अंतर्राष्ट्रीय संबंध
बेलारूस: ‘सामाजिक दूरी’ को न अपनाने वाला एकमात्र यूरोपीय देश
- 15 May 2020
- 11 min read
प्रीलिम्स के लिये:बेलारूस की भौगोलिक अवस्थिति मेन्स के लिये:COVID-19 और वैश्विक देशों की बदलती, आर्थिक-राजनीतिक स्थिति |
चर्चा में क्यों?
बेलारूस एकमात्र यूरोपीय देश है, जिसने COVID-19 महामारी के दौरान सामाजिक दूरी जैसे उपायों को नहीं अपनाया है। 2 मई, 2020 तक इस देश में COVID-19 से संक्रमित लोगों की संख्या 15,000 थी। पिछले 10 दिनों में यह संख्या दोगुनी हो गई है।
प्रमुख बिंदु:
- दक्षिण अमेरिकी देश ब्राज़ील जहाँ के राष्ट्रपति कोरोनोवायरस के जोखिमों को अनदेखा कर रहे हैं, की तुलना में बेलारूस में COVID-19 संक्रमित लोगों की संख्या तीन गुना अधिक है।
- बेलारूस में COVID-19 के नए मामलों की दैनिक संख्या 900 से अधिक है परिणामस्वरूप COVID-19 से यहाँ प्रति दिन लगभग 93 मौतें होती हैं।
- बेलारूस के उत्तर में राजधानी मिन्स्क (Minsk) और विटेबस्क (Vitebsk) शहर COVID-19 से सबसे अधिक प्रभावित हैं।
- बेलारूस एवं ब्राज़ील के अलावा निकारागुआ एवं तजाकिस्तान भी COVID-19 के जोखिमों को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) के अनुसार, स्वच्छता एवं परीक्षण के उपायों के साथ-साथ सामाजिक दूरी COVID-19 से निपटने का सबसे प्रभावी उपकरण है।
- सर्वेक्षण से पता चलता है कि 70% बेलारूस निवासी पर्याप्त अलगाव से संबंधित उपायों के पक्ष में हैं। जबकि ब्राज़ील में यह संख्या 52% है।
- 28 अप्रैल, 2020 को WHO की एक रिपोर्ट में बेलारूस में COVID-19 महामारी की स्थिति को ‘चिंताजनक’ बताया गया और तुरंत ‘एक व्यापक रणनीति के कार्यान्वयन’ की मांग की गई जिसमें सामाजिक दूरी, परीक्षण प्रणालियों का उन्नयन और अंतर्राष्ट्रीय प्रवेश बिंदुओं में मानकीकृत प्रक्रियाएँ शामिल थी।
राजनीतिक संदर्भ:
- वर्ष 1991 में ‘सोवियत संघ रूस’ के विघटन के तीन वर्ष बाद 1994 में अलेक्जेंडर लुकाशेंको (Alexander Lukashenko) ने बेलारूस की सत्ता हासिल की। जिन्हें यूरोपीय महाद्वीप में ‘अंतिम यूरोपियन तानाशाह’ के नाम से संदर्भित किया जाता है।
- यद्यपि रूस उनका (अलेक्जेंडर लुकाशेंको) मुख्य राजनयिक एवं वाणिज्यिक साझेदार है किंतु दोनों देशों के एकीकरण के लिये राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा हाल के दबाव के कारण इन दोनों देशों के संबंधों में खटास आई है।
- फरवरी 2020 में रूस ने ‘सस्ती ऊर्जा के बदले में बेलारूस का समावेश करने’ की शर्त बेलारूस के सामने रखी थी।
- गौरतलब है कि बेलारूस की अर्थव्यवस्था पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस पर निर्भर करती है जो रूस के द्वारा प्रदान की जाती है। इसलिये रूस के इस प्रस्ताव को ‘आर्थिक ब्लैकमेल’ के रूप में देखा गया था।
- ‘समावेशन प्रस्ताव’ को न मानने के कारण रूस ने बेलारूस को होने वाली ऊर्जा आपूर्ति में कटौती की परिणामतः बेलारूस को अपनी ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने के लिये अन्य देशों से संपर्क स्थापित करना पड़ रहा है।
COVID-19 और बेलारूस की अर्थव्यवस्था:
- स्थानीय प्रेस के अनुसार, अर्थव्यवस्था की बिगड़ती स्थिति के कारण बेलारूस ने COVID-19 के दौरान सामाजिक दूरी जैसे उपायों को नहीं अपनाया है।
- राष्ट्रपति के अनुसार, बेरोज़गारी दर को 0.5% से नीचे रखने के साथ-साथ GDP में लगातार तीन वर्षों तक वृद्धि ही एकीकरण प्रस्ताव के खिलाफ मुख्य कारक हैं।
- बेलारूस की मुद्रा (बेलारूसियन रूबल) ऊर्जा संकट एवं चीन को होने वाले निर्यात में गिरावट के कारण वर्ष 2020 की शुरुआत के बाद से इसमें 20 फीसदी की गिरावट आई है।
आगामी चुनाव:
- बेलारूस में आगामी 30 अगस्त, 2020 को राष्ट्रपति पद के लिये चुनाव होने वाले हैं जिनमें बिगड़ती अर्थव्यवस्था मुख्य मुद्दा बन गई है।
- यदि इस चुनाव में लुकाशेंको को जीत मिलती है तो यह उनका छठा कार्यकाल होगा।
वैश्विक संगठनों द्वारा वित्तीय मदद:
