बैंकिंग प्रणाली तरलता | 24 Sep 2022
प्रिलिम्स के लिये:RBI, तरलता समायोजन सुविधा, कॉल मनी। मेन्स के लिये:बैंकिंग प्रणाली तरलता अधिशेष और घाटा तथा इसका प्रभाव। |
चर्चा में क्यों?
मई 2019 के बाद पहली बार लगभग 40 महीने तक अधिशेष में रहने के बाद बैंकिंग प्रणाली में तरलता घाटे में चली गई है।
बैंकिंग प्रणाली तरलता:
- बैंकिंग प्रणाली में अधिक तरलता आसानी से उपलब्ध नकदी को संदर्भित करती है जिससे बैंक अल्पकालिक व्यापार और वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करते हैं।
- किसी निश्चित दिन पर यदि बैंकिंग प्रणाली तरलता समायोजन सुविधा (LAF) के तहत RBI से एक शुद्ध उधारकर्त्ता है, तो इसे तरलता के घाटे की स्थिति कहा जाता है और यदि बैंकिंग प्रणाली RBI के लिये एक शुद्ध ऋणदाता है तो इसे तरलता अधिशेष कहा जाता है।
- LAF, RBI के संचालन को संदर्भित करता है जिसके माध्यम से वह बैंकिंग प्रणाली में या उससे तरलता को बढ़ाता या अवशोषित करता है।
घाटे कोे ट्रिगर करने वाले मुद्दे:
- नकदी की स्थिति में बदलाव अग्रिम कर निकासी के कारण आया है। इससे कॉल मनी रेट भी अस्थायी रूप से रेपो रेट से ऊपर बढ़ जाती है।
- कॉल मनी दर वह दर है जिस पर मुद्रा बाज़ार में अल्पावधि निधि उधार ली जाती है और उधार दी जाती है।
- बैंक इस प्रकार के ऋणों का सहारा परिसंपत्ति देयता असंतुलन को भरने, सांविधिक नकद आरक्षित अनुपात (CRR) और सांविधिक तरलता अनुपात (SLR) आवश्यकताओं का अनुपालन करने तथा धन की अचानक मांग को पूरा करने के लिये लेते हैं। RBI, बैंक, प्राथमिक डीलर आदि कॉल मनी मार्केट के भागीदार हैं।
- इसके अलावा अमेरिकी डॉलर की तुलना में रुपए में गिरावट को रोकने के लिये RBI का लगातार हस्तक्षेप हो रहा है।
- चलनिधि की स्थिति में कमी बैंक ऋण में वृद्धि, विदेशी मुद्रा बाज़ार में भारतीय रिज़र्व बैंक के हस्तक्षेप और ऋण मांग के असंतुलन के कारण वृद्धिशील ज़मा वृद्धि के कारण हुई है।
एक कठोर तरलता की स्थिति का उपभोक्ताओं पर प्रभाव:
- एक कठोर तरलता (Tight Liquidity) की स्थिति से सरकारी प्रतिभूतियों की प्रतिफल में वृद्धि हो सकती है और बाद में उपभोक्ताओं के लिये ब्याज़ दरों में भी वृद्धि हो सकती है।
- RBI रेपो रेट बढ़ा सकता है, जिससे फंड की लागत अधिक हो सकती है।
- बैंक अपनी रेपो-लिंक्ड उधार दरों और फंड-आधारित उधार दर (MCLR) की सीमांत लागत में वृद्धि करेंगे, जिससे सभी ऋण जुड़े हुए हैं। इस वृद्धि के परिणामस्वरूप उपभोक्ताओं के लिये उच्च ब्याज़ दरें होंगी।
- MCLR वह न्यूनतम ब्याज़ दर है जिस पर कोई बैंक उधार दे सकता है।
आगे की राह:
- RBI की कार्रवाई तरलता की स्थिति की प्रकृति पर निर्भर करेगी। यदि मौजूदा चलनिधि घाटे की स्थिति अस्थायी है और मुख्य रूप से अग्रिम कर प्रवाह के कारण है, तो RBI को कार्रवाई नहीं करनी पड़ सकती है, क्योंकि फंड अंततः सिस्टम में वापस आ जाना चाहिये।
- हालाँकि अगर यह प्रकृति में दीर्घकालिक है तो RBI को सिस्टम में तरलता की स्थिति में सुधार के लिये उपाय करना पड़ सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):प्रश्न. यदि भारतीय रिज़र्व बैंक एक विस्तारवादी मौद्रिक नीति अपनाने का निर्णय लेता है, तो वह निम्नलिखित में से क्या नहीं करेगा? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b)
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