बीबीआईएन समझौते से बाहर होगा भूटान | 29 Apr 2017
संदर्भ
हाल ही में भूटान द्वारा यह घोषणा की गई है कि वह बांग्लादेश, भारत और नेपाल के साथ हुए मोटर वाहन समझौते(Motor Vehicles Agreement) को आगे बढ़ाने में असमर्थ है| हालाँकि, भूटान की यह घोषणा इस समझौते में एक अवरोध मात्र है और इसे इस समझौते की समाप्ति के रूप में नहीं देखा जा सकता है|
प्रमुख बिंदु
- विदित हो कि वर्ष 2015 में बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल ने मिलकर बीबीआईएन समझौते पर हस्ताक्षर किये थे| इस समझौते का उद्देश्य चारों देशों के आपसी संबंधों को मज़बूती प्रदान करना तथा वैश्विक स्तर पर अपनी स्थिति में सुधार करना था|
- दरअसल, बीबीआईएन (BBIN) के नाम से यह बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल का एक उपसमूह है| चूँकि वर्ष 2014 में काठमांडू में हुई सार्क की बैठक में पाकिस्तान ने मोटर वाहन समझौते पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया था, अतः इन देशों के पास केवल यही विकल्प शेष था|
- इस समझौते के तहत इन चारों देशों ने अपने व्यापार को बढ़ावा देने के लिये एक-दूसरे के राजमार्गों पर अपने ट्रकों और वाणिज्यिक वाहनों की मुक्त आवाजाही को स्वीकृति प्रदान की थी|
- ध्यातव्य है कि सार्क के अन्य सदस्य राष्ट्रों में शामिल श्री लंका और मालदीव स्थलमार्ग से नहीं जुड़े हैं और अफगानिस्तान अन्य देशों से तभी जुड़ सकता है जब तक पाकिस्तान इसकी स्वीकृति दे|
- इसके अतिरिक्त शेष बचे हुए इन तीनों देशों (बांग्लादेश,भारत,नेपाल) को भी भूटान की इस घोषणा के पश्चात यह निर्णय लेना होगा कि भूटान को इसमें पुनः शामिल करने के लिये उससे वार्ता करें अथवा इसका नाम परिवर्तित कर केवल बांग्लादेश,भारत और नेपाल(बीआईएन) समझौता कर दे|
भूटान की चिंताओं का कारण
- भूटान के असैन्य समूहों और राजनीतिज्ञों को चिंता का मुख्य कारण इन देशों में बढ़ रहे वाहनों के कारण होने वाला वायु प्रदूषण है| भूटान के उच्च सदन ने मोटर वाहन समझौते की पुष्टि करने से इंकार कर दिया है| एक आधिकारिक घोषणा में यह कहा गया है कि भूटान इस समझौते से अपनी दूरी बनाए रखेगा|
भूटान की चिंता पर भारत का पक्ष
- इन सभी बाधाओं के बावजूद भारत अपनी ओर से समझौते के उचित क्रियान्वयन के लिये प्रयासरत है|
- भारत का मानना है कि भूटान का विरोध राजनीतिक न होकर पर्यावरणीय है और भूटान सरकार के विचार को समय के साथ परिवर्तित किया जा सकता है|
भूटान की चिंता का समाधान
- यदि भारत, देशों को स्थल मार्गों से जोड़ने की बजाय जल मार्गों से जोड़ने पर बल देगा तो निश्चित तौर पर भूटान की चिंताएँ समाप्त हो सकती हैं| इसके अतिरिक्त इससे पर्यावरण को होने वाली क्षति भी न्यूनतम होगी|
- संभव है कि इस समझौते को लेकर भूटान का विरोध इसलिये है क्योंकि वर्तमान में भारत, नेपाल और बांग्लादेश में ट्रकों से होने वाले प्रदूषण का स्तर काफी ऊँचा है|
- इन सभी के अलावा, भारत सभी देशों के साथ संपर्कों को मजबूत बनाए रखने की इच्छाशक्ति रखता है| भारत उन देशों का भी इस समझौते में स्वागत करता है जो भविष्य में इसमें शामिल होंगे|