भारतीय अर्थव्यवस्था
टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध
- 12 Sep 2022
- 6 min read
प्रिलिम्स के लिये:टूटे चावल, निर्यात प्रतिबंध मेन्स के लिये:सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, खाद्य सुरक्षा। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत ने मौजूदा खरीफ मौसम में धान की फसल के क्षेत्र में गिरावट के बीच घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिये टूटे हुए चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है और गैर-बासमती चावल के निर्यात पर 20% शुल्क लगाया है।
- भारत दुनिया में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है, जिसका वैश्विक चावल निर्यात में 40% से अधिक का योगदान है और यह विश्व बाज़ार में थाईलैंड, वियतनाम, पाकिस्तान तथा म्याँमार के साथ प्रतिस्पर्द्धा करता है।
टूटे हुए चावल का महत्त्व:
- यह प्रायः छोटे जानवरों और पालतू जानवरों के लिये खाद्य पदार्थ के निर्माण में उपयोग किया जाता है। इसके अलावा इसका उपयोग सभी प्रकार के पशुधन के लिये किया जाता है और विशेष रूप से इसके समृद्ध कैलोरी मान एवं कम फाइबर सामग्री के कारण उपयुक्त है।
- इसका उपयोग शराब बनाने वाले उद्योग में भी किया जाता है, जहाँ इसे जौ के साथ मिलाया जाता है और अरक (अम्लीय मादक पेय, आसुत, रंगहीन पेय) का उत्पादन होता है।
- यह चावल के आटे के लिये कच्चा माल है, जिसका उपयोग शिशु आहार, नाश्ता अनाज, राइस वाइन, राइस लिकर, सेक (एक प्रकार का मादक पेय पदार्थ) और पहले से पैक एवं डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों में किया जाता है।
निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का कारण:
- निर्यात में असामान्य वृद्धि: टूटे चावल का निर्यात अप्रैल-अगस्त 2022 के दौरान 42 गुना बढ़कर 21.31 लाख मीट्रिक टन (LMT) हो गया, जबकि वर्ष 2019 की इसी अवधि के दौरान यह 0.51 LMT था।
- चीन वर्ष 2021-22 में भारतीय टूटे चावल का शीर्ष खरीदार (15.85 LMT) था।
- घरेलू बाज़ार में कमी: टूटे चावल पोल्ट्री फीड या इथेनॉल, जिसके लिये टूटे हुए चावल या क्षतिग्रस्त खाद्यान्न का उपयोग किया जा रहा था, के लिये भी उपलब्ध नहीं है।
- वैश्विक मांग में वृद्धि: भू-राजनीतिक परिदृश्य के कारण टूटे चावल की वैश्विक मांग में वृद्धि हुई है, जिसने वस्तुओं के मूल्य को प्रभावित किया है।
- घरेलू उत्पादन में गिरावट: खरीफ मौसम 2022 के लिये धान के रकबे और उत्पादन में संभावित कमी लगभग 6% है।
- कुछ राज्यों में खराब बारिश के कारण पिछले वर्ष के इसी आँकड़े की तुलना में चालू खरीफ सीज़न के दौरान कुल चावल की बुवाई अब तक लगभग 20 लाख हेक्टेयर कम हुई है।
- इस बार चावल के उत्पादन में एक करोड़ टन का नुकसान हो सकता है, हालाँकि अगर सबसे खराब स्थिति रहती है तो इस साल 1.2 करोड़ टन कम चावल का उत्पादन हो सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:Q. जैव ईंधन पर भारत की राष्ट्रीय नीति के अनुसार, जैव ईंधन के उत्पादन के लिये निम्नलिखित में से किसका उपयोग कच्चे माल के रूप में किया जा सकता है? (2020)
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2, 5 और 6 उत्तर: A
अत: विकल्प (a) सही उत्तर है। |