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भारतीय अर्थव्यवस्था

GDP की गणना के लिये नया आधार वर्ष

  • 12 Nov 2019
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये:

GDP, GVA

मेन्स के लिये:

अर्थव्यवस्था के वृद्धि और विकास में आधार वर्ष में बदलाव का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation- MOSPI), सकल घरेलू उत्पाद की गणना के लिये आधार वर्ष (Base Year) को वर्ष 2011-12 से बदलकर 2017-18 करने पर विचार कर रहा है।

GDP

पृष्ठभूमि

  • केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (Central Statistics Office- CSO) ने वर्ष 2015 में आधार वर्ष 2004-2005 को संशोधित कर 2011-2012 कर दिया था।
  • जनवरी 2015 के बाद से आर्थिक संवृद्धि और विकास को सकल मूल्य वर्धन (Gross Value Added- GVA) के आधार पर मापा जाता था।
  • वर्ष 2018 में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank Of India-RBI) ने आर्थिक संवृद्धि और विकास के मापन हेतु पुनः GDP का उपयोग करने का निर्णय लिया।

बदलाव की आवश्यकता क्यों है?

  • किसी अर्थव्यवस्था की GDP के आधार वर्ष में परिवर्तन, उस अर्थव्यवस्था की संरचनाओं में परिवर्तन को दर्शाता है।
  • GDP की गणना के लिये आधार वर्ष में बदलाव का उद्देश्य आर्थिक आँकड़ो की सटीकता को वैश्विक पद्धति के अनुरूप करना है।
  • वर्ष 2011-12 पर आधारित GDP वर्तमान आर्थिक स्थिति को सही ढंग से प्रदर्शित नहीं करती है वहीँ नए आधार वर्ष की शृंखला संयुक्त राष्ट्र के राष्ट्रीय खाते के दिशानिर्देशों-2018 (United Nations Guidelines in System of National Accounts-2018) के अनुरूप होगी।
  • सामान्यतः अर्थव्यवस्था के बदलते स्वरुप के अनुरूप चलने के लिये आधार वर्ष का बदलाव प्रत्येक 5 वर्षों में किया जाना चाहिये।

सकल घरेलू उत्पाद

(Gross Domestic Product- GDP)

  • किसी अर्थव्यवस्था या देश के लिये सकल घरेलू उत्पाद या GDP एक वित्तीय वर्ष में उस देश में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य होता है।
    • भारत में एक वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक माना जाता है।
    • GDP = निजी खपत + सकल निवेश + सरकारी निवेश + सरकारी खर्च + (निर्यात-आयात)

सकल मूल्य वर्धन

(Gross Value Added- GVA)

  • वित्तीय वर्ष 2015-2016 से GVA की अवधारणा को शुरू किया गया है।
  • GVA किसी देश की अर्थव्यवस्था में सभी क्षेत्रों जैसे-प्राथमिक क्षेत्र, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्र द्वारा किया गया कुल अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन का मौद्रिक मूल्य है।
    • GVA = GDP + सब्सिडी - उत्पादों पर कर

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय

(Central Statistics Office- CSO)

  • ‘केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय’ (CSO) की स्थापना वर्ष 1951 में विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों एवं राज्य सरकारों के सांख्यिकीय गतिविधियों के मध्य समन्वयन एवं सांख्यिकीय मानकों के संवर्द्धन हेतु की गई थी।
  • यह राष्ट्रीय खातों को तैयार करने, औद्योगिक आँकड़ों को संकलित एवं प्रकाशित करने के साथ आर्थिक जनगणना एवं सर्वेक्षण कार्य भी आयोजित करता है।
  • यह देश में सतत् विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals-SDG) की सांख्यिकीय निगरानी के लिये भी उत्तरदायी है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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