भारतीय इतिहास
आज़ाद हिंद सरकार
- 23 Oct 2021
- 7 min read
प्रिलिम्स के लिये:आज़ाद हिंद सरकार, सुभाष चंद्र बोस मेन्स के लिये:भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सुभाष चंद्र बोस की भूमिका |
चर्चा में क्यों?
प्रत्येक वर्ष 21 अक्तूबर को आज़ाद हिंद सरकार के गठन की वर्षगाँठ मनाई जाती है।
- यह दिन आज़ाद हिंद सरकार नामक भारत की पहली स्वतंत्र अनंतिम सरकार की घोषणा का प्रतीक है।
प्रमुख बिंदु:
- 21 अक्तूबर, 1943 को सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर में आज़ाद हिंद (जिसे अरजी हुकुमत-ए-आज़ाद हिंद के रूप में भी जाना जाता है) की अनंतिम सरकार के गठन की घोषणा की, जिसमें वह स्वयं राज्य के प्रमुख, प्रधानमंत्री और युद्ध मंत्री थे।
- अनंतिम सरकार ने न केवल बोस को जापानियों के साथ समान स्तर पर बातचीत करने में सक्षम बनाया, बल्कि इंडियन नेशनल आर्मी (INA) में शामिल होने और इसके समर्थन के लिये पूर्वी एशिया में भारतीयों को लामबंद करने में भी मदद की।
- सुभाष चंद्र बोस ने देश के बाहर से ही स्वतंत्रता संग्राम को नेतृत्त्व प्रदान किया। उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध (1939-45) के परिणाम को भारत की स्वतंत्रता की दृष्टि से एक महत्त्वपूर्ण अवसर माना।
- वर्ष 1940 में बोस को नज़रबंद कर दिया गया था लेकिन 28 मार्च, 1941 को वे बर्लिन भागने में सफल रहे। वहाँ के भारतीय समुदाय ने उन्हें नेताजी के रूप में सराहा। उनका स्वागत 'जय हिंद' से किया गया।
- वर्ष 1942 में इंडियन इंडिपेंडेंस लीग का गठन किया गया और भारत की आज़ादी के लिये इंडियन नेशनल आर्मी (INA) के गठन का निर्णय लिया गया।
- रास बिहारी बोस के निमंत्रण पर सुभाष चंद्र बोस 13 जून, 1943 को पूर्वी एशिया आए। उन्हें इंडियन इंडिपेंडेंस लीग का अध्यक्ष और INA का नेता बनाया गया, जिसे लोकप्रिय रूप से 'आज़ाद हिंद फौज' कहा जाता है।
- INA का गठन पहली बार मोहन सिंह और जापानी मेजर इवाइची फुजिवारा द्वारा किया गया था और इसमें मलय (वर्तमान मलेशिया) अभियान तथा सिंगापुर में जापान द्वारा बंदी बनाए गए ब्रिटिश-भारतीय सेना के सैनिक शामिल थे।
- नवंबर 1945 में INA के लोगों पर मुकदमा चलाने के ब्रिटिश कदम के कारण पूरे देश में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किये गए।
- उन्होंने प्रसिद्ध नारा 'दिल्ली चलो' दिया। उन्होंने भारतीयों को स्वतंत्रता का वादा करते हुए कहा, 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा' ।
सुभाष चंद्र बोस
- जन्म:
- सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था। उनकी माता का नाम प्रभावती दत्त बोस (Prabhavati Dutt Bose) और पिता का नाम जानकीनाथ बोस (Janakinath Bose) था।
- उनकी जयंती 23 जनवरी को 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाई जाती है।
- सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था। उनकी माता का नाम प्रभावती दत्त बोस (Prabhavati Dutt Bose) और पिता का नाम जानकीनाथ बोस (Janakinath Bose) था।
- शिक्षा और प्रारंभिक जीवन:
- वर्ष 1919 में उन्होंने भारतीय सिविल सेवा (ICS) की परीक्षा पास की थी। हालाँकि बाद में बोस ने सिविल सेवा से त्यागपत्र दे दिया।
- सुभाष चंद्र बोस, विवेकानंद की शिक्षाओं से अत्यधिक प्रभावित थे और उन्हें अपना आध्यात्मिक गुरु मानते थे
- जबकि चितरंजन दास (Chittaranjan Das) उनके राजनीतिक गुरु थे।
- वर्ष 1921 में बोस ने चित्तरंजन दास की स्वराज पार्टी द्वारा प्रकाशित समाचार पत्र 'फॉरवर्ड' के संपादन का कार्यभार संभाला और बाद में अपना खुद का समाचार पत्र ‘स्वराज’ शुरू किया।
- कॉन्ग्रेस के साथ संबंध:
- उन्होंने बिना शर्त स्वराज (Unqualified Swaraj) अर्थात् स्वतंत्रता का समर्थन किया और मोतीलाल नेहरू रिपोर्ट (Motilal Nehru Report) का विरोध किया जिसमें भारत के लिये डोमिनियन के दर्जे की बात कही गई थी।
- उन्होंने वर्ष 1930 के नमक सत्याग्रह में सक्रिय रूप से भाग लिया और वर्ष 1931 में सविनय अवज्ञा आंदोलन के निलंबन तथा गांधी-इरविन समझौते पर हस्ताक्षर का विरोध किया।
- वर्ष 1930 के दशक में वह जवाहरलाल नेहरू और एम.एन. रॉय के साथ कॉन्ग्रेस की वाम राजनीति में संलग्न रहे।
- वर्ष 1938 में बोस ने हरिपुरा में कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष के चुनाव में जीत हासिल की।
- वर्ष 1939 में पुनः त्रिपुरी में उन्होंने गांधी के उम्मीदवार पट्टाभि सीतारमैया के खिलाफ अध्यक्ष का चुनाव जीता। गांधी के साथ वैचारिक मतभेदों के कारण बोस ने इस्तीफा दे दिया और कॉन्ग्रेस छोड़ दी। उनकी जगह राजेंद्र प्रसाद को नियुक्त किया गया था।
- उन्होंने एक नई पार्टी 'फॉरवर्ड ब्लॉक' की स्थापना की। इसका उद्देश्य अपने गृह राज्य बंगाल में राजनीतिक वामपंथ और प्रमुख समर्थन आधार को मज़बूत करना था।
- मृत्यु:
- कहा जाता है कि वर्ष 1945 में ताइवान में विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई थी। हालाँकि उनकी मृत्यु के संबंध में अभी भी अस्पष्टता है।