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बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना

  • 13 Dec 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये: 

बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना

मेन्स के लिये: 

बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना का महत्त्व एवं उद्देश्य 

चर्चा में क्यों?   

महिलाओं के सशक्तीकरण से संबंधित एक संसदीय समिति ने वर्ष 2014 से 2019 तक बालिकाओं पर लक्षित कार्यक्रमों विशेष रूप से ‘बेटी बचाओ, बेटी पढाओ’ (BBBP) योजना के लिये आवंटित केंद्रीय धन के कम उपयोग पर चिंता जताई है।

प्रमुख बिंदु

  • समिति के निष्कर्ष:
    • निधि का कम उपयोग:
      • वर्ष 2014-15 में BBBP की शुरुआत के बाद से के कोविड प्रभावित वित्तीय वर्ष 2020-21 को छोड़कर वर्ष 2019-20 तक इस योजना के तहत कुल बजटीय आवंटन 848 करोड़ रहा।
      • इस दौरान राशि राज्यों को 622.48 करोड़ रुपये जारी किये गए लेकिन राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा इस निधि की केवल 25.13% धनराशि खर्च की गई है।
    • निधियों का अनुचित व्यय:
      • फ्लैगशिप BBBP योजना के तहत मीडिया अभियानों पर 80% धनराशि खर्च की गई। 
      • इस योजना के तहत प्रत्येक ज़िले के लिये छ: विभिन्न प्रावधानों के अंतर्गत प्रतिवर्ष 50 लाख रुपए के व्यय की व्यवस्था की गई। 
        • 50 लाख रुपये में से 16% फंड अंतर-क्षेत्रीय परामर्श या क्षमता निर्माण के लिये, 50% नवाचार या जागरूकता पैदा करने की गतिविधियों के लिये 6% निगरानी और मूल्यांकन के लिये, 10% स्वास्थ्य में क्षेत्रीय हस्तक्षेप के लिये, 10% शिक्षा में क्षेत्रीय हस्तक्षेप के लिये एवं 8% फ्लेक्सी फंड के रूप में होगा। 
    • सिफारिशें:
      • सरकार को BBBP योजना के तहत विज्ञापनों पर खर्च पर पुनर्विचार करना चाहिये तथा शिक्षा और स्वास्थ्य में क्षेत्रीय हस्तक्षेप हेतु नियोजित व्यय आवंटन पर ध्यान देना चाहिये।
  • BBBP योजना:
    • BBBP योजना के बारे में:
      • इसे जनवरी 2015 में लिंग चयनात्मक गर्भपात (Sex Selective Abortion) और गिरते बाल लिंग अनुपात (Declining Child Sex Ratio) को संबोधित करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था, जो 2011 में प्रति 1,000 लड़कों पर 918 लड़कियों पर था।. 
      • यह महिला और बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय की एक संयुक्त पहल है।
      • यह कार्यक्रम देश के 405 ज़िलों में लागू किया जा रहा है।
    • मुख्य उद्देश्य:
      • लिंग आधारित चयन पर रोकथाम।
      • बालिकाओं के अस्तित्व और सुरक्षा को सुनिश्चित करना।
      • बालिकाओं के लिये शिक्षा की उचित व्यवस्था तथा उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना।
      • बालिकाओं के अधिकारों की रक्षा करना।
    • योजना का प्रदर्शन:
      • जन्म के समय लिंग अनुपात
        • स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (Health Management Information System- HMIS) से प्राप्त आँकड़ों के अनुसार, वर्ष  2014-15 में जन्म के समय लिंग अनुपात 918 था जो वर्ष 2019-20 में 16 अंकों के सुधार  के साथ बढ़कर 934 हो गया है।
        • महत्त्वपूर्ण उदाहरण:
          • मऊ (उत्तर प्रदेश) में वर्ष 2014-15 से वर्ष 2019-20 तक लिंग अनुपात 694 से बढ़कर 951 हुआ है।
          • करनाल (हरियाणा) में वर्ष 2014-15 से  वर्ष 2019-20 तक यह अनुपात 758 से बढ़कर 898 हो गया है। 
          • महेन्द्रगढ़ (हरियाणा) में वर्ष 2014-15 से वर्ष 2019-20 तक यह 791 से बढ़कर 919 हुआ है।
      • स्वास्थ्य:
        • ANC पंजीकरण: पहली तिमाही में प्रसव पूर्व देखभाल (AnteNatal Care- ANC) पंजीकरण में सुधार का रुझान वर्ष 2014-15 के  61% से बढ़कर वर्ष 2019-20 में  71% देखा गया है।
        • संस्थागत प्रसव में सुधार का प्रतिशत वर्ष  2014-15  के 87% से बढ़कर  वर्ष  2019-20 में 94% तक पहुँच गया है। 
      • शिक्षा:
        • सकल नामांकन अनुपात (GER): शिक्षा के लिये एकीकृत ज़िला सूचना प्रणाली (UDISE) के अंतिम आंँकड़ों के अनुसार, माध्यमिक स्तर पर स्कूलों में बालिकाओं के सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrolment Ratio-GER) में  77.45 (वर्ष 2014-15) से 81.32 (वर्ष 2018-19) तक सुधार हुआ है।
        • बालिकाओं के लिये शौचालय: बालिकाओं के लिये अलग शौचालय वाले स्कूलों का प्रतिशत वर्ष 2014-15 के 92.1% से बढ़कर वर्ष 2018-19 में 95.1% हो गया है।
      • मनोवृत्ति परिवर्तन:
        • BBBP योजना कन्या भ्रूण हत्या, बालिकाओं में शिक्षा की कमी और जीवन चक्र की निरंतरता के अधिकार से उन्हें वंचित करने जैसे महत्त्वपूर्ण मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम है।
        • ‘बेटी जन्मोत्सव’ प्रत्येक ज़िले में मनाए जाने वाले प्रमुख कार्यक्रमों में से एक है।

बालिकाओं के लिये अन्य पहलें:

  • उज्ज्वला (UJJAWALA): यह मानव तस्करी की समस्या से निपटने से संबंधित है जो वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिये किये गए यौन शोषण व तस्करी के शिकार पीड़ितों और उनके बचाव, पुनर्वास तथा एकीकरण के लिये एक व्यापक योजना है।
  • किशोरी स्वास्थ्य कार्ड: किशोर लड़कियों का वज़न, ऊंँचाई, बॉडी मास इंडेक्स (Body Mass Index- BMI) के बारे में जानकारी दर्ज करने के उद्देश्य से इन स्वास्थ्य कार्डों को आंँगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से बनाया जाता है।
  • किशोरियों के लिये योजना (Scheme for Adolescent Girls- SAG)।
  • सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samridhi Yojana) आदि।

स्रोत: द हिंदू

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