- 25 अप्रैल, 2020 को ‘अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक’ (International Bank for Reconstruction and Development-IBRD) ने बेलारूस को लगभग 100 मिलियन डॉलर उधार दिये थे।
- बेलारूस अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से भी 5.4 बिलियन डॉलर प्राप्त करने की कोशिश कर रहा है।
COVID-19 से निपटने के लिये उठाये गए कुछ कदम:
- राजनीतिक कार्यकर्त्ता एवं बेलारूस के विपक्षी नेताओं ने 23 मार्च से 30 अप्रैल के बीच ‘पीपुल्स क्वारंटाइन’ अभियान का आयोजन किया था। यह अभियान यातायात एवं भौतिक संपर्क को कम करने के लिये था ताकि वायरस के प्रसार से बचा जा सके।
- सर्वेक्षण से पता चलता है कि इस अवधि में मिन्स्क मेट्रो पर यात्रियों की संख्या में 25 फीसदी की गिरावट आई। जबकि रेस्त्रां के राजस्व में 80 फीसदी और गैर खाद्य पदार्थों की बिक्री में 20 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
- बेलारूस की सरकार ने देश में उड़ानों की संख्या को कम कर दिया है और महामारी के कारण विदेशियों के लिये विस्तारित वीज़ा का विस्तार किया है।
- स्वरोज़गार, सूक्ष्म उद्यमी, मौसमी मज़दूर, छात्र, ग्रामीण श्रमिक एवं सेवानिवृत्त कर्मचारी COVID-19 से कम असुरक्षित हैं क्योंकि इनमें से कई लोगों ने सोवियत संघ के दौरान निर्मित अपने घरों (सोवियत कम्यून), ग्रामीण इलाकों में क्वारंटाइन करने का विकल्प चुना है।
- यदि संक्षेप में कहा जाए तो बेलारूस की जनता अपने बलबूते पर COVID-19 से निपटने के लिये विभिन्न तरीके अपना रही है।
भारत और बेलारूस संबंध:
- वर्ष 2017 में बेलारूस और भारत ने अपने राजनयिक संबंधों की स्थापना की 25वीं सालगिरह मनाई।
- भारत और बेलारूस ने तेल एवं गैस सहित विभिन्न क्षेत्रों जैसे- शिक्षा एवं खेल में सहयोग को बढ़ावा देने के लिये अपने द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत बनाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं।
- दोनों देश संयुक्त राष्ट्र और विशेषत: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार किये जाने की आवश्यकता पर बल देते हैं ताकि इसे समसामयिक वास्तविकताओं को अधिक प्रतिनिधित्त्वकारी बनाया जा सके तथा उभरती चुनौतियों एवं संकटों पर अधिक प्रभावी तरीके से निपटा जा सके।
- बेलारूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिये भारत की उम्मीदवारी को अपने सुदृढ़ समर्थन की पुन:पुष्टि की।
- हाल के वर्षों में, बेलारूस भारत के लिये पोटाश उर्वरक के एक अच्छे स्रोत के रूप में उभरा है जो कृषि क्षेत्र के लिये लाभदायक है।
- भारत से बेलारूस के लिये औषधियों का निर्यात होता है, भारतीय कंपनियाँ बेलारूस में भेषजिक क्षेत्र में प्रौद्योगिकी एवं निवेश उपलब्ध कराकर एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
आगे की राह:
- उल्लेखनीय है कि COVID-19 के कारण जहाँ एक तरफ वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी छाई है तो वहीं दूसरी तरफ वैश्विक राजनीति भी परिवर्तन की ओर अग्रसर है।
- इस दशा में बेलारूस के सामने जहाँ एक ओर COVID-19 से अपने देश के लोगों को बचाना है तो वहीं दूसरी ओर ‘रूस के समावेशन प्रस्ताव’ से बचने के लिये अपनी अर्थव्यवस्था को मज़बूत करना है जिससे देश को आर्थिक एवं राजनीतिक गतिरोध से बचाया जा सके।
बेलारूस: एक तथ्यात्मक विवरण
- सोवियत संघ के विघटन से पहले बेलारूस को रूसी नाम ‘बेलोरूसिया’ से जाना जाता था। यह पूर्वी यूरोप में स्थित एक भू-आबद्ध देश है।
- यह उत्तर-पूर्व में रूस, दक्षिण में यूक्रेन, पश्चिम में पोलैंड और उत्तर-पश्चिम में लिथुआनिया एवं लातविया से घिरा हुआ है।
- इसकी राजधानी और सर्वाधिक जनसंख्या वाला नगर मिन्स्क है। यहाँ के कुल क्षेत्रफल का लगभग 40% हिस्सा वनों से आच्छादित है।
- इस देश की तीन प्रमुख नदियाँ नेमान (Neman), प्रिप्याट (Pripyat) एवं नीपर (Dnieper) हैं। नेमान नदी पश्चिम की ओर बहते हुए बाल्टिक सागर में गिरती है जबकि प्रिप्याट नदी पूर्व दिशा में बहती है और नीपर में मिल जाती है। नीपर नदी दक्षिण की ओर बहते हुए काला सागर में गिरती है।