक पारित किया।
- बिहार निषेध और उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2022 में कहा गया कि शराब का सेवन करने वाले लोगों को अब एक मजिस्ट्रेट के समक्ष जुर्माना भरना होगा और उन्हें जेल नहीं भेजा जाएगा।
- पटना उच्च न्यायालय द्वारा ज़िलों और उपखंडों में विशेष कार्यकारी मजिस्ट्रेट के रूप में नामित अधिकारियों में न्यायिक शक्ति निहित होने के बारे में अपनी आपत्ति व्यक्त करने के बाद संशोधन अभी भी लागू होने की प्रतीक्षा कर रहा है।
- मुद्दे:
- नतीजतन, गिरफ्तारी की पुरानी व्यवस्था जारी है, आबकारी विभाग के आँकड़ों से पता चलता है कि सिर्फ अगस्त 2022 में शराब कानूनों का उल्लंघन करने के लिये 30,000 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
- शराब निषेध नीति कई विवादों का विषय रही है, उनमें से प्रमुख यह आरोप है कि इन कानून ने राज्य की न्यायिक प्रक्रियाओं को रोक दिया है।
- बिहार में शराब कानून के उल्लंघन के कारण जेलों में कैदियों की संख्या बढ़ गई है, उल्लंघन के कारण बिहार की जेलों में लगभग 1.5 लाख लोग हैं।
- उनमें से ज़्यादातर समाज के निचले और दलित वर्गों से संबंधित हैं जो जेल से बाहर निकलने के लिये जुर्माना नहीं दे सकते।