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सामाजिक न्याय

भारतीय पोषण कृषि कोष (BPKK)

  • 19 Nov 2019
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

भारतीय पोषण कृषि कोष तथा इससे संबंधित मंत्रालय

मेन्स के लिये:

भारतीय पोषण कृषि कोष, इसका उद्देश्य तथा कुपोषण की समस्या से निपटने में इसका महत्त्व

चर्चा में क्यों?

18 नवंबर, 2019 को केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (Ministry of Women and Child Development) ने भारतीय पोषण कृषि कोष (Bharatiya Poshan Krishi Kosh-BPKK) की शुरुआत की।

BPKK

उद्देश्य

इसका उद्देश्‍य कुपोषण को दूर करने के लिये बहुक्षेत्रीय ढाँचा विकसित करना है जिसके तहत बेहतर पोषक उत्‍पाद हेतु 128 कृषि जलवायु क्षेत्रों में विविध फसलों पर ज़ोर दिया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • महिला और बाल विकास मंत्रालय इस परियोजना को बिल एंड मेलिंडा फाउंडेशन के सहयोग से चलाएगा।
  • देश को सामान्यतः कृषि जलवायु विशेषताओं, विशेष रूप से मिट्टी के प्रकार, तापमान और वर्षा सहित जलवायु एवं इसकी विविधता तथा जल संसाधनों के आधार पर पंद्रह कृषि क्षेत्रों में विभाजित किया गया है।
  • हार्वर्ड चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ (Harvard Chan School of Public Health) भारत में स्थित अपने शोध केंद्र तथा बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (Bill & Melinda Gates Foundation) के साथ मिलकर भारत के विभिन्‍न भौगोलिक क्षेत्रों में खान-पान की आदतों का एक दस्‍तावेज तैयार करेंगे और उसका मूल्‍याकंन करेंगे।
  • इसके अलावा ये दोनों (हार्वर्ड चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ तथा बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन) देश की क्षेत्रीय कृषि खाद्य प्रणाली का एक नक्‍शा भी बनाएंगे।
  • महिला और बाल विकास मंत्रालय तथा बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के परामर्श से, परियोजना टीम लगभग 12 ऐसे राज्यों का चयन करेगी जो भारत की भौगोलिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और संरचनात्मक विविधताओं का प्रतिनिधित्‍व करते हैं। 
  • प्रत्येक राज्य या राज्यों के समूह में परियोजना टीम एक स्थानीय साझेदार संगठन की पहचान करेगी, जिसके पास सामाजिक और व्यवहार परिवर्तन संचार (Social and Behavior Change Communication-SBCC) तथा नक्‍शा तैयार करने के लिये पोषक आहारों का आवश्‍यक अनुभव हो।

एम. एस. स्‍वामिनाथन का सुझाव

इस कोष की शुरुआत के अवसर पर कृषि वैज्ञानिक डा. एम एस स्‍वामिनाथन भारत को पोषण के मामले में सुरक्षित बनाने के लिये पांच सूत्री कार्य येाजना लागू करने का सुझाव दिया जो इस प्रकार हैं:

  • महिलाओं,गर्भवती महिलाओं तथा बच्‍चों के लिये कैलोरी से भरपूर आहार सुनिश्चित करना।
  • महिलाओं और बच्‍चों में मुखमरी खत्‍म करने के लिये भोजन में समुचित मात्रा में दालों के रूप में प्रोटीन का शामिल किया जाना।
  • सूक्ष्म पोषक तत्त्वों (जैसे-विटामिन A, विटामिन B, आयरन तथा जिंक) की कमी की वजह से होने वाली भूख को खत्‍म करना।
  • पीने के लिये स्‍वच्‍छ जल की आपूर्ति सुनिश्चित करना।
  • प्रत्येक गाँव में पोषण साक्षरता का प्रसार विशेष रूप से उन महिलाओं को पोषण के बारे में जागरुक बनाना जिनके बच्चों की 100 दिन से कम है।

एम. एस. स्‍वामिनाथन द्वारा सुझाई गई यह पाँच सूत्री कार्य योजना विभिन्न सतत् विकास लक्ष्यों जैसे- SDG-2 (शून्य भूख), SDG-3 (अच्छा स्वास्थ्य) और SDG-6 (शुद्ध जल और स्वच्छता) के भी अनुरूप है।

आगे की राह

बेहतर पोषण की दिशा में भारत सरकार पोषण युक्‍त आहार उपलब्‍ध कराने तथा ऐसे ही अन्य आपूर्ति योजनाओं को लागू करने का प्रयास कर रही है। लेकिन स्वस्थ आहार की आदतों को बढ़ावा देने के लिये सरकार के प्रयासों के लिये पूरक के तौर पर दो और बातें आवश्‍यक हैं: 

  • पहला यह कि इतने बड़े पैमाने पर कुपोषण की चुनौती से निपटने के लिये सामाजिक, व्यावहारिक और सांस्कृतिक प्रथाओं की एक बुनियादी समझ ज़रूरी है।
  • दूसरा, ज़िले में प्रासंगिक कृषि-खाद्य प्रणाली के आँकड़ों को जोड़ने वाले ऐसा डेटा बेस तैयार करना जिसका उद्देश्य ऐसी देशी फसलों की किस्मों की विविधता का मानचित्र बनाना है जो लंबे समय तक कम लागत वाली बनी रहें तथा टिकाऊ रह सकें।

निष्कर्ष:

भारत को सतत् विकास लक्ष्य (SDG) हासिल करने के लिये अब संचार के वैज्ञानिक तरीकों को कार्यान्वयन विज्ञान के साथ जोड़ना होगा ताकि स्वच्छता और स्वच्छ पेयजल के साथ ही पोषण भी राजनीतिक और प्रशासनिक एजेंडे में शामिल हो सके। महिलाओं, गर्भवती महिलाओं और बच्‍चों में कुपोषण की समस्‍या का निराकरण देश के विकास में अभूतपूर्व बदलाव लाएगा और सतत् विकाल लक्ष्‍यों को हासिल करने में देश की मदद करेगा। 

स्रोत: पी.आई.बी

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