लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

शासन व्यवस्था

‘मेन्थॉल’ सिगरेट और ‘फ्लेवर्ड’ सिगार पर प्रतिबंध

  • 30 Apr 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

तंबाकू की खपत, WHO FCTC, सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (COTPA), 2003

मेन्स के लिये:

भारत में तंबाकू के सेवन परिदृश्य और उसके प्रभाव

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में ‘यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन’ ने मेन्थॉल सिगरेट और ‘फ्लेवर्ड’ सिगार पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव जारी किया।

  • भारत ने मेन्थॉल सिगरेट की बिक्री पर प्रतिबंध नहीं लगाया है।
  • वर्ष 2012 में ब्राज़ील मेन्थॉल सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने वाला दुनिया का पहला देश बना।
  • वर्ष 2019 में केंद्र ने इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट पर प्रतिबंध लगा दिया और इसके अलावा सार्वजनिक स्थानों पर ‘फ्लेवर्ड’ हुक्का सहित हुक्का सेवन पर प्रतिबंध लगाने के लिये विभिन्न राज्यों के अपने नियम हैं।

Proposal

संबंधित प्रस्ताव:

  • परिचय: 
    • इसका उद्देश्य सिगरेट में मेन्थॉल को एक विशिष्ट ‘फ्लेवर’ के रूप में प्रतिबंधित करना और सिगार के सभी विशेष ‘फ्लेवर्स’ (तंबाकू के अलावा) को प्रतिबंधित करना है।
    • प्रस्तावित नियम बच्चों को धूम्रपान करने वालों की अगली पीढ़ी बनने से रोकने में मदद करेंगे और वयस्क धूम्रपान करने वालों को धूम्रपान छोड़ने में मदद करेंगे।
      • प्रस्तावित नियम तंबाकू से संबंधित स्वास्थ्य विषमताओं को कम करके स्वास्थ्य समानता को आगे बढ़ाने के लिये एक महत्त्वपूर्ण कदम का प्रतिनिधित्व करते हैं।
    • प्रस्तावित प्रतिबंध में इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट शामिल नहीं है।
  • दंड:
    • मेन्थॉल सिगरेट या फ्लेवर्ड सिगार रखने या उपयोग करने के मामले में व्यक्तिगत रूप से उपभोक्ताओं के खिलाफ ये नियम लागू नहीं होंगे। 
    • नियम केवल "निर्माताओं, वितरकों, थोक विक्रेताओं, आयातकों और खुदरा विक्रेताओं के लिये हैं जो ऐसे उत्पादों का निर्माण, वितरण या बिक्री करते हैं। 

प्रतिबंध का कारण:

  • स्वास्थ्य: 
    • मेन्थॉल, अपने स्वाद और सुगंध के साथ "धूम्रपान की जलन और कड़वाहट को कम करता है।
      • मेन्थॉल सिगरेट खासकर युवाओं को आकर्षित करता है और इसका उपयोग भी आसान होता है।
  • वर्ग:  
    • मेन्थॉल सिगरेट का उपयोग करने वालों की संख्या श्वेत अमेरिकियों (30%) की तुलना में अश्वेत अमेरिकियों (समुदाय के भीतर धूम्रपान करने वालों का 85%) के बीच अनुपातहीन रूप से अधिक है।
    • प्रस्तावित प्रतिबंध धूम्रपान करने वालों की आबादी के एक बड़े हिस्से को विशेष रूप से युवा वयस्कों और नस्लीय रूप में वंचित समूहों को प्रभावित करेगा।

भारत में तंबाकू की खपत की वर्तमान स्थिति:

  • ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे के अनुसार, भारत में दुनिया के  तंबाकू उपयोगकर्त्ताओं की दूसरी सबसे बड़ी संख्या (268 मिलियन) है और इनमें से लगभग 13 लाख हर साल तंबाकू से होने वाली बीमारियों के कारण मर जाते हैं।  
    • दस लाख मौतें धूम्रपान के कारण होती हैं, जबकि दो लाख से अधिक लोग ‘सेकेंड हैंड’ धुएँ’ (Second-Hand Smoke) के संपर्क में आने के कारण जान गँवाते हैं। लगभग 35,000 लोगों की मौत धूम्ररहित तंबाकू के उपयोग के कारण होती है।
  • भारत में 15 वर्ष से अधिक आयु के लगभग 27 करोड़ लोग और 13-15 वर्ष के आयु वर्ग के 8.5 प्रतिशत स्कूली बच्चे किसी-न-किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं।
    • तंबाकू सेवन के कारण भारत पर 1,77,340 करोड़ रुपए से अधिक का वार्षिक आर्थिक भार है। 
  • तंबाकू का उपयोग कई गैर-संचारी रोगों जैसे कि कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह और पुरानी फेफड़ों की बीमारियों के लिये एक प्रमुख जोखिम कारक के रूप में जाना जाता है। भारत में लगभग 27 प्रतिशत कैंसर के मामले तंबाकू के सेवन के कारण देखे गए हैं।

