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बेहतर शहरी नियोजन के लिये ई-गवर्नेंस और कुशल सार्वजनिक परिवहन की आवश्यकता

  • 17 Jun 2017
  • 8 min read

संदर्भ
उल्लेखनीय है कि नीति आयोग ने अपनी तीन वर्षीय कार्यकारी योजना के प्रारूप में शहरी जीवन में सुधार हेतु बढ़ती शहरी जनसंख्या के लिये रहने योग्य पर्याप्त स्थानों का सृजन करने,मलिन बस्तियों में कमी लाने, निरंतर बढ़ते शहरीकरण के लिये नए शहरों का निर्माण करने तथा शहरी जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने जैसे कुछ आवश्यक कदम सुझाए हैं|

महत्वपूर्ण बिंदु

  • विदित हो कि शहरीकरण को देश के आर्थिक विकास का अभिन्न अंग मानते हुए भारत सरकार के थिंक टैंक ‘नीति आयोग’ ने अपनी तीन वर्षीय कार्यकारी योजना में केंद्र तथा राज्यों में आर्थिक परिवर्तनों को बढ़ावा देने के लिये कई कार्यकारी कदमों का सुझाव दिया है| इन सुझावों के अंतर्गत अमृत मिशन(Atal Mission for Rejuvenation and Urban Transformation -AMRUT), स्मार्ट सिटी मिशन जैसे कार्यक्रमों के मुख्य तत्वों तथा कुशल एवं टिकाऊ सार्वजनिक परिवहन को भी शामिल किया गया है|
  • दरअसल, नीति आयोग की योजना में इस बात पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है कि आर्थिक परिवर्तनों को बढ़ावा देने के लिये भारत को शहरी जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर बढ़ती शहरी जनसंख्या की आवश्यकताओं को पूरा करने की आवश्यकता है| इसके लिये भारत सरकार को मौजूदा शहरों का विस्तार करने की आवश्यकता होगी|  
  • स्पष्ट है कि अमृत योजना का उद्देश्य पाइप्ड पेय जल, सीवेज व हरित स्थानों के लिये शहरी अवसंरचना मुहैया कराना है| अतः इसके लिये सरकार ने वर्ष 2015-16 व 2019-20 की समयावधि में 50,000 करोड़ रूपये का आवंटन करने की योजना बनाई है| नीति आयोग का कहना है कि इस सम्पूर्ण राशि की 80% राशि का आवंटन अवसंरचनात्मक प्रोजेक्टों, 10 % राशि का आवंटन सुधारों के क्रियान्वयन हेतु(इस योजना में शहरी स्तर पर शासन व्यवस्था में होने वाले सुधार भी शामिल हैं) तथा 10 % राशि का आवंटन केंद्र व प्रशासनिक व्यय हेतु किया जाएगा| ध्यातव्य है कि सरकार अमृत कार्यक्रम के अंतर्गत शहरी अवसंरचना में परिवर्तन करने के लिये 500 शहरों की पहचान भी कर चुकी है|
  • नीति आयोग द्वारा अमृत मिशन के अंतर्गत प्रस्तावित सुधारों में शहरी स्थानीय स्तर पर ई-गवर्नेंस का विकास, नगरपालिका क्षेत्रों का गठन और उनका व्यावसायिकरण , शहरी और नगर स्तरीय योजना, विधि के अनुरूप भवनों की समीक्षा, नगरपालिका कर और शुल्क सुधार, शहरी स्थानीय निकायों की क्रेडिट रेटिंग और बिजली और पानी जैसी उपयोगी सेवाओं के लिये होने वाली लेखा परीक्षा को शामिल किया गया है| इसमें क्षेत्र और परिणाम आधारित शहरी विकास का एक उदाहरण भी दिया गया है जिसमें सीवेज के विस्तार(31% से 62%), 111 साइकिल और पैदल पथ प्रोजेक्टों और शहरी मिशन के तहत 1,921 नए पार्क और हरित स्थानों के सृजन का प्रावधान है|
