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शासन व्यवस्था

बीसी पैनल को मिलेंगी और अधिक शक्तियाँ

  • 06 Aug 2018
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

अन्य पिछड़ा वर्गों के लोग जल्द ही अपनी शिकायतों के निवारण के लिये संवैधानिक स्थिति के साथ पिछड़ा वर्ग के लिये एक नए राष्ट्रीय आयोग (NCBC) के साथ संपर्क करने में सक्षम होंगे।

प्रमुख बिंदु 

  • लोकसभा द्वारा 123वें संविधान संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद यह पैनल अस्तित्व में आ जाएगा जो सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग (SEBC) को प्रदान किये गए सुरक्षा उपायों को लागू करने और उनकी शिकायतों का निवारण करने में सक्षम होगा।
  • वर्तमान एनसीबीसी आरक्षण के लाभ के लिये केवल ओबीसी सूची से जातियों को शामिल करने, बहिष्करण करने और इन जातियों के बीच आय के स्तर के आधार पर "क्रीमी लेयर" को कम करने की सिफारिश कर सकता है|
  • अब तक अनुसूचित जातियों के लिये राष्ट्रीय आयोग ओबीसी की शिकायतों पर चर्चा करता था।
  • संविधान के तहत उपलब्ध सुरक्षा उपायों से संबंधित सभी मामलों की जाँच के लिये संविधान के अनुच्छेद 338 जो कि "अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिये विशेष अधिकारी" की नियुक्ति की व्यवस्था करता है, स्पष्ट रूप से कि एससी / एसटी (SC/ST) "अन्य पिछड़ा वर्गों के संदर्भों के रूप में समझा जाएगा"।
  • इसलिये 1990 के दशक में ओबीसी आरक्षण एक वास्तविकता बनने के साथ, एससी आयोग का अधिकार बढ़ा दिया गया। ये कार्य अब नए पैनल में स्थानांतरित हो जाएंगे|
  • आरक्षण, आर्थिक शिकायतों, हिंसा इत्यादि के कार्यान्वयन से संबंधित शिकायतों के मामले SEBC श्रेणी के लोग आयोग को स्थानांतरित करने में सक्षम होंगे।
  • विधेयक की धारा 3 (5) प्रस्तावित आयोग को अधिकारों और सुरक्षा उपायों के वंचित होने की शिकायतों की जाँच करने की शक्ति प्रदान करती है। धारा 3 (8) इसे एक सिविल कोर्ट के समान मुकदमों की सुनवाई की शक्ति देती है और यह किसी को भी समन भेजने की अनुमति देती है| इसके लिये दस्तावेज़ों को प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है  और हलफनामे पर साक्ष्य प्राप्त करना होता है।
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