भारत पर इस तरह के प्रतिबंध का असर:

  • यदि भारत मेन्थॉल और अन्य फ्लेवर्ड सिगरेट पर प्रतिबंध लगाता है, तो इसका प्रभाव सीमित हो सकता है, यह देखते हुए कि तंबाकू चबाना, बीड़ी पीना तंबाकू के उपयोग के सबसे सामान्य रूप हैं।
    • अंतिम उपलब्ध ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (GATS 2016-17) के अनुसार, भारत में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के 26.7 करोड़ तंबाकू उपयोगकर्त्ता हैं जिनमे से 18% आबादी धुआंँ रहित तंबाकू, 7% धूम्रपान और 4% दोनों का उपयोग करती है। 
  • धूम्रपान करने वालों में भी इस तरह के कदम का असर केवल उन युवा वयस्कों और महिलाओं पर होगा जिन्होंने अभी धूम्रपान करना शुरू किया है।
  • उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने से लाँजिस्टिक संबंधी समस्याएँ भी होती हैं क्योंकि प्रतिबंध लगाने से उत्पादों की तस्करी बढ़ेगी।
    • वर्तमान में विभिन्न फ्लेवर्स की उपलब्धता पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी है। 

 भारत की संबंधित पहलें क्या हैं? 

  • भारत
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन- फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल: 
    • सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (COTPA), 2003: 
      • इसने 1975 के सिगरेट अधिनियम को बदल दिया (बड़े पैमाने पर वैधानिक चेतावनियों तक सीमित- 'सिगरेट धूम्रपान स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है' को सिगरेट पैक और विज्ञापनों पर प्रदर्शित किया जाता है। इसमें गैर-सिगरेट उत्पाद शामिल नहीं थे)। 
      • 2003 के अधिनियम में सिगार, बीड़ी, चेरूट (फिल्टर रहित बेलनाकार सिगार), पाइप तंबाकू, हुक्का, चबाने वाला तंबाकू, पान मसाला और गुटखा भी शामिल थे। 
    • इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध अध्यादेश, 2019 की घोषणा: 
      • यह ई-सिगरेट के उत्पादन, निर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, बिक्री, वितरण, भंडारण और विज्ञापन को प्रतिबंधित करता है।  
    • नेशनल टोबैको क्विटलाइन सर्विसेज़ (NTQLS):
      • टोबैको क्विटलाइन सर्विसेज़ में तंबाकू का उपयोग बंद करने के लिये टेलीफोन आधारित जानकारी, सलाह, समर्थन और रेफरल सेवा प्रदान करने के एकमात्र उद्देश्य के साथ कई तंबाकू उपयोगकर्त्ताओं तक पहुंँचने की क्षमता है।
    • एम-सेसेशन कार्क्रम:  
      • एम-सेसेशन, तंबाकू छोड़ने के लिये मोबाइल प्रौद्योगिकी पर आधारित एक पहल है।
        • भारत ने वर्ष 2016 में सरकार के डिजिटल इंडिया पहल के हिस्से के रूप में पाठ्य संदेशों (Text Messages) का उपयोग कर एम-सेसेशन कार्यक्रम शुरू किया था।

आगे की राह

  • असमान  दृष्टिकोण :
    • सार्वजनिक नीति और स्वास्थ्य संवर्द्धन हस्तक्षेपों (सामाजिक-राजनीतिक संदर्भ का एक हिस्सा) से वांछित परिणाम प्राप्त करने हेतु असमान दृष्टिकोण अपनाते हुए तंबाकू नियंत्रण नीतियों को संशोधित करने की आवश्यकता है।
      • तंबाकू नियंत्रण उपायों के संदर्भ में (जो गरीबों को अलग-अलग लक्षित करते हैं), विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाना, तंबाकू की कीमतें बढ़ाना, कार्यस्थल में हस्तक्षेप, मुफ्त तंबाकू नियंत्रण सहायता और टेलीफोन हेल्प लाइन को शामिल किया जाता है। 
  • आवश्यक सुधारात्मक नीति:
    • तंबाकू से संबंधित मृत्यु दर और रुग्णता को कम करने, साथ ही इस समस्या को समग्र रूप से हल करने के लिये राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण (NCD) कार्यक्रम के तहत बड़े स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों के आयोजन और उपयुक्त नीतियों की आवश्यकता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2