  • गौरतलब है कि अमृत मिशन के अतिरिक्त नीति आयोग ने स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत प्राप्त कुछ परिणामों को भी प्रस्तुत किया| सरकार मौजूदा 100 शहरों को स्मार्ट शहरों में परिवर्तित करने की योजना बना चुकी है तथा यह अब तक 60 स्मार्ट शहरों की पहचान भी कर चुकी है| यह अपेक्षा की जा रही है कि सरकार अन्य स्मार्ट शहरों की सूची इस माह के अंत तक जारी कर देगी|
  • तीन वर्षीय कार्यकारी योजना के प्रारूप में स्मार्ट शहरों के लिये सुझाए गए विशेष प्रयोजन वाहनों(special purpose vehicle) का निर्माण इस वित्तीय वर्ष में 40 शहरों के लिये किया जाएगा जबकि वर्ष 2018-19 में अन्य 40 व 2019-20 में शेष बीस शहरों के लिये इनका निर्माण किया जाएगा| नीति आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि एबीडी(area-based development -ABD) क्षेत्रों में स्मार्ट पार्किंग सुविधाओं के साथ ही सार्वजनिक प्लाज़ा और बंदरगाहों के नवीकरण का कार्य वर्तमान वर्ष में 20 शहरों तथा अगले दो वर्षों में 40 शहरों में पूरा हो जाना चाहिये|
  • वस्तुतः शहरी अर्थव्यवस्थाओं और श्रम बाज़ारों के लिये सार्वजानिक परिवहन को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए नीति आयोग का कहना था कि कुशल एवं टिकाऊ सार्वजानिक परिवहन को बढ़ावा देना सरकार के लिये सकारात्मक कदम होगा क्योंकि देश में वाहनों की बढ़ती संख्या के कारण वायु प्रदूषण जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिसका अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है|
  • आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय(Housing and Urban Poverty Alleviation) के आंकड़ों के आधार पर योजना के प्रारूप में यह भी कहा गया है कि वर्ष 1981 से 2011 तक वाहनों की संख्या में प्रति वर्ष 11.7% की दर से वृद्धि हुई है जबकि इसी समयावधि के दौरान जनसंख्या में प्रति वर्ष 2% की दर से ही वृद्धि हुई है|
  • नीति आयोग द्वारा की गई अनुशंसाओं में यह स्पष्ट किया गया है कि अगले तीन वर्षों में  525 किलोमीटर के मार्ग में मेट्रो रेल का क्रियान्वयन करने के लिये 200 किलोमीटर के मेट्रो रेल प्रोजेक्ट को प्रमाणित किया जाना चाहिये| उल्लेखनीय है कि वर्तमान में निर्माणाधीन आठ मेट्रो रेल प्रोजेक्टों के अंतर्गत 517 किलोमीटर लंबी मेट्रो लाइनों का निर्माण किया जा रहा है| इसी प्रकार नीति आयोग ने अगले तीन वर्षों के अंदर लगभग 200 किलोमीटर के बस द्रुत पारगमन व्यवस्था(Bus Rapid Transit System –BRTS) का क्रियान्वयन करने की भी सिफ़ारिश की है|

निष्कर्ष
 नीति आयोग ने एक एकीकृत महानगर परिवहन प्राधिकरण(Unified Metropolitan Transport Authority) के गठन का भी सुझाव दिया है| इसका गठन 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों में किया जाएगा| इस प्राधिकरण का दायित्व एक समन्वित सार्वजनिक परिवहन योजना(integrated public transport plan) को तैयार करना होगा जो यह सुनिश्चित करेगा कि भारतीय शहरों में कार्यों से योजना को पृथक रखने के वैश्विक रुझानों का अनुसरण किया जा रहा है| विदित हो कि इस मॉडल के अंतर्गत एक सार्वजानिक संस्था निजी संचालकों के लिये प्रत्येक वस्तु तक समान पहुँच और संविदात्मक कार्यों को सुनिश्चित कराएगी|

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