भारतमाला परियोजना | 12 Oct 2020

प्रिलिम्स के लिये

भारतमाला परियोजना

मेन्स के लिये

भारत में राजमार्गों की स्थिति और भारतमाला परियोजना का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (The Ministry of Road Transport and Highways) ने राष्ट्रीय राजमार्गों के नेटवर्क की विस्तृत समीक्षा की है और भारतमाला परियोजना की चरण I योजना के अंतर्गत लगभग 34,800 किमी.राजमार्ग (10,000 किमी. राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना के अवशिष्ट भाग सहित) के विकास के लिये अनुमानित परिव्यय 5,35,000 करोड़ रुपए के समग्र निवेश की स्वीकृति प्रदान की है।

प्रमुख बिंदु:

  • अगस्त 2020 तक 12,413 किमी. की लंबाई वाली कुल 322 परियोजनाओं को भारतमाला योजना के तहत प्रारंभ किया गया है। इसके अलावा परियोजना के तहत अब तक 2921 किमी. राजमार्गों का निर्माण किया जा चुका है।

भारतमाला परियोजना (Bharatmala Pariyojana):

  • सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा वर्ष 2017-18 से भारतमाला कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
  • सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की महत्त्वाकांक्षी ‘भारतमाला परियोजना’ के प्रथम चरण के तहत 5,35,000 करोड़ रुपए की लागत से 34,800 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों का49-* निर्माण किया जाएगा।

bharatmala

  • इसके अंतर्गत आर्थिक कॉरिडोर, फीडर कॉरिडोर और इंटर कॉरिडोर, राष्ट्रीय कॉरिडोर, तटवर्ती सड़कें, बंदरगाह संपर्क सड़कें आदि का निर्माण किया जाएगा।
  • इस कार्यक्रम की अवधि वर्ष 2017-18 से वर्ष 2021-22 तक है। चरण-1 में कुल 34,800 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया जाना है, जिसमें शामिल हैं:
    • 5,000 किलोमीटर राष्ट्रीय कॉरिडोर।
    • 9,000 किलोमीटर आर्थिक कॉरिडोर।
    • 6,000 किलोमीटर फीडर कॉरिडोर और इंटर कॉरिडोर।
    • 2,000 किलोमीटर सीमावर्ती सड़कें।
    • 2,000 किलोमीटर तटवर्ती सड़कें एवं बंदरगाह संपर्क सड़कें।
    • 800 किलोमीटर हरित क्षेत्र एक्सप्रेस वे।
    • 10,000 किलोमीटर अधूरे सड़क निर्माण कार्य।
  • इस परियोजना के तहत निर्माण कार्य करने वाली मुख्य एजेंसियाँ इस प्रकार हैं:
  • भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग, राष्ट्रीय राजमार्ग और औद्योगिक विकास निगम तथा लोक निर्माण विभाग।

लाभ:

  • पूरे देश में सड़क संपर्क में सुधार।
  • आर्थिक गलियारों से कार्गो की त्वरित आवाजाही में वृद्धि।
  • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि।
  • निवेश में तेज़ी एवं रोज़गार सृजन में वृद्धि होने की संभावना।

स्रोत- पीआईबी