भारतीय विरासत और संस्कृति
बामियान बुद्ध
- 31 Mar 2022
- 10 min read
प्रिलिम्स के लिये:बामियान बुद्ध, बुद्ध, हिंदूकुश। मेन्स के लिये:बौद्ध धर्म का महत्त्व, भारतीय विरासत स्थल, भारतीय साहित्य। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अफगानिस्तान में तालिबान शासन ने कहा है कि वह मेस अयनाक में प्राचीन बुद्ध प्रतिमाओं की रक्षा करेगा।
- मेस अयनाक एक ताँबा खदान स्थल भी है, जहाँ तालिबान सरकार चीनी निवेश की उम्मीद कर रही है।
- तालिबान की स्थिति उस समय के विपरीत है, जब उसने पहले अफगानिस्तान पर शासन किया था एवं वैश्विक आक्रोश के सामने बामियान में सदियों पुरानी बुद्ध की मूर्तियों को तोपखाने, विस्फोटक और रॉकेट का उपयोग करके गिराया गया।
तालिबान द्वारा बामियान के विनाश की पृष्ठभूमि:
- कट्टरपंथी तालिबान आंदोलन, जो 1990 के दशक की शुरुआत में उभरा, ने दशक के अंत तक अफगानिस्तान के लगभग 90% हिस्से पर नियंत्रण कर लिया।
- जबकि उनके शासन ने कथित तौर पर अराजकता पर अंकुश लगाया, उन्होंने तथाकथित "इस्लामी दंड" और इस्लामी प्रथाओं का एक प्रतिगामी विचार भी पेश किया, जिसमें टेलीविज़न पर प्रतिबंध, सार्वजनिक निष्पादन और 10 वर्ष तथा उससे अधिक उम्र की लड़कियों के लिये स्कूली शिक्षा की कमी शामिल थी।
- बामियान बुद्धों का विनाश इसी चरमपंथी संस्कृति का हिस्सा था।
- 27 फरवरी, 2001 को तालिबान ने मूर्तियों को नष्ट करने की अपनी मंशा की घोषणा की।
विनाश के बाद की स्थिति:
- वर्ष 2003 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थलों की सूची में बामियान बुद्धों के अवशेषों को शामिल किया।
- 9 मार्च, 2021 को साल्सल की प्रतिमा को फिर से निर्मित किया गया (एक 3D प्रक्षेपण उस कोने पर लगाया गया था जहाँ वह खड़ा था)।
बामियान बुद्ध:
- बामियान बुद्धों की विरासत:
- कहा जाता है कि बलुआ पत्थर की चट्टानों से काटकर बनी बामियान बुद्ध की मूर्तियाँ 5वीं शताब्दी ईस्वी पूर्व की हैं और कभी दुनिया की सबसे ऊँची बुद्ध की खड़ी प्रतिमा थी।
- उनकी रोमन ड्रैपरियों में और दो अलग-अलग मुद्राओं के साथ मूर्तियाँ गुप्त, ससैनियन एवं हेलेनिस्टिक कलात्मक शैलियों के संगम के महान उदाहरण थीं।
- स्थानीय लोगों द्वारा बुलाए जाने वाले ‘साल्सल’ और ‘शमामा’ क्रमशः 55 और 38 मीटर की ऊँचाई तक की थीं।
- साल्सल का अर्थ है "प्रकाश ब्रह्मांड के माध्यम से चमकता है", जबकि शमामा "रानी माँ" है।
- कहा जाता है कि बलुआ पत्थर की चट्टानों से काटकर बनी बामियान बुद्ध की मूर्तियाँ 5वीं शताब्दी ईस्वी पूर्व की हैं और कभी दुनिया की सबसे ऊँची बुद्ध की खड़ी प्रतिमा थी।
- महत्त्व:
- बामियान अफगानिस्तान के मध्य ऊँचाई वाले क्षेत्रों में हिंदूकुश के ऊँचे पहाड़ों में स्थित है।
- बामियान नदी के साथ स्थित घाटी कभी सिल्क रोड के शुरुआती दिनों का अभिन्न अंग थी, जो न केवल व्यापारियों बल्कि संस्कृति, धर्म एवं भाषा के लिये भी मार्ग प्रदान करता था।
