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बीटिंग द रिट्रीट

  • 29 Jan 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?


हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में होने वाले समारोहों का समापन 29 जनवरी को विजय चौक पर हुए भव्य बीटिंग द रिट्रीट कार्यक्रम के साथ हुआ।

बीटिंग द रिट्रीट-2019


इस वर्ष के समारोह में भारतीय धुनों की प्रधानता रही। विजय चौक पर 27 से अधिक प्रदर्शनों में सेना, नौसेना, वायुसेना और राज्य पुलिस तथा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CRPF) के बैंड ने मनोरम संगीत प्रस्तुति दी।

27 प्रदर्शनों में से 19 धुनें भारतीय संगीतकारों ने तैयार की थीं, जिनमें इंडियन स्टार, पहाड़ों की रानी, कुमाऊंनी गीत, जय जन्मभूमि, क्वीन ऑफ सतपुड़ा, मारूनी, विजय, सोल्जर-माई वेलंटाइन, भूपाल, विजय भारत, आकाशगंगा, गंगोत्री, नमस्ते इंडिया, समुद्रिका, जय भारत, यंग इंडिया, वीरता की मिसाल, अमर सेनानी और भूमिपुत्र शामिल थे। 8 विदेशी धुनों में फैनफेयर बाइ बीयूगलर्स, साउंड बैरियर, एमब्लेजेंड, ट्वाइलाइट, एलर्ट, स्पेस फ्लाइट, ड्रमर्स कॉल और एबाइड विद मी शामिल होंगी। आयोजन का समापन लोकप्रिय धुन ‘सारे जहां से अच्छा’ के साथ हुआ।

हर साल आकर्षण का केंद्र होता है

  • हर साल 29 जनवरी को विजय चौक पर होने वाला बीटिंग द रिट्रीट कार्यक्रम चार दिवसीय गणतंत्र दिवस समारोह के समापन का प्रतीक है।
  • इस साल 15 सैन्य बैंड, 15 पाइप्स और ड्रम बैंड रेजीमेंटल सेंटर और बटालियन से बीटिंग द रिट्रीट समारोह में शामिल हुए।
  • इसके अलावा भारतीय नौसेना और भारतीय वायुसेना का एक-एक बैंड भी इस आयोजन का हिस्सा बना।
  • केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल और दिल्ली पुलिस के बैंड भी इसमें शामिल हुए।
  • बीटिंग द रिट्रीट समारोह के प्रमुख संचालक कमाडोर विजय डी’ क्रूज थे।

सदियों पुरानी सैन्य परंपरा है बीटिंग द रिट्रीट


दरअसल, 'बीटिंग द रिट्रीट' सदियों पुरानी सैन्य परंपरा का प्रतीक है, जब सैनिक लड़ाई समाप्त कर अपने शस्त्र रख देते थे और सूर्यास्त के समय युद्ध के मैदान से शिविरों में वापस लौट आते थे। यह ब्रिटेन की बहुत पुरानी परंपरा है और इसे सूर्य डूबने के समय मनाया जाता है। भारत में दो बार ऐसा हुआ है जब इसका आयोजन नहीं किया गया। पहली बार 26 जनवरी 2001 को गुजरात में आए भूकंप की वज़ह से ऐसा करना पड़ा और दूसरी बार 27 जनवरी 2009 को देश के आठवें राष्ट्रपति वेंकटरमन का निधन हो जाने पर इसे टाला गया।

इस समारोह के महत्त्व का पता इस बात से चल जाता है कि इसमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वैंकया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सेना प्रमुख सहित कैबिनेट मंत्री एवं गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

1950 में हुई थी शुरुआत


गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान होने वाला ‘बीटिंग द रिट्रीट’ कार्यक्रम आज राष्ट्रीय गौरव बन चुका है। 1950  में इसकी शुरुआत हुई थी। तब भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट ने इस अनोखे समारोह का ढाँचा विकसित किया था, जो आज तक वैसा ही चला आ रहा है। समारोह में राष्ट्रपति बतौर मुख्य अतिथि शामिल होते हैं। कार्यक्रम का समापन करने से पहले प्रमुख बैंड मास्‍टर राष्‍ट्रपति के पास जाते हैं और बैंड वापस ले जाने की अनुमति मांगते हैं। वापस जाते समय बैंड 'सारे जहां से अच्‍छा...' की धुन बजाते हैं। शाम 6 बजे बिगुल पर रिट्रीट की धुन बजाई जाती है और राष्‍ट्रीय ध्‍वज को ससम्मान उतार कर राष्‍ट्रगान गाया जाता है। इस तरह गणतंत्र दिवस के आयोजन का औपचारिक समापन हो जाता है।


स्रोत: PIB

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