भारतीय अर्थव्यवस्था
वाहन मिशन योजना 2016-26
- 04 Dec 2019
- 4 min read
प्रीलिम्स के लिये:
वाहन मिशन योजना
मेन्स के लिये:
ऑटोमोबाइल क्षेत्र में विकास के प्रयास
चर्चा में क्यों?
वाहन मिशन योजना (Automotive Mission Plan- AMP) 2016-26 वाहन उद्योग के विकास का रोडमैप तैयार करने हेतु भारत सरकार और भारतीय वाहन उद्योग जगत का एक सामूहिक विज़न है जिसके मजबूती के साथ कार्यान्वयन के चलते ऑटोमोबाइल क्षेत्र में हालिया मंदी के समग्र परिदृश्य में सुधार की आशा है।
प्रमुख बिंदु
- इस योजना का उद्देश्य ऐसी परिस्थितियों का विकास करना है जिससे अगले 10 वर्षों में वाहन, वाहनों के घटक निर्माण और ट्रैक्टर उद्योग के आकार तथा क्षमता संवर्द्धन के साथ ही भारत की सकल घरेलू उत्पाद में इनके योगदान में वृद्धि के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।
- AMP 2006-16 के सफल होने के कारण ही भारत ने केवल एक ऑटोमोबाइल उत्पादक बल्कि वाहन डिज़ाइन और विकास के केंद्र के रूप में भी उभरा है।
विज़न 3/12/65
- AMP 2016-26 का लक्ष्य वाहनों और कलपुर्जों के निर्माण एवं निर्यात से जुड़े शीर्ष तीन देशों में भारतीय वाहन उद्योग को स्थापित करना है।
- वर्तमान में भारतीय वाहन उद्योग का GDP में योगदान लगभग 7% है जिसे बढ़ाकर वर्ष 2026 तक 12% तक लाना है और 65 मिलियन अतिरिक्त रोज़गारों का सृजन करना है।
उद्देश्य
- विनिर्माण को बढ़ावा: AMP 2016-26 का उद्देश्य भारतीय मोटर वाहन उद्योग को ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम का चालक बनाना है क्योंकि यह विनिर्माण क्षेत्र के अग्रणी चालकों में से एक है।
- भारतीय मोटर वाहन क्षेत्र के देश की GDP में 12% से अधिक का योगदान करने की संभावना है और यह विनिर्माण क्षेत्र के 40% से भी अधिक भाग का प्रतिनिधित्व करता है।
- यह देश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देगा।
- रोजगार: यह भारतीय वाहन उद्योग को ‘कौशल भारत’ कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता और भारतीय अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख रोज़गार सृजक क्षेत्र बनाने का लक्ष्य निर्धारित करता है।
- वाहन उद्योग के विनिर्माण क्षेत्र और सेवा क्षेत्र में विभिन्न फॉरवर्ड और बैकवर्ड लिंकेज होते हैं। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था के औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्रों में अवसरों की उपलब्धता में वृद्धि होगी।
- गतिशीलता: यह योजना सार्वभौमिक गतिशीलता सुनिश्चित करने हेतु देश के प्रत्येक व्यक्ति के लिये सुरक्षित, कुशल और आरामदेह गतिशीलता बढ़ाने पर केंद्रित है।
- यह उपभोक्ताओं को आवागमन के कई विकल्प उपलब्ध कराकर पर्यावरण संरक्षण और वहनीयता को प्रोत्साहित करती है।
- निर्यात: इसका उद्देश्य भारतीय मोटर वाहन उद्योग के निवल निर्यात में वृद्धि करना और इसे विश्व के प्रमुख वाहन निर्यात केंद्र के रूप में स्थापित करना है।
- इलेक्ट्रिक वाहन: यह इलेक्ट्रिक वाहन जैसी नई तकनीक को शामिल करने के साथ ही संबंधित बुनियादी ढाँचे और नए ईंधन-दक्षता नियमों को भी शामिल करती है।