भारतीय इतिहास
बाबू जगजीवन राम
- 06 Apr 2022
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प्रिलिम्स के लिये:बाबू जगजीवन राम, पंडित मदन मोहन मालवीय, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन। मेन्स के लिये:महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व, स्वतंत्रता पूर्व राष्ट्र निर्माण में बाबू जगजीवन राम का महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता सेनानी बाबू जगजीवन राम की 115वीं जयंती (5 अप्रैल) पर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
- जगजीवन राम, जिन्हें बाबूजी के नाम से जाना जाता है, एक राष्ट्रीय नेता, स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक न्याय हेतु लड़ाई लड़ने वाले योद्धा, वंचित वर्गों के हिमायती तथा एक उत्कृष्ट सांसद थे।
जगजीवन राम और उनका योगदान:
- जन्म:
- जगजीवन राम का जन्म 5 अप्रैल, 1908 को चंदवा, बिहार के एक दलित परिवार में हुआ था।
- आरंभिक जीवन और शिक्षा:
- उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा आरा शहर से प्राप्त की, जहाँ उन्होंने पहली बार भेदभाव का सामना किया।
- उन्हें ‘अछूत’ (Untouchable) माना जाता था जिसके चलते उन्हें एक अलग बर्तन से पानी पीना पड़ता था।
- जगजीवन राम ने उस घड़े/बर्तन को तोड़कर इसका विरोध किया। इसके बाद प्रधानाचार्य को स्कूल में अछूतों के लिये अलग से रखे गए पानी पीने के बर्तन को हटाना पड़ा।
- जगजीवन राम वर्ष 1925 में पंडित मदन मोहन मालवीय से मिले तथा उनसे बहुत अधिक प्रभावित हुए। बाद में मालवीय जी के आमंत्रण पर वे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) गए।
- विश्वविद्यालय में जगजीवन राम को भेदभाव का सामना करना पड़ा। इस घटना ने उन्हें समाज के एक वर्ग के साथ इस प्रकार के सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ विरोध करने के लिये प्रेरित किया।
- इस तरह के अन्याय के विरोध में उन्होंने अनुसूचित जातियों को संगठित किया।
- BHU में कार्यकाल पूर्ण होने के बाद उन्होंने वर्ष 1931 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से बी.एस.सी. की डिग्री हासिल की।
- जगजीवन राम ने कई बार रविदास सम्मेलन का आयोजन कर कलकत्ता (कोलकाता) के विभिन्न क्षेत्रों में गुरु रविदास जयंती मनाई थी।
- उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा आरा शहर से प्राप्त की, जहाँ उन्होंने पहली बार भेदभाव का सामना किया।
- स्वतंत्रता पूर्व योगदान:
- वर्ष 1931 में वह भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस (कॉन्ग्रेस पार्टी) के सदस्य बन गए।
- उन्होंने वर्ष 1934-35 में अखिल भारतीय शोषित वर्ग लीग (All India Depressed Classes League) की नींव रखने में अहम योगदान दिया था। यह संगठन अछूतों को समानता का अधिकार दिलाने हेतु समर्पित था।
- वह सामाजिक समानता और शोषित वर्गों के लिये समान अधिकारों के प्रणेता थे।
- वर्ष 1935 में उन्होंने हिंदू महासभा के एक सत्र में प्रस्ताव रखा कि पीने के पानी के कुएँ और मंदिर अछूतों के लिये खुले रखे जाएँ।
- वर्ष 1935 में बाबूजी राँची में हैमोंड आयोग के समक्ष भी उपस्थित हुए और पहली बार दलितों के लिये मतदान के अधिकार की मांग की ।
- उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया और इससे जुड़ी राजनीतिक गतिविधियों के लिये 1940 के दशक में उन्हें दो बार जेल जाना पड़ा।
- स्वतंत्रता के बाद योगदान:
- बाबू जगजीवन राम वर्ष 1946 में जवाहरलाल नेहरू की अंतरिम सरकार में सबसे युवा मंत्री बने।
- स्वतंत्रता के बाद उन्होंने 1952 तक श्रम विभाग का संचालन किया। इसके बाद उन्होंने नेहरू मंत्रिमंडल में संचार विभाग (1952–56), परिवहन और रेलवे (1956–62) तथा परिवहन और संचार (1962–63) मंत्री के पदों पर कार्य किया।
- उन्होंने 1967-70 के मध्य खाद्य और कृषि मंत्री के रूप में कार्य किया तथा 1970 में उन्हें रक्षा मंत्री बनाया गया।
- वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान वे भारत के रक्षा मंत्री थे जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का निर्माण हुआ था।
- वर्ष 1977 में उन्होंने कॉन्ग्रेस छोड़ दी और जनता पार्टी (नई पार्टी) में शामिल हो गए। बाद में उन्होंने जनता पार्टी सरकार में भारत के उप प्रधानमंत्री (1977-79) के रूप में कार्य किया।
- वर्ष 1936-1986 (40 वर्ष) तक संसद में उनका निर्बाध प्रतिनिधित्व एक विश्व रिकॉर्ड है।
- उनका भारत में सबसे लंबे समय तक सेवारत कैबिनेट मंत्री (30 वर्ष) होने का भी रिकॉर्ड है।
- मृत्यु:
- उनका निधन 6 जुलाई, 1986 को नई दिल्ली में हुआ।
- उनके श्मशान स्थल पर स्मारक का नाम समता स्थल (समानता का स्थान) है।