रोहिंग्या मुद्दे पर बांग्लादेश-म्याँमार समझौता | 05 Dec 2017
चर्चा में क्यों?
बांग्लादेश ने रोहिंग्या मुसलमानों की वापसी के लिये म्याँमार के साथ समझौता किया है। इसके तहत बांग्लादेश में शरणार्थी बनकर रह रहे लगभग 6.2 लाख रोहिंग्या मुसलमानों को वापस म्याँमार भेजने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग (UNHCR), म्याँमार और बांग्लादेश के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए बना एक संयुक्त कार्यशील समूह इस दिशा में कार्य करना प्रारंभ करेगा।
शरणार्थियों को वापस भेजने का यह समझौता अक्टूबर 2016 के बाद म्याँमार से भागकर बांग्लादेश आए मुसलमानों पर लागू होगा। यह समझौता उन 2 लाख मुसलमानों पर लागू नहीं होगा, जो अक्टूबर 2016 के पहले बांग्लादेश आए हैं।
रोहिंग्या मुसलमानों के पलायन का कारण
म्याँमार के रखाइन राज्य में अगस्त में सेना द्वारा रोहिंग्या चरमपंथियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने बाद रोहिंग्या मुसलमानों का पलायन शुरू हो गया था। इसके बाद छह लाख से ज़्यादा रोहिंग्या मुसलमानों को बांग्लादेश में शरण लेनी पड़ी।
चीन की दिलचस्पी
इस समझौते का स्वागत हालाँकि कई देशों ने किया है, लेकिन इस समझौते में चीन द्वारा महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई गई है। चीन ने रोहिंग्या समस्या के लिये त्रिस्तरीय समाधान का समर्थन किया है-
- रखाइन में युद्ध विराम।
- रोहिंग्या शरणार्थियों के म्याँमार-प्रत्यावर्तन के लिये द्विपक्षीय समझौता।
- रोहिंग्या इलाकों के विकास के अतिरिक्त दीर्घकालिक उपायों की खोज।
चीन द्वारा इस मुद्दे में रुचि दिखाने का कारण यह है कि रखाइन क्षेत्र के अंतर्गत चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में 10 अरब डॉलर का आर्थिक क्षेत्र का हिस्सा भी शामिल है। साथ ही चीन ने संयुक राष्ट्र में म्याँमार पर लगाए जाने वाले संभावित अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों से संरक्षण प्रदान किया है।
अन्य तथ्य
- शरणार्थियों की सहायता के लिये काम करने वाली एजेंसियों ने रोहिंग्या शरणार्थियों को ज़बरदस्ती म्याँमार भेजने पर उनकी सुरक्षा पर चिंता जताई है।
- अमेरिका ने रोहिंग्य-नरसंहार को ‘जातीय समूह को साफ’ करने की कार्रवाई बताया था।
- रूस के अनुसार यह समझौता रोहिंग्या समस्या का वास्तविक समाधान नहीं है। इससे स्थिति और बिगड़ सकती है।
- बांग्लादेश ने कहा है कि दोनों पक्षों ने दो महीने में शरणाथियों की म्याँमार में वापसी शुरू कराने पर सहमति जताई है।