- जब बौद्ध कुषाण साम्राज्य का प्रसार हुआ, तो बामियान एक प्रमुख व्यापार, सांस्कृतिक एवं धार्मिक केंद्र बन गया। जब चीन, भारत और रोम के व्यापारी बामियान से होकर गुज़रे तो ऐसे में वहाँ कुषाणों द्वारा एक समन्वित संस्कृति विकसित की गई।
- पहली से पाँचवीं शताब्दी ईस्वी के बीच बौद्ध धर्म के तीव्र प्रसार में बामियान ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई और कई मठ स्थापित किये गए।
- बुद्ध की दो विशाल मूर्तियाँ यहाँ मौजूद कई अन्य संरचनाओं का हिस्सा हैं, जिसमें स्तूप, छोटे बैठे और खड़े बुद्ध तथा गुफाओं में दीवार पेंटिंग आदि शामिल हैं, जो आसपास की घाटियों में फैली हुई हैं।
बौद्ध धर्म से संबंधित प्रमुख तथ्य:
- बौद्ध धर्म 2,500 वर्ष पुराना है।
- यह दक्षिण और दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के महत्त्वपूर्ण धर्मों में से एक है।
- बौद्ध धर्म का उदय लगभग छठी शताब्दी ईसा पूर्व में सिद्धार्थ गौतम की आत्मज्ञान की खोज के परिणामस्वरूप हुआ था।
- एक व्यक्तिगत भगवान में कोई विश्वास नहीं है। यह मानवता और ईश्वर के बीच संबंध पर केंद्रित नहीं है।
- बौद्ध मानते हैं कि कुछ भी स्थिर या स्थायी नहीं है- परिवर्तन सदैव संभव है।
- दो मुख्य बौद्ध संप्रदाय- थेरवाद बौद्ध धर्म और महायान बौद्ध धर्म हैं, हालाँकि इसके अलावा कई अन्य भी हैं।
- आत्मज्ञान का मार्ग नैतिकता, ध्यान और ज्ञान के अभ्यास एवं विकास के माध्यम से होकर गुज़रता है।
- बौद्ध धर्म लगभग 563 ईसा पूर्व में पैदा हुए इसके संस्थापक सिद्धार्थ गौतम की शिक्षाओं, जीवन के अनुभवों पर आधारित है।
- उनका जन्म शाक्य वंश के एक शाही परिवार में हुआ था, जिन्होंने भारत-नेपाल सीमा के पास स्थित लुंबिनी में कपिलवस्तु से शासन किया था।
- 29 वर्ष की आयु में गौतम ने घर छोड़ दिया और धन एवं संपत्ति से परिपूर्ण अपने जीवन को अस्वीकार कर दिया तथा तपस्या या अत्यधिक आत्म-अनुशासन की जीवनशैली को अपनाया।
- लगातार 49 दिनों के ध्यान के बाद गौतम ने बिहार के बोधगया में एक पीपल के पेड़ के नीचे बोधि (ज्ञान) प्राप्त किया।
- बुद्ध ने अपना पहला उपदेश उत्तर प्रदेश के बनारस शहर के पास सारनाथ में दिया था। इस घटना को धर्म-चक्र-प्रवर्तन (कानून के पहिये का घूमना) के रूप में जाना जाता है।
- उनकी मृत्यु 80 वर्ष की आयु में 483 ईसा पूर्व में उत्तर प्रदेश के एक कस्बे कुशीनगर नामक स्थान पर हुई थी। इस घटना को ‘महापरिनिर्वाण’ के नाम से जाना जाता है।
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प्रश्न. निम्न में से कौन बौद्ध धर्म में निर्वाण की अवधारणा का सबसे अच्छा वर्णन करता है? (2013) (a) इच्छा की ज्वाला का विलुप्त होना उत्तर: (a)
प्रश्न. भगवान बुद्ध की प्रतिमा कभी-कभी एक हस्तमुद्रा युक्त दिखाई गई है जिसे 'भूमिस्पर्श मुद्रा' कहा जाता है। यह किसका प्रतीक है? (2012) (a) मारा पर दृष्टि रखने एवं अपने ध्यान में विघ्र डालने से मारा को रोकने के लिये बुद्ध का धरती का आह्वान। उत्तर: (b)
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