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तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के समाधान के लिये बैंक हुए सहमत

  • 24 Jul 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

देश के अग्रणी बैंकों ने तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के समाधान से संबंधित योजना तैयार करने हेतु संघ के मुख्य ऋणदाता बैंक को शक्ति प्रदान करने वाले समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। रिज़र्व बैंक के अनुदेशों के अनुसार, दिवालियापन कार्यवाही शुरू होने से पहले योजना को समयबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। NPA की समस्या को हल करने के लिये यह एक बड़ा कदम है।

प्रमुख बिंदु

  • बैंकों ने यह कदम बैंकिंग नियामक द्वारा जारी किये गए परिपत्र का अनुसरण करते हुए उठाया है जिसमें सभी मौजूदा समाधान प्रक्रियाओं को समाप्त कर दिया गया था। इस परिपत्र में यह भी अनिवार्य किया गया था कि यदि समाधान योजना को 180 दिनों के भीतर अंतिम रूप नहीं दिया गया तो खाते को दिवालियापन कार्यवाही के लिये संदर्भित किया जाएगा।
  • इंटर-क्रेडिटर एग्रीमेंट (ICA) के नाम से जाना जाने वाला यह समझौता भारतीय बैंक एसोसिएशन द्वारा किया गया था और यह तनावग्रस्त संपत्ति के समाधान पर सुनील मेहता समिति की सिफारिशों का पालन करता है। 
  • स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया और कॉरपोरेशन बैंक ने पहले ही इस समझौते पर हस्ताक्षर कर दिये थे।
  • गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा भी इस समझौते पर हस्ताक्षर किये जाने की उम्मीद है।
  • 24 सार्वजनिक, निजी और विदेशी बैंकों ने तनावग्रस्त परिसंपत्तियों का समाधान निकालने के लिये प्रोजेक्ट ‘सशक्त’ के तहत इंटर क्रेडिटर समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं। 
  • विघटन के दृष्टिकोण पर आधारित यह संकल्प बैंकों और व्यवसायों को मज़बूती प्रदान करेगा, नौकरियों को सुरक्षित करेगा और अर्थव्यवस्था को भी तेज़ी से आगे बढ़ने में मदद करेगा।
  • भारतीय बैंक संघ (IBA) ने एक बयान में कहा कि इंटर क्रेडिटर एग्रीमेंट उन सभी कॉर्पोरेट ऋणदाताओं पर लागू होता है जिन्होंने संघीय ऋण/एकाधिक बैंकिंग व्यवस्था के तहत 50 करोड़ या उससे अधिक की राशि का ऋण लिया है। 
  • उच्चतम निवेश वाले ऋणदाता को संकल्प योजना तैयार करने के लिये अधिकृत किया जाएगा तथा तैयार योजना को बैंकों की मंज़ूरी के लिये प्रस्तुत किया जाएगा।
  • यदि 66 प्रतिशत ऋणदाता तनावग्रस्त संपत्ति के संबंध में किसी भी विशेष निर्णय से सहमत हैं तो यह निर्णय अन्य बैंकों पर भी लागू होगा।
  • उधार देने वाले ऋणदाता 15% छूट पर किसी अन्य ऋणदाता को अपना निवेश बेच सकते हैं या इसमें शामिल सभी बैंकों के निवेश को 25% प्रीमियम पर खरीद सकते हैं।

 बैंकों के पुनर्जीवन में सहायता

  • पहचान किये गए प्रमुख मुद्दों में प्रमुख ऋणदाता बैंकों के बीच सर्वसम्मति की कमी भी शामिल थी जो एक सामान्य समाधान योजना (जो बैंकों को लाभान्वित करेगी तथा परिसंपत्ति की पुनः प्राप्ति की जा सके) के लिये आवश्यक है।
  • यह मुख्य रूप से 50 करोड़ से 500 करोड़ और 500 करोड़ से 2,000 करोड़ रुपए की परिसंपत्तियों वाली श्रेणियों पर केंद्रित है। 
  • यदि 2,000 करोड़ रुपए से अधिक की कोई विशिष्ट संपत्ति है तो उसके समाधान के लिये अलग से व्यवस्था की जाएगी।

तनावग्रस्त संपत्तियों पर मेहता समिति का अनुमान

  • मेहता समिति ने 50 करोड़ रुपए से 500 करोड़ रुपए वर्ग में 2.1 लाख करोड़ तनावग्रस्त संपत्तियाँ होने का अनुमान लगाया था। 
  • 31 मार्च, 2018 तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में कुल 10.6 लाख करोड़ रुपए की तनावग्रस्त संपत्तियाँ होने का अनुमान है।
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